अपने हालात से,,,,, मैं सुल्ह तो,,,,, कर लूँ.... लेकिन
मुझ में,,,,, रू-पोश जो इक,,,,, शख़्स है,,,, मर जाएगा.....
Mujh mein ,,, rooh-posh jo ikk ,,,shaqs hai,,,,mar jaayega .....
रईस फ़रोग़
अपने हालात से,,,,, मैं सुल्ह तो,,,,, कर लूँ.... लेकिन
मुझ में,,,,, रू-पोश जो इक,,,,, शख़्स है,,,, मर जाएगा.....
मुझ को काफ़ी है,,बस ,,इक,, तेरा मुआफ़िक़ होना
सारी दुनिया भी,, मुख़ालिफ़ हो ,,तो..... क्या होता है.......मैं कहाँ तक,...दिल-ए -सादा को..,भटकने से बचाऊँ
आँख जब उट्ठे, गुनाहगार, बना दे मुझको......उसी का माल तो बिकता है, इस ज़माने में
जो अपने ,नीम के,पत्तों को ज़ाफरान कहे.......
मैं नहीं उड़ता, तो क्या.. ख्वाहिश तो, उड़ती है मेरी
हर परिन्दे में, जड़ा, एकाध पर( feather), मेरा भी है ..
ग़ाफ़िल ये दिन किसी पे , भरोसे के, हैं.... नहीं
खुद अपनी राह ढूंढ, कोई रहनुमा ना मांग !
इस दौर में मिजाज़ कोई पूछे अगर ... ज़ाहिद
तो वह... तफ्तीश .. होती है , पुर्सिश , तो बस.. बहाना है.......
उसे जो चाहिए,,,,, मैं हूँ ,,,,उसी के मुआफ़िक ...... शै ..
सितम तो ये के ,,,हमारी सफों में ,,,शामिल हैं
मेरे हर अमल को सराह कर,, ये अज़ीयतें न दिया करो ,
गिरे जाते हैं हम खुद , अपनी नज़रों से, सितम ये है