फ़ोन की घंटी लगातार बज रही थी ! मालती जल्दी से रसोई से अपने पल्लू से हाथ पोंछती मन ही मन बुदबुदाती फ़ोन उठाने भागी !
”हेलो …! जी ,मालती से बात कर सकता हूँ ?”.उधर से एक आवाज़ आई !
”मैं मालती ही बोल रही हूँ,”! ”आप कौन? ”मालती ने पूछा ! उधर से एक मद्धम सी आवाज़ उभरी ….”.मालती ,मैं रितेश बोल रहा हूँ ”!
हाथ से रिसीवर छूट गया मालती के ..”..रि…तेश…!” हेलो..हेलो !”मालती …क्या हुआ ? सुनो ,एक बार ध्यान से सुनो मेरी बात ”! मालती ने कांपते हाथो से रिसीवर उठाया और असमंजस सी ,हैरान ,घबराई आवाज़ में बोली ,”रितेश....... पर तुम तो ….भैया ने बताया था कि तुम्हारा एक्सिडेंट हुआ …और तुम अब इस दुनिया में नहीं हो !”