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Thursday, April 05, 2012
Teri rehmaton pe hai mun'hasir....
Main Iss Liye Bhi Teri
Ke Teray Pyaar Ki Fitrat Main Inteqaam Bhi Hai...
Tuney kaha tha main ....
Phir un ki gali mein jayega.....
Phir un ki gali mein jayega, phir sahav ka sajda ker lega
Is dil pe bharosa kaun kare, har roz Musalmaan hota hai.....
यह शेर उर्दू के अज़ीम शायर इब्न-ए-इंशा (Ibn-e-Insha) का है।
उनका पूरा शेर (ग़ज़ल का एक हिस्सा) इस प्रकार है:
फिर उन की गली में पहुँचेगा, फिर 'सहव' का सजदा कर लेगा। इस दिल पे भरोसा कौन करे, हर रोज़ 'मुसलमाँ' होता है।
(यह ग़ज़ल उनके संग्रह 'चाँद नगर' (Chand Nagar) में भी शामिल है।)
शेर का अर्थ (Meaning of the Couplet)
यह शेर दिल की चंचलता (fickleness) और बेबसी को बहुत ही ख़ूबसूरत अंदाज़ में बयान करता है:
फिर उन की गली में पहुँचेगा: यह दिल जानता है कि उसे वहाँ नहीं जाना चाहिए, लेकिन फिर भी यह प्रियतम की गली (राह) में पहुँच जाएगा।
फिर सहव का सजदा कर लेगा: 'सहव का सजदा' इस्लाम में नमाज़ के दौरान होने वाली ग़लती को सुधारने के लिए किया जाता है। यहाँ शायर कहता है कि दिल एक ग़लती करेगा (वहाँ जाकर), और फिर उस ग़लती को सुधारने की कोशिश करेगा, लेकिन यह ग़लती बार-बार दोहराई जाती है।
इस दिल पे भरोसा कौन करे: इस दिल की अस्थिरता और नादानी पर कोई कैसे विश्वास करे।
हर रोज़ मुसलमाँ होता है: 'मुसलमाँ' का शाब्दिक अर्थ है 'ईमान वाला' या 'समर्पित', लेकिन उर्दू शायरी में यह 'नया-नया समर्पित' या 'तौबा करने वाला' के अर्थ में भी इस्तेमाल होता है। इसका मतलब है कि यह दिल हर बार पिछली ग़लती के लिए तौबा करता है और दोबारा वफ़ादार बनने की क़सम खाता है, लेकिन रोज़ाना उसी ग़लती को दोहराता है।
शायर कहता है कि इस दिल की वफ़ादारी पर भरोसा नहीं किया जा सकता, यह हर बार वादा तोड़ता है और फिर रोज़ नया-नया वफ़ादार (मुसलमाँ) बनने का ढोंग करता है।
Koi taweez ho.....
यह शेर उर्दू के समकालीन और बेहद लोकप्रिय शायर वसीम बरेलवी (Waseem Barelvi) का है।
यह शेर उनकी एक मशहूर ग़ज़ल का हिस्सा है, और यह अपनी अनूठी और आधुनिक अभिव्यक्ति (modern expression) के लिए बहुत प्रसिद्ध है।
शेर का अर्थ (Meaning of the Couplet)
यह शेर मोहब्बत को एक परेशानी, बला या मुसीबत के रूप में दर्शाता है, जिससे नायक बचना चाहता है:
कोई तावीज़ हो रद्दे-बला का: तावीज़ (Talisman) वह वस्तु है जिसे लोग बुरी बलाओं या बुरी नज़र से बचने के लिए पहनते हैं। 'रद्दे-बला' का अर्थ है मुसीबत को टालना। शायर कहता है कि काश कोई ऐसा तावीज़ मिल जाए जो मुसीबत को टाल दे।
मेरे पीछे मोहब्बत पड़ गई है: यहाँ मोहब्बत को एक पीछा करने वाली बला या मुसीबत के रूप में चित्रित किया गया है, जिससे नायक भागना चाहता है। यह एक मज़ाकिया और आधुनिक अंदाज़ है जिसमें प्रेम की ज़बरदस्ती को दर्शाया गया है।
यह शेर वसीम बरेलवी के रोमांटिक लेकिन व्यंग्यात्मक (sarcastic) अंदाज़-ए-बयाँ का एक बेहतरीन उदाहरण है।
KitaaboN Se Daleel Doon.....
Wo Mujhse Pooch Baitha Hai, Mohabbat Kisko Kehte Hain ...
यह खूबसूरत और बहुत मशहूर शेर समकालीन (contemporary) उर्दू शायर सैयद अरशद सईद (Syed Arshad Saeed) का है।
यह शेर प्रेम की परिभाषा की गहनता को बहुत ही सरल लेकिन प्रभावशाली तरीके से व्यक्त करता है।
शेर का अर्थ (Meaning of the Couplet)
यह शेर उस क्षण को दर्शाता है जब कोई व्यक्ति प्रेम के गहन अनुभव में डूब चुका हो और उसे परिभाषित करने की चुनौती दी जाए:
किताबों से दलील दूँ, या ख़ुद को सामने रख दूँ!: दलील (Daleel) का अर्थ है सबूत या तर्क। शायर कहता है कि जब कोई मुझसे मोहब्बत की परिभाषा पूछता है, तो क्या मैं किताबों में लिखे तर्क और परिभाषाएँ दूँ? या सीधे अपने आप को (जो मोहब्बत से भरा हुआ है) उसके सामने रख दूँ?
वो मुझसे पूछ बैठा है, मोहब्बत किसको कहते हैं: यह पंक्ति एक चुनौती है, क्योंकि मोहब्बत एक ऐसा एहसास है जिसे तर्क से नहीं, बल्कि अनुभव से समझा जा सकता है।
शायर का मानना है कि मोहब्बत की सबसे बड़ी दलील (सबूत) वह व्यक्ति ख़ुद है जो सच्चे प्रेम में डूबा हुआ है।





