यह गाना 'हम बेखुदी में तुम को पुकारे चले गए' हिंदी सिनेमा के सबसे मधुर और सदाबहार गीतों में से एक है।
गीत का विवरण (Song Details)
| विवरण | जानकारी |
| फिल्म (Movie) | काला पानी (Kala Pani) |
| रिलीज़ वर्ष (Release Year) | 1958 |
| गायक (Singer) | मोहम्मद रफ़ी (Mohammed Rafi) |
| संगीत निर्देशक (Music Director) | एस. डी. बर्मन (S. D. Burman) |
| गीतकार (Lyricist) | मजरूह सुल्तानपुरी (Majrooh Sultanpuri) |
| कलाकार (Star Cast) | देव आनंद (Dev Anand), मधुबाला (Madhubala), नलिनी जयवंत (Nalini Jaywant) |
रोचक तथ्य (Interesting Fact)
देव आनंद और एस. डी. बर्मन का जादू: यह गीत उस ज़माने की सबसे सफल संगीतकार-अभिनेता जोड़ियों में से एक, एस. डी. बर्मन और देव आनंद के तालमेल का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। बर्मन दा ने देव आनंद की कई फिल्मों के लिए यादगार संगीत दिया, और यह गाना उनकी रचनात्मक साझेदारी की गहराई को दर्शाता है।
मोहम्मद रफ़ी की भावपूर्ण आवाज़: इस गाने को मोहम्मद रफ़ी की सबसे बेहतरीन रचनाओं में गिना जाता है। जिस तरह से उन्होंने गाने में तड़प, नशा और बेखुदी (unconsciousness/intoxication) के भावों को अपनी आवाज़ से व्यक्त किया है, वह इसे एक कालातीत क्लासिक (timeless classic) बनाता है।
मजरूह सुल्तानपुरी के बोल: मजरूह सुल्तानपुरी के गीत ऐसे हैं जो एक नशे में डूबे व्यक्ति की पीड़ा को दर्शाते हैं, जो अपनी प्रियतमा को पुकारता चला जाता है। उनके सरल लेकिन गहरे बोल इस गाने को भावनात्मक ऊँचाई प्रदान करते हैं।
यह गीत आज भी पुरानी हिंदी फिल्मों के संगीत प्रेमियों के बीच बहुत लोकप्रिय है।
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