इक दौर था वो भी...
हर घर के किसी एक ही कमरे में पड़ाएक ही टी.वी.
सबका सांझा हुआ करता था
शाम ढलते ही उमड़ पड़ता
देखने वालों का जमावड़ा
सब के सब एक ही जगह ...
इक दौर था वो भी...
हर घर के किसी एक ही कमरे में पड़ाकई लोग... कितना होना है.... कितना नहीं.... के बीच फंसे हैं
यह कविता 'मैं तुझसे प्रीत लगा बैठा' हिंदी साहित्य की एक बहुत ही प्रसिद्ध और भावुक कविता है।
यहाँ इस कविता से जुड़ी जानकारी दी गई है:
मूल कवि: उदय भानु 'हंस' (Uday Bhanu Hans), जो हरियाणा के पहले राज कवि थे और अपनी रुबाइयों (चार-पंक्ति की कविताएँ) के लिए जाने जाते हैं।
प्रसिद्ध वाचक: अभिनेता आशुतोष राणा (Ashutosh Rana) ने अपने खास अंदाज़ और दमदार आवाज़ में इस कविता का पाठ किया है, जिसने इसे नई पीढ़ी के बीच बेहद लोकप्रिय बना दिया है।
यह कविता एकतरफ़ा, पूर्ण और निःस्वार्थ प्रेम की अभिव्यक्ति है। कवि अपने महबूब से कहता है कि मैंने तो आपसे प्रेम कर लिया है, अब आप इसे चाहे जो नाम दें:
समर्पण का भाव: कवि कहता है कि अब आप मेरे इस प्रेम को चाहे चंचलता कह लें, या दुर्बलता कह लें, लेकिन दिल के मजबूर करने पर मैंने तो आपसे प्रेम कर लिया है।
प्रेम की गहराई: कवि कहता है कि यह प्रेम दिए का तेल नहीं है जो दो-चार घड़ी में ख़त्म हो जाए, बल्कि यह तो कृपाण (तलवार) की धारा पर चलने जैसा है, यानी मुश्किलों से भरा हुआ है।
अखंड प्रेम: वह खुद को चातक (जो केवल वर्षाजल पीता है) और महबूब को बादल बताता है, खुद को आँसू और महबूब को आँचल बताता है। वह कहता है कि मैंने जो भी रेखा खींची, उसमें आपकी ही तस्वीर बना बैठा।
परिचय: वह कहता है कि जब भी किसी ने मेरा परिचय पूछा, मैंने आपका नाम बता बैठा।
अंतिम गंतव्य: चाहे मैं जीवन के जिस भी रास्ते पर चल निकला, अंत में आपके ही दर पर जा बैठा।
यह कविता प्रेम में दीवानगी, संपूर्ण समर्पण और महबूब के प्रति अटूट विश्वास की एक सुंदर मिसाल है।
नागार्जुन की यह कविता अकाल के भयावह प्रभाव और उसके बाद के राहत भरे क्षणों का सजीव चित्रण करती है। यह कविता दो भागों में बंटी हुई है, जो भूख और भोजन की वापसी के बीच के अंतर को दर्शाती है।
कविता का पहला भाग अकाल की मार को दिखाता है। कवि ने यहाँ मानवीकरण (personification) और सूक्ष्म बिम्बों (imagery) का सुंदर प्रयोग किया है।
"कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास": यहाँ चूल्हे और चक्की को सजीव बताया गया है। चूल्हा जो भोजन पकाने का प्रतीक है, वह 'रो रहा है' क्योंकि उसमें आग नहीं जली। चक्की जो अनाज पीसने के काम आती है, वह 'उदास' है क्योंकि उसके पास पीसने के लिए कुछ नहीं है। यह दर्शाता है कि घर में भोजन का कोई दाना नहीं है।
"कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास": घर के पालतू जानवर भी इस भूख से बेहाल हैं। एक कानी कुतिया (जिसकी एक आँख नहीं है) जो आमतौर पर खाने की तलाश में घूमती है, वह भी भोजन न मिलने के कारण हताश होकर चूल्हे के पास ही सो गई है। यह दर्शाता है कि न केवल इंसान, बल्कि जीव-जंतु भी भुखमरी का शिकार हैं।
"कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त": छिपकलियाँ दीवारों पर कीड़े-मकोड़े खाकर जीवित रहती हैं। उनकी "गश्त" (पहरा) जारी है, लेकिन कीड़े-मकोड़े भी भोजन न मिलने के कारण मर चुके हैं। छिपकलियों को भी भोजन नहीं मिल रहा है।
"कई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त": घर में छिपकर भोजन खाने वाले चूहों की हालत भी 'शिकस्त' (पराजय) जैसी हो गई है। इसका मतलब है कि घर में उनके लिए भी कुछ नहीं बचा है।
यह पूरा भाग अकाल की खामोशी और निराशा को दर्शाता है, जहाँ जीवन के हर पहलू पर भूख का साया है।
कविता का दूसरा भाग आशा और जीवन की वापसी का प्रतीक है, जब घर में अनाज आता है।
"दाने आए घर के अंदर कई दिनों के बाद": यह पंक्ति सबसे महत्वपूर्ण है। 'दाने' (अनाज) के घर में आने से ही निराशा का माहौल खत्म होता है।
"धुआँ उठा आँगन से ऊपर कई दिनों के बाद": चूल्हे में आग जलती है और भोजन पकने लगता है, जिससे धुआँ उठता है। यह धुआँ केवल लकड़ी के जलने का नहीं, बल्कि जीवन और उम्मीद की वापसी का प्रतीक है।
"चमक उठी घर भर की आँखें कई दिनों के बाद": जब लोगों को भोजन मिलता है, तो उनकी आँखों में चमक आ जाती है। यह चमक केवल खुशी की नहीं, बल्कि जीवन की ऊर्जा और उत्साह की है, जो भूख से खत्म हो गई थी।
"कौए ने खुजलाई पाँखें कई दिनों के बाद": कौआ जो अक्सर भोजन के टुकड़ों की तलाश में आता है, वह भी अब खुश है। उसे भी भोजन मिल गया है। 'पाँखें खुजलाना' (पंखों को रगड़ना) उसकी संतुष्टि और खुशी को दर्शाता है।
यह कविता बताती है कि भूख केवल शारीरिक नहीं होती, बल्कि यह पूरे घर और उसके वातावरण को बेजान कर देती है। वहीं, भोजन की उपलब्धता न केवल पेट भरती है, बल्कि जीवन में खुशी, आशा और ऊर्जा भी वापस लाती है।
यह रचना प्रीत पॉल हुंडल द्वारा लिखी गई है।
यह एक बहुत ही गहरी और भावनात्मक कविता है जो दोस्ती, आत्म-सम्मान और जीवन के महत्व पर केंद्रित है। इसमें कवि अपने दोस्त को संबोधित करते हुए खुद को खत्म करने (खुदकशी) के विचार को त्यागने का आग्रह कर रहे हैं।
कविता के मुख्य भाव इस प्रकार हैं:
खुद को कत्ल न करने का आग्रह: कवि अपने दोस्त से पूछते हैं कि उसने आत्महत्या का रास्ता क्यों चुना और इसे एक जुनून के लिए खुद का कत्ल करना बताते हैं, जो कि सही नहीं है।
खुद को बचाने की सीख: कवि यह समझाते हैं कि रिश्तों को बचाने के लिए बार-बार खुद को मिटाना या कुर्बान करना ठीक नहीं है। ऐसे रिश्ते जो आत्म-त्याग पर आधारित हों, वे खोखले होते हैं।
खुद से प्यार करने का संदेश: कविता का सबसे महत्वपूर्ण संदेश यह है कि बाहरी चीजों को बदलने के बजाय, अपनी खोज का सफर शुरू करो और सबसे पहले खुद से प्यार करो। यही आत्म-सम्मान और जीवन में आगे बढ़ने का असली रास्ता है।
कुल मिलाकर, यह एक प्रेरणादायक और मार्मिक रचना है जो जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने और खुद को सबसे पहले महत्व देने की सीख देती है।
