Wednesday, September 19, 2012

सम्मान


मेरा सम्मान मत करना
क्योंकि मैं एक इंसान हूँ
और इंसान में होती हैं
सौ बुराइयाँ भी
सौ कमज़ोरियाँ भी..
इंसान में होते हैं
सौ अवगुण भी
सौ दोष भी…
इसलिए…..
मुझे सम्मानित हर्ग़िज़ मत करना
क्योंकि जो हार तुम मुझे पहनाओगे
वही पहन लेंगी मेरी कमज़ोरियाँ भी
जिस आसन पर तुम मुझे बैठाओगे
मेरे साथ उसी पर बैठेंगे
मेरे दोष भी…
और मेरे दोस्त !
आसन पर बैठे हुए दोषों से बुरा
कुछ नहीं होता।
आसन पर बैठे दोष
दोषी बना देते हैं एक युग को।
सिंहासन पर बैठी कमज़ोरियाँ
कमज़ोर बना देती हैं एक पीढ़ी को।
इस लिए मत सम्मान देना मुझे
मेरे दोषों और कमज़ोरियों के साथ।
अगर कोई एकाध अच्छाई
मिल जाए मुझमें
तो सम्मान देना उसे।
मेरा नाम लिए बग़ैर
उसे पहनाना श्रद्धा के हार
और बैठा लेना
ह्रदय के सिंहासन पर
उसे,
मुझे नहीं,
क्योंकि मैं एक इंसान हूँ
और इंसान में होती हैं
सौ कमज़ोरियाँ भी,
सौ बुराइयाँ भी….


(रविकांत अनमोल)

बगल के मैदान में


बगल के मैदान में
सुबह से ही
गहमा-गहमी थी,
टेंट लग रहा था
दरियां बिछ रही थीं
कु्र्सियां 
सज रही थीं ।
रह-रहकर 
हेलो, हेलो, टेस्टिंग ....
माईक जांचा जा रहा था ।
पता चला 
आनेवाले हैं
दूरसंचार के
विशिष्ट अधिकारी,
सोचा , घर में
खाली ही बैठी हूँ,
चलूँ, कुछ
मैं भी देख लूँ,
कुछ मैं भी सुन लूँ ,
ठीक समय पर
अतिथि आये,
गणमान्य लोगों ने,
हार  पहनाये,
कार्य-क्रम शुरू हुआ
कुछ धन्यवाद,
कुछ, अभिवादन हुआ,
अधिकारी ने
अपने भाषण में
कई मुद्दे उठाये,
तरक्की के
अनेकों नुस्खे बताये,
कहा, फाल्ट रेट
घटाइये,
विनम्रता से पेश आइये,
वन विंडो कानसेप्ट
अपनाइये और,
कस्टमर की सारी उलझने
एक ही खिड़की पर 
सुलझाइये ।
तालियां बजी
प्रशंसा हुई
और दूसरे ही दिन,
अक्षरशः
पालन किया गया,
एक खिड़की छोड़कर 
ताला भर दिया गया ।
हर मर्ज्ञ के लिये लोग
एक ही जगह
आने लगे,
सुबह से शाम तक
क्यू में बिताने लगे,
कुछ
उत्साही किस्म के लोग
खाने का डब्बा भी
साथ लाते थे,
आस-पास बैठकर
पिकनिक मनाते थे ।
मुझे भी
एक शिकायत 
लिखवानी थी,
पहुँच गई 10 से पहले
लेकिन
तीन लोग
पहुँच चुके थे
मुझसे भी पहले ।
खिड़की खुली, दिखा
एक विनम्र चेहरा
याद आ गई,
विनम्रता से पेश आइये ।
मैं परसों भी आया था
लाईन में खड़े 
पहले व्यक्ति ने कहा,
फोन खराब है मेरा
चार दिनों से……. 
जवाब आया तत्काल,
चिन्ता न करे,
काम हो रहा है,
आप क्यू में हैं .
अब, दूसरे की बारी थी,
भाई साहब, मेरे फोन पर
काल आता हैं,
जाता नहीं
क्या हुआ कुछ 
पता ही नहीं ,
आप जरा दिखवा दीजिये,
प्लीज्ञ, ठीक करा दीजिये,
ठीक है,
आप घर चलिये
मैं दिखवाता हूँ,
आप तसल्ली रखिये
कुछ करवाता हूँ ,
वैसे भी आपके फोन तो
आ ही रहे हैं
रही बात, करने की
सो
आपके सुविधा के लिये ही तो
हमने
जगह-जगह
टेलीफोन बूथ
खुलवाये हैं,
आप उपभोक्ता हैं 
आपके साथ 
हमारी
शुभकामनायें हैं.
तीसरा आदमी
आगे बढ़ा,
देखिये, हमारे फोन का
बिल बहुत ज्यादा है
हमने जब
किया ही नहीं
फिर 
ये कौन सा कायदा है,
देखिये जनाब,
आपके मीटर पर 
यही रीडींग आई है,
अब मीटर आदमी तो है नहीं
कि
कोई सुनवाई है ,
बिल भर दीजिये
बाद में देख लेंगे,
कुछ नहीं, हुआ तो
डिसकनेक्ट कर देंगे ,
हाँ बहन जी- अब आप बोलिये,
आपको क्या तकलीफ है
मैंने कहा,
मेरी समस्या
कुछ अलग किस्म की है,
टेलीफोन की घंटी
समय-असमय, घनघनाती है
रिसीवर उठाने पर,
प्लीज्ञ चेक द नंबर,
“यू हैव डायल्ड”
बार-बार, दोहराती है,
अब आप ही बताइये,
यह कौन सी सेवा
हमें उपलब्ध कराई है,
कि डायल किये बगैर
ऐसी सूचना, आई है ,
भई, 
आपकी समस्या तो
मेरी समझ से
बाहर है ,
इसकी तो, मैं कहता हूँ
जड़ से पता लगाइये,
ऐसा कीजिये,
आप
संचार भवन जाइये, 
वहाँ हर कमरा
वातानुकूलित है,
सारी खिड़कियाँ मिलेंगी बंद
लेकिन 
वहीं करनी होगी
आपको जंग,
किसी एक खिड़की को
खुलवाइयेगा
और
अपना कम्प्लेन 
वहीं दर्ज कराइयेगा ।


(मृदला प्रधान )

Tuesday, September 18, 2012

Amazing photography by Ursula Sanders


Beautiful Handbags















Humsafar... हमसफ़र
























Chaand ki simt jab urrta hoon
चाँद की सिम्त जब उतरता हूँ 

To har baar ajab saniha ho jata hai
तो हर बार अजब सानिहा हो जाता है 

Mere ghar mein jalaa karta hai jo matti ka diya
मेरे घर में जला करता है जो मिटटी का दिया 

Apni lou sar pe rakhe aata hai
अपनी लौ सर पर रखे आता है 

aur kehta hai
और कहता है 

Terey saath chaloonga, ke safar door ka hai
तेरे साथ चलूँगा, के सफ़र दूर का है 

aur tu raah se bhatkaa
और तू राह से भटका  

To main be'aasara reh jaoonga !!
तो मैं बेआसरा रह जाऊँगा  !!

(Ahmed Nadeem Qasami)

Sunday, September 16, 2012

Rare “NakhaChitra” (fingernail sculpted art) by Suhas Tavkar


Word “NAKHACHITRA” comes from the ancient Indian Sanskrit language of the Hindus for the Fingernail sculpted art, which is created just by using own fingernails (God-given fingernails as a basic tool to write and draw) without using any artist tools, machine or hand press. "Nakhachitrakala" (fingernail sculpted art technique) is one of the world's rarest, ancient, unique and unknown art form. If you wana know more about this beautiful art of Mr. Suhas Tavkar , here is the link






Beautiful jewelry sets


Search This Blog