Monday, April 16, 2012

सवाल जवाब


आजकल 
सवाल  ही  सवाल
खिलते हैं,
फूलों   की  तरह, 
जवाब गुम-सुम से
मिट्टी में, 
दबे रहते हैं …..!

(मंजू मिश्रा)

खुशियाँ


मिल जाएँ
खुशियाँ
मुट्ठी भर 

तो
बीज बनाकर 
छींट दूं उन्हें, 
आँगन में !!

बारिश होगी, 
अंकुर फूटेंगे
कलियाँ चटकेंगी, 
रंग बिखरेंगे,

लहलहाएगी फसल…
भर जायेगा  
ज़िंदगी का घर 
खुशियों से !

(Manju Mishra)

कविता का पर्याय


दीपक से अधिक मूल्यवान होता है प्रकाश
पांडुलिपियों से अधिक मूल्यवान 
होती हैं कविताएं
और अधरों से अधिक मूल्यवान होते हैं
उन पर रचे गए चुंबन।

तुमसे ..
मुझसे..
हम दोनों से..
बहुत अधिक मूल्यवान हैं मेरे प्रेमपत्र।
वे ही तो हैं वे दस्तावेज
जिनसे आने वाले समय में
जान पाएंगे लोगबाग
कि कैसा रहा होगा तुम्हारा सौंदर्य
और कितना मूल्यवान रहा होगा मेरा पागलपन।
तुम्हें जब कभी 
जब भी कभी
तुम्हें मिल जाए वह पुरुष
जो परिवर्तित कर दे
तुम्हारे अंग-प्रत्यंग को कविता में।
वह जो कविता में गूंथ दे
तुम्हारी केश राशि का एक-एक केश।

जब तुम पा जाओ कोई ऐसा
ऐसा प्रवीण कोई ऐसा निपुण
जैसे कि इस क्षण मैं
करा  रहा हूं कविता के जल से तुम्हें स्नान
और कविता के आभूषणों से ही कर रहा हूं
तुम्हारा श्रंगार।

अगर ऐसा हो कभी 
तो मान लेना मेरी बात
अगर सचमुच ऐसा हो कभी
मान रखना मेरे अनुनय का
तुम चल देना उसी के साथ बेझिझक निस्संकोच।

महत्वपूर्ण यह नहीं है
कि तुम मेरी हो सकीं अथवा नहीं
महत्वूपूर्ण यह है
कि तुम्हें होना है कविता का पर्याय।