Saturday, March 31, 2012

Dastak se dar ka




























Dastak se dar ka, faasla hai aeitmaad ka
per laut jaane ko yahi taakhir hai bahut...





यह शेर उर्दू की महान और संवेदनशील शायरा परवीन शाकिर (Parveen Shakir) का है।

यह शेर भरोसे (trust) और सही समय पर प्रतिक्रिया (response) के महत्व को बड़ी गहराई से व्यक्त करता है।

शेर का अर्थ (Meaning of the Couplet)

  • दस्तक से दर का, फ़ासला है ऐतिमाद का: दस्तक देने वाले (मेहमान) और दरवाज़े (दर) के बीच की दूरी (फ़ासला) वास्तव में भरोसे (ऐतिमाद) की दूरी होती है। (यानी, दरवाज़ा खुलने का इंतज़ार भरोसे पर निर्भर करता है)।

  • पर लौट जाने को यही ताख़ीर है बहुत: लेकिन (अगर दरवाज़ा तुरंत न खुला) वापस लौट जाने के लिए यह थोड़ी-सी देरी (ताख़ीर) भी बहुत ज़्यादा होती है।

शायरा कहती हैं कि प्यार या रिश्ते में भरोसे और प्रतिक्रिया का सही समय पर होना कितना ज़रूरी है। अगर दरवाज़ा तुरंत न खुले, तो इंतज़ार करने वाला उस छोटे से इंतज़ार से भी निराश होकर वापस लौट सकता है, भले ही दरवाज़ा खुलने में क्षण भर की देरी हुई हो।

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