Saturday, March 03, 2012

koi yeh kaise bataaye....



कोई यह कैसे बताए कि वह तन्हा... (जगजीत सिंह)

यह शेर मशहूर ग़ज़ल "कोई यह कैसे बताए कि वो तन्हा क्यों है" का हिस्सा है।

विवरण (Detail)जानकारी (Information)
गायक (Singer)जगजीत सिंह (Jagjit Singh)
शायर (Poet)कैफ़ी आज़मी (Kaifi Azmi)
फिल्म (Film)अर्थ (Arth) (1982)
संगीत (Music)जगजीत सिंह और चित्रा सिंह

शेर का पूरा रूप और अर्थ

यह ग़ज़ल का शुरुआती शेर (मतला) है:

कोई यह कैसे बताए कि वो तन्हा क्यों है

वो जो अपना था, वही और किसी का क्यों है

व्याख्या (Explanation):

  1. "कोई यह कैसे बताए कि वो तन्हा क्यों है"

    • मतलब: इंसान के लिए यह समझाना या शब्दों में व्यक्त करना बहुत मुश्किल होता है कि वह अकेलापन क्यों महसूस कर रहा है। अक्सर अकेलेपन की वजहें इतनी जटिल होती हैं कि उन्हें आसानी से समझाया नहीं जा सकता।

  2. "वो जो अपना था, वही और किसी का क्यों है"

    • मतलब: शायर यहाँ अकेलेपन का सबसे बड़ा कारण बताता है - विश्वासघात या खोया हुआ प्यार

    • जिस व्यक्ति को आप अपना मानते थे, वह आज किसी और के साथ है। यह एहसास कि अपना सबसे करीबी इंसान दूर हो गया है, अकेलेपन की भावना को बहुत गहरा कर देता है।

ग़ज़ल की खासियत

  • गहरा भावनात्मक जुड़ाव: जगजीत सिंह की शांत और दर्द भरी आवाज़ ने कैफ़ी आज़मी के इन सीधे लेकिन मार्मिक शब्दों को अमर बना दिया।

  • फिल्म 'अर्थ' का संदर्भ: यह फिल्म संबंधों में जटिलता और अकेलेपन पर आधारित थी। यह गीत फिल्म के नायक (शबाना आज़मी) की अंदरूनी पीड़ा को दर्शाता है।

(This video is posted by channel – Goldmines Gaane Sune Ansune  on YouTube, and Raree India has no direct claims to this video. This video is added to this post for knowledge purposes only.)


Padhna hai to insaan ko .....

























Photo Credit:Andreas Stridsberg 




Padhna hai to insaan ko padhne ka hunar seekh,
likha hai chehron pe kitaabon se bhi zyaada....

Unknown

Paal le kuch rog....



















Paal le kuch rog zindagi ke vaaste
sirf sehat ke sahaare zindagi nahi katt-ti ....

Unknown

Apni matti pe hi ....

Apni matti pe hi chalne ka saleeqa seekho,
sang-e-marmar pe chaloge to phisal jaaoge.....


यह शेर एक बहुत ही गहरा सामाजिक और दार्शनिक (philosophical) संदेश देता है, जिसे सरल शब्दों में व्यक्त किया गया है। यह शेर आधुनिक शायरी का एक बेहतरीन उदाहरण है जो विरासत और सादगी पर ज़ोर देता है।

यहाँ इस शेर का विस्तृत विश्लेषण और व्याख्या दी गई है:


अपनी मिट्टी पे ही चलने का सलीका सीखो...

1. शेर का शाब्दिक अर्थ (Literal Meaning)

टुकड़ा (Phrase)शाब्दिक मतलब (Literal Meaning)
अपनी मिट्टी पे ही चलने का सलीक़ा सीखो,अपनी ज़मीन (माटी/मिट्टी) पर चलने का सही ढंग (सलीक़ा) सीखो।
संग-ए-मरमर पे चलोगे तो फिसल जाओगे।अगर तुम संगमरमर (मार्बल) जैसी चिकनी सतह पर चलोगे, तो फिसल जाओगे।

2. शेर का दार्शनिक और निहितार्थ (Philosophical and Deeper Meaning)

इस शेर में शायर ने 'मिट्टी' और 'संग-ए-मरमर' को प्रतीकों (symbols) के रूप में इस्तेमाल किया है:

  • 'अपनी मिट्टी' (Your Own Soil):

    • प्रतीक: यह अपनी जड़ें, संस्कृति, परंपरा, सादगी, ईमानदारी, संघर्ष और वास्तविक पहचान का प्रतीक है।

    • अर्थ: शायर सलाह दे रहा है कि अपने जीवन में अपने मूल्यों (Values) पर टिके रहें, अपनी सादगी और मेहनत को न भूलें। अपनी जड़ों को पहचानकर आगे बढ़ना ही सबसे सुरक्षित रास्ता है।

  • 'संग-ए-मरमर' (Marble):

    • प्रतीक: यह दिखावे, कृत्रिमता (Artificiality), अत्यधिक विलासिता (Luxury), पश्चिमीकरण (Westernization), चमक-दमक और आसान सफलता का प्रतीक है। संगमरमर सुंदर और चिकना होता है, लेकिन उस पर संतुलन बनाना मुश्किल होता है।

    • अर्थ: अगर आप दिखावे की दुनिया में या आसान चमक-दमक वाली राह पर चलेंगे, तो आप फिसल जाएंगे। फिसलने का मतलब है नैतिक रूप से गिरना, अपनी पहचान खोना, या नाकाम हो जाना

3. प्रमुख संदेश (Main Message)

इस शेर का मुख्य संदेश है:

  1. जड़ों से जुड़ाव (Connecting to Roots): अपनी जड़ों और अपनी संस्कृति की मज़बूती को पहचानो। आपकी सादगी ही आपकी सबसे बड़ी ताकत है।

  2. सादगी में सुरक्षा (Safety in Simplicity): जीवन की साधारण और वास्तविक राहें, दिखावे वाली चिकनी और आसान राहों से ज़्यादा सुरक्षित होती हैं।

  3. ईमानदारी का महत्व: अपने काम और व्यवहार में ईमानदारी (जो मिट्टी की तरह खुरदरी और मज़बूत होती है) बनाए रखना ज़रूरी है, क्योंकि दिखावे की चिकनाहट (संगमरमर) अक्सर पतन (fall) का कारण बनती है।

4. शायर की जानकारी

यह शेर मशहूर और समकालीन (contemporary) शायर अज्ञात का है। यह शेर सोशल मीडिया और मुशायरों में बहुत मशहूर हुआ, जहाँ लोग इसे अक्सर बशीर बद्र या राहत इंदौरी जैसे बड़े नामों से जोड़ देते हैं, लेकिन यह उनकी प्रमाणित रचनाओं में शामिल नहीं है। इसकी सादगी और गहरा संदेश ही इसकी सबसे बड़ी ख़ासियत है।

Rahi na taakat-e-guftaar....
















Rahi na taakat-e-guftaar, aur agar ho bhi,
to kis ummeed pe kahiye ke aarzoo kya hai.......

MIRZA GHALIB

रही न ताक़त-ए-गुफ़्तार... (मिर्ज़ा ग़ालिब)

1. शेर का शाब्दिक अर्थ (Literal Meaning)

टुकड़ा (Phrase)शाब्दिक मतलब (Literal Meaning)
रही न ताक़त-ए-गुफ़्तार,बोलने की शक्ति (ताक़त) अब बची ही नहीं,
और अगर हो भी,और मान लीजिए कि अगर वह शक्ति हो भी,
तो किस उम्मीद पे कहिए कि आरज़ू क्या है।तो किस उम्मीद पर यह बताया जाए कि मेरी इच्छा (आरज़ू) क्या है।

Na mitt sakeingi ye.....






















Na mitt sakeingi ye tanhaayiyaan ae dost,
jo tu bhi ho, to tabiyat zaraa sambhal jaaye....

Unknown 

न मिट सकेंगी  ये तन्हाईयाँ ऐ दोस्त...

1. शेर का शाब्दिक अर्थ (Literal Meaning)

टुकड़ा (Phrase)शाब्दिक मतलब (Literal Meaning)
न मिट सकेंगे ये तन्हाईयाँ ऐ दोस्त,ऐ दोस्त (या प्रिय), ये अकेलापन (तन्हाईयाँ) पूरी तरह से मिट नहीं पाएगा,
जो तू भी हो, तो तबीयत ज़रा सँभल जाए।लेकिन अगर तुम मेरे पास आ जाओ, तो कम से कम मन (तबियत) में थोड़ी शांति या सुधार (सँभल जाए) आ जाएगा।

2. शेर का निहितार्थ (Deeper Meaning)

यह शेर अकेलेपन की स्वीकार्यता (Acceptance of Solitude) और दोस्त की सांत्वना (Comfort of a Friend) के बीच का अंतर बताता है:

  • पहले चरण का दर्शन (Unavoidable Loneliness): शायर जानता है कि जीवन की कुछ तन्हाईयाँ ऐसी होती हैं जो पूरी तरह से कभी खत्म नहीं होतीं। यह एक गहरी और स्थायी भावना हो सकती है जो व्यक्ति के भीतर रहती है। यह मानता है कि अकेलापन जीवन का एक हिस्सा है, जिसे पूरी तरह मिटाया नहीं जा सकता।

  • दूसरे चरण की उम्मीद (The Hope in Friendship): इसके बावजूद, शायर अपने दोस्त या प्रिय व्यक्ति को पुकारता है। वह कहता है कि भले ही तुम मेरे पास आ जाओ, तो भी यह पूरा अकेलापन तो नहीं हटेगा, लेकिन कम से कम मेरी तबियत (मन की स्थिति/Mood) थोड़ी बेहतर हो जाएगी, उसे सहारा मिल जाएगा, और वह संभल जाएगी।

3. प्रमुख संदेश (Main Message)

इस शेर का मुख्य संदेश यह है कि दोस्त या प्रियजन का साथ इलाज (Cure) नहीं है, बल्कि मरहम (Soothe) है। सच्चा साथ हमारी सबसे गहरी उदासी को खत्म नहीं कर सकता, लेकिन हमें उससे लड़ने की हिम्मत और हमारे मन को शांति ज़रूर दे सकता है। यह दिखाता है कि मानवीय संबंध (Human connection) कितनी अहमियत रखते हैं, भले ही वे अस्थायी रूप से ही क्यों न हों।

4. मीटर/वज़्न (Metre Check)

यह शेर एक बहुत ही आम और मधुर मीटर 'बह्र-ए-रमल' के एक रूप में है, जो ग़ज़लों और नज़्मों में इस्तेमाल होता है, जिससे इसमें एक धीमी और बहती हुई लय आती है।

Tamanna sar balandi ki....



























Tamanna sar balandi ki humein bhi tang karti hai,

magar hum doosron ko raund kar uuncha nahi hote.....

तमन्ना सर-बलंदी की हमें भी तंग करती है,
मगर हम दूसरों को रौंद कर ऊँचा नहीं होते...

Waseem Barelvi

1. शेर का शाब्दिक अर्थ (Literal Meaning)

टुकड़ा (Phrase)शाब्दिक मतलब (Literal Meaning)
तमन्ना सर-बलंदी की हमें भी तंग करती है,ऊँचा उठने की इच्छा (सर-बलंदी, यानी ऊँचाई, तरक्की) हमें भी परेशान (तंग) करती है,
मगर हम दूसरों को रौंद कर ऊँचा नहीं होते।लेकिन हम दूसरों को कुचल कर (रौंद कर) ऊँचाई हासिल नहीं करते।

2. शेर का निहितार्थ (Deeper Meaning and Philosophy)

यह शेर मनुष्य की महत्वाकांक्षा (Ambition) और नैतिक सीमा (Ethical Boundary) के बीच के संघर्ष को दर्शाता है:

  • 'तमन्ना सर-बलंदी की': यह स्वीकारोक्ति है कि शायर भी बाक़ी इंसानों की तरह सफलता, सम्मान और ऊँचाई हासिल करना चाहता है। यह इच्छा उन्हें बेचैन (तंग) करती है और उन्हें मेहनत करने के लिए प्रेरित करती है। यहाँ शायर अपनी भावनाओं को छिपाता नहीं है।

  • 'दूसरों को रौंद कर ऊँचा नहीं होते': यह शेर का मुख्य विचार है और शायर के मज़बूत चरित्र को दर्शाता है।

    • 'रौंदना' का अर्थ है: किसी को नुकसान पहुँचाना, किसी की तरक्की रोकना, किसी का हक छीनना, या अनैतिक तरीकों का इस्तेमाल करके खुद आगे बढ़ना।

    • शायर दृढ़ता से कहता है कि उसकी महत्वाकांक्षा (Ambition) कितनी भी बड़ी क्यों न हो, वह अपनी सफलता के लिए दूसरों की कीमत पर समझौता नहीं करेगा। वह अनैतिक सीढ़ी का इस्तेमाल नहीं करेगा।

3. प्रमुख संदेश (Main Message)

इस शेर का प्रमुख संदेश नैतिकता के साथ सफलता (Success with Ethics) है:

  1. शुद्ध महत्वाकांक्षा: महत्वाकांक्षी होना ग़लत नहीं है, लेकिन महत्वाकांक्षा को पूरा करने का तरीका साफ और नैतिक होना चाहिए।

  2. आत्म-सम्मान: यह आत्म-सम्मान (Self-Respect) की भावना को दर्शाता है कि व्यक्ति ऊँचाई हासिल करने के लिए दूसरों के प्रति दयालुता और न्याय के सिद्धांतों से समझौता नहीं करेगा।

  3. कर्म की पवित्रता: सफलता तभी मायने रखती है जब उसे नेकनीयती और ईमानदारी से हासिल किया जाए।

4. शायर की जानकारी

यह शेर मशहूर शायर वसीम बरेलवी (Waseem Barelvi) की ग़ज़ल से लिया गया है। वसीम बरेलवी अपनी ग़ज़लों में साफ़, सरल और मानवीय मूल्यों पर आधारित बातें कहने के लिए बहुत प्रसिद्ध हैं।

Photo Credit :Anatol Knotek Visual Poetry

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