"दुखी मन मेरे" भारतीय सिनेमा के सबसे गहरे और दार्शनिक गीतों में से एक है। फिल्म 'फ़ंटूश' (Funtoosh - 1956) का यह गाना किशोर कुमार की आवाज़ में एक मास्टरपीस माना जाता है।
यहाँ इस गीत की मुख्य जानकारी दी गई है:
गीत का विवरण
गायक: किशोर कुमार (Kishore Kumar)
संगीतकार: एस. डी. बर्मन (S.D. Burman)
गीतकार: साहिर लुधियानवी
फिल्म: फ़ंटूश (1956)
कलाकार: देव आनंद और शीला रमानी
इस गीत की खास बातें
किशोर कुमार की संजीदगी: लोग अक्सर किशोर कुमार को उनके चुलबुले और 'यूडलिंग' वाले गानों के लिए जानते हैं, लेकिन "दुखी मन मेरे" यह साबित करता है कि वे दर्द और गंभीरता को कितनी गहराई से गा सकते थे।
साहिर के बोल: साहिर लुधियानवी ने जीवन की निराशा और अकेलेपन को इन शब्दों में पिरोया है— "लाख यहाँ समझाया मैंने, लाख यहाँ बहलाया मैंने..."। यह गीत सिखाता है कि दुनिया की भीड़ में भी इंसान कभी-कभी कितना अकेला महसूस करता है।
एस. डी. बर्मन का संगीत: दादा बर्मन ने इस गाने की धुन बहुत ही सरल रखी है, जिसमें एक धीमा ठहराव है जो सीधे सुनने वाले के दिल में उतर जाता है।
देव आनंद का अभिनय: अपनी चुलबुली छवि से हटकर, देव आनंद ने इस गाने में हताशा और दुख के भावों को बहुत खूबसूरती से पर्दे पर उतारा है।
गीत के बोल (मुख्य अंश)
"दुखी मन मेरे, सुन मेरा कहना जहाँ नहीं चैना, वहाँ नहीं रहना दुखी मन मेरे..."
क्या आप जानते हैं?
यह गाना तब आता है जब फिल्म में मुख्य किरदार (देव आनंद) जीवन से बहुत निराश होता है। इस गाने की लोकप्रियता इतनी थी कि आज भी जब लोग दुखी या अकेले होते हैं, तो यह गीत उनकी पहली पसंद बनता है।
Video credit : Channel -(Anjan Chakraborty) on You Tube
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