Wednesday, December 10, 2025

"क्या अपने शहर को साफ़ रखना सिर्फ़ सरकार की ज़िम्मेदारी है, हमारी नहीं ? सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर बनाकर देती है पर उसे संभालना क्या हमारी ज़िम्मेदारी नहीं है ,आईये जानें इस ज़िम्मेदारी में कौन-कौन लोग कोताही कर रहे हैं ?"



यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण और विचारणीय विषय है। शहर को साफ़ रखना केवल सरकार की ज़िम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह हम नागरिकों का भी उतना ही बड़ा कर्तव्य है।

सरकार का काम बुनियादी ढांचा (Infrastructure) जैसे सड़कें, कूड़ादान, जल निकासी प्रणाली, और कूड़ा संग्रहण व्यवस्था (Waste Collection System) स्थापित करना और उसका प्रबंधन करना है। लेकिन उस व्यवस्था को बनाए रखना, उसका सम्मान करना और उसमें सहयोग देना हमारी सामूहिक ज़िम्मेदारी (Collective Responsibility) है।

ज़िम्मेदारी निभाने में कोताही करने वाले समूह

शहर की सफ़ाई के प्रति लापरवाही बरतने वाले मुख्य समूह और उनके कृत्य निम्नलिखित हैं:

1. आम नागरिक और निवासी (General Citizens and Residents) 

  • कचरा सड़कों पर फेंकना: सबसे बड़ी कोताही। लोग कूड़ेदान के पास होने के बावजूद, चलते-फिरते या वाहन चलाते समय कचरा (जैसे प्लास्टिक की बोतलें, रैपर) सड़कों पर या खुले में फेंक देते हैं।

  • खुले में थूकना/पेशाब करना: यह न केवल शहर को गंदा करता है, बल्कि स्वास्थ्य और स्वच्छता के लिए भी एक बड़ा खतरा है।

  • कचरा जलाना: कई क्षेत्रों में, लोग कूड़े को इकट्ठा करके जला देते हैं, जिससे भयानक वायु प्रदूषण फैलता है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

  • पृथक्करण (Segregation) में लापरवाही: घरों में सूखे और गीले कचरे को अलग-अलग करने की प्रक्रिया का पालन नहीं करना, जिससे नगर निगम के लिए प्रभावी रीसाइक्लिंग (recycling) करना असंभव हो जाता है।

2. दुकानदार और व्यापारी (Shopkeepers and Vendors) 🏪

  • व्यावसायिक कचरे का अनुचित निपटान: छोटे दुकानदार और बड़े व्यापारी अक्सर अपने व्यावसायिक कचरे (पैकेजिंग सामग्री, पुराने स्टॉक, बचा हुआ खाना) को रात के समय चुपके से सार्वजनिक कूड़ेदानों के बाहर या नालियों में फेंक देते हैं।

  • अतिक्रमण के साथ गंदगी: ठेले वाले या खाने-पीने की चीज़ें बेचने वाले अक्सर काम की जगह के चारों ओर गंदगी फैलाते हैं और काम खत्म होने के बाद सफाई नहीं करते।

3. निर्माण कंपनियाँ और ठेकेदार (Construction Companies and Contractors) 🚧

  • निर्माण सामग्री का ढेर: निर्माण कंपनियाँ अक्सर रेत, सीमेंट, ईंटें और मलबा सड़कों के किनारे या फ़ुटपाथों पर जमा कर देती हैं। इससे सफ़ाई में बाधा आती है, धूल उड़ती है और प्रदूषण बढ़ता है।

  • मलबा हटाना नहीं: निर्माण कार्य पूरा होने के बाद भी, मलबा और कचरा महीनों तक वहीं पड़ा रहता है, जिससे शहर का सौंदर्य और स्वच्छता प्रभावित होती है।

4. स्थानीय सरकारी अधिकारी और सफ़ाई कर्मचारी (Local Authorities and Sanitation Workers) 

यह ज़िम्मेदारी मुख्य रूप से नागरिकों की लापरवाही पर है, लेकिन व्यवस्था बनाने वालों की तरफ से भी कुछ कोताही होती है:

  • अनियमित सेवा: कुछ नगर निगमों में कूड़ा उठाने की गाड़ियाँ और सफ़ाई कर्मचारी अनियमित रूप से आते हैं या निर्दिष्ट समय का पालन नहीं करते, जिससे नागरिक मजबूरन कूड़े को बाहर फेंक देते हैं।

  • बुनियादी ढाँचे का रखरखाव नहीं: टूटे हुए या ओवरफ्लो होते कूड़ेदानों और जाम हुई नालियों की मरम्मत समय पर नहीं की जाती।

  • प्रभावी निगरानी का अभाव: नियमों का उल्लंघन करने वालों पर सख़्ती से जुर्माना (Fine) लगाने की व्यवस्था कमज़ोर होती है, जिससे नागरिकों में कानून का डर नहीं रहता।

निष्कर्ष: साझा निवेश

शहर की सफ़ाई एक साझा निवेश है। सरकार को बेहतरीन सुविधाएँ देनी होंगी, लेकिन अगर हम नागरिक अपनी ज़िम्मेदारी नहीं समझेंगे और कूड़ादान से बाहर कूड़ा फेंकना जारी रखेंगे, तो कोई भी व्यवस्था सफल नहीं हो सकती।

स्वच्छ शहर का आधार नागरिक की ईमानदारी (Integrity) और सभ्य व्यवहार (Civic Sense) पर टिका होता है। जब तक हर व्यक्ति अपने घर के बाहर की जगह को भी अपनी निजी संपत्ति जितना साफ़ नहीं मानेगा, तब तक स्वच्छता की चुनौती बनी रहेगी।

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