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Tuesday, July 31, 2012
और आज ..
इक दौर था वो भी...
हर घर के किसी एक ही कमरे में पड़ा
एक ही टी.वी.
सबका सांझा हुआ करता था
शाम ढलते ही उमड़ पड़ता
देखने वालों का जमावड़ा
सब के सब एक ही जगह ...
सब... इक साथ...पास-पास
सबकी सांझी ख़ुशी, सांझी सोच, सांझी मर्ज़ी
तब ......
घर में सब जन एक थे... सब इक साथ ...
इक दूजे के पास-पास, इक दूजे के साथ-साथ
इक दौर है ये भी ...
प्रगति का दौर ....
अब.... सब के पास... सब अपना है
सब.... अलग-अलग अपना
अपना अलग कमरा... अपना अलग टी.वी.
अलग ख़ुशी, अलग सोच, अलग मर्ज़ी ...
हाँ , सब... अलग-अलग अपना
और आज .......
अपने अपने सामान के साथ
हर कोई अकेला है ......
(daanish)
Mr. Traas - A very interesting Short Film
यह वीडियो 'मिस्टर ट्रास - एन आइडिया शॉर्ट फिल्म' (Mr. Traas - An Idea Short Film) है, जो Idea Cellular द्वारा प्रायोजित एक लघु फिल्म है। यह फिल्म महज़ 13 मिनट 45 सेकंड की है और मानवीय स्वभाव (Human Nature) के बारे में एक दिलचस्प सामाजिक प्रयोग को दर्शाती है।
कहानी का सारांश (Plot Summary)
यह फिल्म एक कंजूस, क्रोधी और घमंडी पिता मिस्टर शर्मा के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपने परिवार, कर्मचारियों और यहाँ तक कि घर के नौकरों के प्रति भी बेहद कठोर और शिकायत करने वाला है।
मिस्टर शर्मा का व्यवहार:
वह अपनी पत्नी को फीकी चाय (चीनी कम होने पर) और बासी खिचड़ी के लिए कोसते हैं [
].00:57 वह अपनी बेटी को एनुअल फंक्शन की ड्रेस के लिए 500 रुपये देने से मना कर देते हैं और उसे कहते हैं कि "मनी प्लांट पर पैसे नहीं उगते" [
].02:28 वह अपने बेटे पर भरोसा नहीं करते और सोचते हैं कि वह कार लेने के बहाने डॉक्टर के पास जाने की पेशकश कर रहा है [
].03:42 वह अपनी नई कार को धोने वाले गरीब कर्मचारी को फटकार लगाते हैं और उसे 'आलसी' कहते हैं [
].04:57 वह एक भिखारी से भी बदतमीजी करते हैं जब वह पैसे मांगता है [
].05:37
जीवन बदलने वाला 24 घंटे का डर:
मिस्टर शर्मा को डॉक्टर का फोन आता है। डॉक्टर उन्हें बताता है कि उनके सिर दर्द की रिपोर्ट आ गई है और उन्हें ब्रेन ट्यूमर (मस्तिष्क ट्यूमर) है, जो लास्ट स्टेज में है, और बचने की संभावना बहुत कम है [
].06:06 मौत करीब देखकर, मिस्टर शर्मा का व्यवहार पूरी तरह बदल जाता है:
वह तुरंत भिखारी को ढूंढते हैं, उससे माफी मांगते हैं, और 500 रुपये देते हैं [
].06:25 वह कार धोने वाले कर्मचारी से प्यार से बात करते हैं और उसके काम की तारीफ करते हैं [
].07:02 वह अपनी पत्नी से प्यार से बात करते हैं और कहते हैं कि "अब क्या फायदा, मैं चीनी के मामले में कंजूसी नहीं करता" [
].08:16 वह अपनी बेटी को एनुअल फंक्शन के लिए पैसे देते हैं और उसे गले लगाते हैं [
].08:39 वह अपने बेटे को अपनी कार की चाबी और घर की जिम्मेदारी देते हैं, और पहली बार कहते हैं "आई लव यू बेटा, आई एम रियली प्राउड ऑफ यू" [
].09:08
विडंबनापूर्ण मोड़ (Climax and Twist):
अगले दिन सुबह, डॉक्टर का फिर से फोन आता है। डॉक्टर बताता है कि रिपोर्ट्स गलती से बदल गई थीं। मिस्टर शर्मा को ब्रेन ट्यूमर नहीं, बल्कि सिर्फ माइग्रेन अटैक था [
].11:10 सच्चाई जानने के बाद मिस्टर शर्मा का व्यवहार तुरंत वापस पहले जैसा हो जाता है [
].11:36 वह अपने बेटे से गाड़ी की चाबी वापस मांगते हैं, पत्नी को फिर से खराब चाय के लिए डांटते हैं, और अपने कर्मचारी को 'आलसी' कहते हैं [
].11:46 वह भिखारी से अपने 500 रुपये वापस मांगते हैं [
].13:07
सन्देश (Theme)
फिल्म का अंत इस विचार के साथ होता है कि इंसान का स्वभाव तभी बदलता है जब उसे किसी आफत या खो जाने के डर का सामना करना पड़ता है। जैसे ही खतरा टलता है, वह व्यक्ति अपनी पुरानी बुरी आदतों पर लौट आता है [
(This video is posted by channel –Idea on YouTube, and Raree India has no direct claims to this video. This video is added to this post for knowledge purposes only.)
Thursday, July 26, 2012
मुहावरे.....
बेकार चीज़ फेंक देना होता है सही...
ऐसा सुनते आए अब तक...
पर जब शब्द अर्थ खोने लगें तो क्या करें ...
ज़ाहिर है फेंक दो उन्हें अंधी खाई में...
ऐसे कुछ शब्दों से बने मुहावरे खो चुके हैं अर्थ...
पर कुछ लकीर के फकीर करते हैं उनका उपयोग गाहे-बगाहे...
उदाहरणार्थ वो कहते हैं
झूठ के पाँव नहीं होते...
पर अक़्सर नज़र आते हैं कई झूठ, कई तरह की दौड़ों में अव्वल आते हुए..
सांच को आंच नहीं...
पर सच जला-बुझा सा कोने में पड़ा मिलता है अदालतों में...
भगवान के घर देर है...अंधेर नहीं..
पर भगवान ख़ुद अमीरों की इमारतों में उजाला करने में है व्यस्त
सौ सुनार की, एक लोहार की...
पर आज के बाज़ार ने लोहार को गायब कर दिया बाज़ार से...
न नौ मन तेल होगा...न राधा नाचेगी..
पर राधा मीरा नाच रहीं चवन्नी-अठन्नी पर किसी सस्ते बार में...
चैन की नींद सोना...
पर मेरे बूढ़े पिता रिटायर होने के बाद जागते हैं उल्लुओं की तरह...
अनिष्ट की आशंका में...
ये मुहावरे मिटा डालो
फाड़ो वो पन्ने जो इनका बोझ ढो के बोझिल हो चुके..
निष्कासित करो उन लकीर के फकीरों को..
जो इनके सच होने की उम्मीद लगाए बैठे हैं...
(अश्विनी)
Bhare Naina , Bahe More Naina
(This video is posted by channel – {T-Series}
on YouTube, and Raree India has no direct claims to this video. This video is
added to this post for knowledge purposes only.)
मैं कविता में.... मुझ में कविता ....
मैं , अक्सर ही
अपनी इक बेसुध-सी धुन में
कुछ लम्हों को साथ लिए, जब
अलबेली अनजानी ख़्वाबों की दुनिया में
ख़ुद अपनी ही खोज-ख़बर लेने जाता हूँ
तब, कुछ जानी-पहचानी यादों का जादू
मुझको अपने साथ बहा कर ले जाता है ...
लाख जतन कर लेने पर भी
कुछ पुरसोज़ ख़यालों को, जब,
लफ़्ज़ों से लबरेज़ लिबास नहीं मिल पाता
ज़हन में, पल-पल चुभते, तल्ख़ सवालों का जब
मरहम-सा माकूल, जवाब नहीं मिल पाता
ऐसे में मैं,,
ऐसे में मैं भूल के ख़ुद को
उसको याद किया करता हूँ
अनजानी आहट की राह तका करता हूँ
और अचानक
इक आमद होने लगती है
आड़े-तिरछे लफ़्ज़, लक़ीरें,
ख़ुशख़त-सी तहरीरों में ढलने लगते हैं
कुछ क़तरे, कुछ मुस्कानें, सब,
'इक कविता-सी' हो जाते हैं ...
फिर मैं, और मेरी ये कविता
इक दूजे से, देर तलक बातें करते हैं
काग़ज़ के टुकड़े पर फ़ैली...
वो, मेरे सीने पे सर रख, सो जाती है
मैं भी देर तलक उसको पढता रहता हूँ
हम दोनों ही खो जाते हैं...
मैं कविता में...
मुझ में कविता ....
Bus itna to hai hi.....बस इतना तो है ही
यूं ही कहीं
yun hi kahin
तनहाई के किन्हीं खाली पलों में
tanhaayi ke kinhin khaali palon mein
ख़यालात के कोरे पन्नों पर
khayaalaat ke korey pannon per
जब
jab
खिंचने लगें
khinchne lagein
कुछ आड़ी-तिरछी सी लक़ीरें
kuch aadhi tirchi si lakeerein
बुन-सा जाए
buun sa jaaye
यादों का इक ताना-बाना
yaadon ka ekk taana baana
रचने लगे
rachne lage
इक अपनी-सी दुनिया
ekk apni si duniya
फिर वह सब ...
phir veh sab...
कोई कविता , गीत , ग़ज़ल
koi kavita, geet, ghazal
हो न हो...
ho na ho...
बस इतना तो है ही
bus itna to hai hi
ख़ुद से मुलाक़ात का
khud se mulaaqaat ka
इक बहाना तो हो ही जाता है ...............
ekk bahaana sa to ho hi jaata hai............
(दानिश)
इबादत....
माना ,
कि मुश्किल है
बहुत मुश्किल
इस तेज़ रौ ज़िन्दगी की
हर ज़रुरत में
हर पल किसी के काम आ पाना
इस भागते-दौड़ते वक्त में
हर क़दम
किसी का साथ दे पाना
इस अपने आप तक सिमटे दौर के
हर दुःख में
किसी का सहारा बन पाना
हाँ ! बहुत मुश्किल है
लेकिन
कुछ ऐसा भी मुश्किल तो नहीं
ख़ुदा से
अपने लिए की गयी बंदगी के नेक पलों में
किसी और के लिए भी दुआएं करते रहना
अपना भला चाहते-चाहते
दूसरों का भी भला मांगते रहना ....
सच्ची इबादत....
अब इसके सिवा
और...
हो भी तो क्या !!
(दानिश)
Sunday, July 22, 2012
French roast- Charlie McCormick
This Video is posted by Charlie McCormick on You Tube
About "French Roast"
Director/Writer: Fabrice O. Joubert
Release Year: 2008
Genre: Animated Short Film, Comedy
Accolades: It was nominated for the Academy Award for Best Animated Short Film in 2010.
Runtime: Approximately 8 minutes
Synopsis: The film is set in a fancy Parisian café in the 1960s. An uptight businessman (who previously shooed away a beggar) sits down and, to his horror, realizes he has forgotten his wallet and can't pay his bill, which keeps mounting as he desperately orders more coffee to buy time. His growing panic and moral dilemma play out as he interacts with the people around him—a sleeping old nun and a returning beggar—leading to a hilarious twist that plays on the theme of deceptive appearances and unexpected kindness.
(This video is posted by channel – Charlie McCormick on YouTube, and Raree India has no direct claims to this video. This video is added to this post for knowledge purposes only.)
Dev Anand Superhit Song - Apni To Har Aah Ek Toofan Hai HD - Mohd Rafi - Waheeda Rehman | Kala Bazar
वीडियो और गीत का विवरण
The song "Apni To Har Aah Ek Toofan Hai" is a quintessential philosophical and slightly melancholic number featuring the evergreen Dev Anand and the graceful Waheeda Rehman.
गायक (Singer): मोहम्मद रफ़ी (Mohammed Rafi)
संगीतकार (Music Director): एस. डी. बर्मन (S. D. Burman)
गीतकार (Lyricist): शैलेंद्र (Shailendra)
फिल्मांकन: यह गीत मुख्य रूप से देव आनंद (रघुवीर) पर फिल्माया गया है, जो वहीदा रहमान (अलका) को देखकर एकांत में अपनी भावनाओं को व्यक्त कर रहा है. यह गीत रघुवीर द्वारा अलका के साथ फ़्लर्ट करने के प्रयास के रूप में शुरू होता है, लेकिन यह एक प्रार्थना के रूप में ढका हुआ है.
फ़िल्म 'काला बाज़ार' (Kala Bazar, 1960) के बारे में दिलचस्प तथ्य
Kala Bazar एक सामाजिक-अपराध नाटक (social-crime drama) है जिसे देव आनंद के भाई विजय आनंद ने लिखा और निर्देशित किया था, और यह फिल्म नवकेतन फिल्म्स के बैनर तले बनी थी.
1. आनंद ब्रदर्स की एकमात्र फिल्म
यह एकमात्र ऐसी फिल्म है जिसमें तीनों आनंद भाई—देव आनंद, विजय आनंद (जिन्होंने फिल्म का निर्देशन भी किया था), और चेतन आनंद—ने एक साथ अभिनय किया था.
देव आनंद ने मुख्य किरदार रघुवीर (Raghuveer) का रोल निभाया.
विजय आनंद ने अलका (Waheeda Rehman) के मंगेतर नंद कुमार चट्टोपाध्याय (Nand Kumar Chattopadhyay) का किरदार निभाया.
चेतन आनंद ने रघुवीर के वकील देसाई (Desai) का किरदार निभाया था.
2. रियल प्रीमियर फुटेज का इस्तेमाल
फिल्म में रघुवीर का किरदार (देव आनंद) सिनेमा टिकटों की ब्लैक मार्केटिंग करता है. इस विषय को दर्शाने के लिए, फिल्म में महबूब खान की प्रतिष्ठित फिल्म 'मदर इंडिया' (1957) के असली प्रीमियर फुटेज का इस्तेमाल किया गया था.
3. नंदा और देव आनंद की पहली साथ में फिल्म
यह फिल्म अभिनेत्री नंदा और देव आनंद की एक साथ पहली फिल्म थी. हालांकि, इस फिल्म में नंदा ने देव आनंद की बहन (सपना) का किरदार निभाया था. इसके बाद, उन्होंने हम दोनों (1961) और तीन देवियाँ (1965) जैसी फिल्मों में देव आनंद के साथ रोमांटिक लीड के तौर पर काम किया.
4. संगीत और गीत
यह फिल्म एस. डी. बर्मन और गीतकार शैलेंद्र के पहले सहयोगों में से एक थी. फिल्म के अन्य लोकप्रिय गानों में "खोया खोया चाँद," और "रिमझिम के तराने" शामिल हैं.
5. कहानी का आधार
फिल्म रघुवीर (देव आनंद) की कहानी बताती है, जो एक गरीब बस कंडक्टर है. नौकरी खोने के बाद, वह अपनी माँ और भाई-बहनों का समर्थन करने के लिए सिनेमा टिकटों की ब्लैक मार्केटिंग शुरू कर देता है, लेकिन कॉलेज की छात्रा अलका (वहीदा रहमान) से मिलने के बाद वह एक ईमानदार जीवन जीने का फैसला करता है.
(This video is posted by channel – SuperHit Gaane on YouTube, and Raree India has no direct claims to this video. This video is added to this post for knowledge purposes only.)
Zindagi ka safar hai yeh kaisa safar Koi samja nahi koi jana nahi .avi
यह गीत महान गायक किशोर कुमार की आवाज़ में गाया गया है और यह 1971 की क्लासिक फ़िल्म 'सफ़र' (Safar) का है।
यह गाना फ़िल्म के सबसे दार्शनिक (philosophical) और मार्मिक गीतों में से एक है।
यहाँ इस गीत से जुड़ी विस्तृत जानकारी दी गई है:
गीत का विवरण
| विवरण | जानकारी |
| गीत | "ज़िंदगी का सफ़र है ये कैसा सफ़र" |
| फ़िल्म | सफ़र (Safar) (1970/1971) |
| गायक | किशोर कुमार (Kishore Kumar) |
| संगीतकार | कल्याणजी-आनंदजी (Kalyanji-Anandji) |
| गीतकार | इंदीवर (Indeevar) |
| मुख्य कलाकार | राजेश खन्ना, शर्मिला टैगोर, फ़िरोज़ खान |
| गीत का मूड | उदास, दार्शनिक, जीवन की अनिश्चितता को दर्शाता हुआ। |
फ़िल्म 'सफ़र' और गीत का महत्व
राजेश खन्ना का अभिनय: यह फ़िल्म राजेश खन्ना के करियर की एक महत्वपूर्ण फ़िल्म है, जहाँ उन्होंने एक ऐसे व्यक्ति का किरदार निभाया जो कैंसर से जूझ रहा है और जीवन के प्रति एक अलग दृष्टिकोण रखता है।
दार्शनिक गहराई: यह गीत जीवन के आने-जाने और इसकी अनिश्चितताओं (uncertainties) पर गहरी टिप्पणी करता है। गीतकार इंदीवर ने बहुत ही सरल शब्दों में जीवन के अर्थ को समझने की कोशिश की है।
कल्याणजी-आनंदजी का संगीत: संगीत जोड़ी ने किशोर कुमार की भावपूर्ण गायकी के लिए एक शांत और चिंतनशील (reflective) धुन तैयार की थी, जो गीत के दार्शनिक मूड को पूरी तरह से पकड़ती है।
यह गीत आज भी जीवन की अस्थिरता और यात्रा को दर्शाने वाले सबसे प्रेरणादायक और मार्मिक गीतों में से एक माना जाता है।
Kuch To Log - Romantic Song - Sharmila Tagore & Rajesh Khanna - Amar Prem
"कुछ तो लोग कहेंगे" हिंदी सिनेमा के सबसे क्लासिक और सदाबहार (evergreen) गीतों में से एक है।
यह गीत 1972 की आइकोनिक फ़िल्म 'अमर प्रेम' (Amar Prem) का है, जिसमें शर्मिला टैगोर और राजेश खन्ना की जोड़ी है।
यहाँ इस गीत और फ़िल्म से जुड़ी विस्तृत जानकारी दी गई है:
गीत और फ़िल्म का विवरण
| विवरण | जानकारी |
| गीत | "कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना" |
| फ़िल्म का नाम | अमर प्रेम (Amar Prem) (1972) |
| गायक | किशोर कुमार (Kishore Kumar) |
| संगीतकार | आर. डी. बर्मन (R. D. Burman) / पंचम |
| गीतकार | आनंद बख्शी (Anand Bakshi) |
| निर्देशक | शक्ति सामंत (Shakti Samanta) |
| मुख्य कलाकार | राजेश खन्ना, शर्मिला टैगोर |
| गीत का मूड | दार्शनिक, शांत, प्रेम और सामाजिक आलोचना पर आधारित। |
दिलचस्प और महत्वपूर्ण तथ्य (Interesting Facts)
किशोर कुमार की भावना: किशोर कुमार ने इस गीत को एक अद्भुत संतुलन के साथ गाया है। यह गाना उदासी और शांति (Serenity) का मिश्रण है, जो राजेश खन्ना के किरदार आनंद बाबू की सामाजिक चिंता और त्याग की भावना को दर्शाता है।
आनंद बख्शी की सरल फिलॉसफी: गीतकार आनंद बख्शी ने बहुत ही सरल भाषा में जीवन का एक गहरा दर्शन दिया है: "लोगों का काम है कहना।" यह गीत सिखाता है कि सामाजिक आलोचना या लोगों की बातों की परवाह किए बिना अपना जीवन जीना चाहिए।
आर. डी. बर्मन का संगीत: इस गीत में पंचम (आर. डी. बर्मन) ने धीमी, शांत और मधुर धुन दी है। उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत के तत्वों का सुंदर उपयोग किया है, जो गीत के दार्शनिक मिज़ाज को बढ़ाता है।
बंगाली फ़िल्म का रीमेक: फ़िल्म 'अमर प्रेम' वास्तव में शक्ति सामंत की ही बंगाली फ़िल्म 'निशिपद्म' (Nishipadma) (1970) का हिंदी रीमेक थी। दोनों ही फ़िल्मों में शर्मिला टैगोर ने मुख्य भूमिका निभाई थी।
सेट और लोकेशन: यह गीत खासकर कोलकाता (Kolkata) की गंगा नदी (हुगली नदी) के किनारे शूट किया गया है, जो शांत माहौल को और भी गहरा बनाता है। नाव में बैठकर शूटिंग किए गए कई सीन बहुत लोकप्रिय हैं।
यह गाना सिर्फ एक रोमांटिक गीत नहीं है, बल्कि एक जीवन मंत्र है जो बताता है कि सच्ची खुशी अंदर से आती है, न कि सामाजिक अनुमोदन (Social Approval) से।
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"Kuch To Log Kahenge" is one of Hindi cinema's most classic and evergreen songs. This song is from the 1972 iconic film 'Amar Prem', which features the pair of Sharmila Tagore and Rajesh Khanna. Here is the detailed information related to this song and film:
Song and Film Details | Detail | Information | Song | "Kuch To Log Kahenge, Logon Ka Kaam Hai Kehna" | | Film Name | Amar Prem (1972) | | Singer | Kishore Kumar | | Music Composer | R. D. Burman / Pancham | | Lyricist | Anand Bakshi | | Director | Shakti Samanta | | Main Cast | Rajesh Khanna, Sharmila Tagore | | Song Mood | Philosophical, calm, based on love and social criticism. |
Interesting and Important Facts
Kishore Kumar's Emotion: Kishore Kumar has sung this song with a wonderful balance. This song is a mixture of sadness and serenity, which depicts the social anxiety and feeling of sacrifice of Rajesh Khanna's character, Anand Babu.
Anand Bakshi's Simple Philosophy: Lyricist Anand Bakshi has given a deep philosophy of life in very simple language: "People's job is to talk." This song teaches that one should live one's life without caring about social criticism or people's talk.
R. D. Burman's Music: In this song, Pancham (R. D. Burman) has given a slow, calm, and sweet tune. He has beautifully used elements of Indian classical music, which enhances the philosophical mood of the song.
Remake of a Bengali Film: The film 'Amar Prem' was actually the Hindi remake of Shakti Samanta's Bengali film 'Nishipadma' (Nishipadma) (1970). Sharmila Tagore played the lead role in both films.
Set and Location: This song has been shot especially on the banks of the Ganga River (Hooghly River) in Kolkata, which deepens the peaceful atmosphere even more. Many scenes shot while sitting in a boat are very popular.
This song is not just a romantic song, but a life mantra that tells that true happiness comes from within, not from social approval.
Asha Bhosle
Thursday, July 19, 2012
Brain Teasers (Answers are in dropdown menu)
Brainteaser Test
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Brainteaser Quiz -2
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Great Brainteaser Quiz -3
How did you do?
Scoring Ranges for the Last Quiz! | |||
|---|---|---|---|
| Based on number of correct answers,YOU ARE: Â | Teens and Adults | 8 to 12 Years | Ages 7 and Under |
| An EXPERT at this! | All correct | 15 or more correct | 8 or more correct |
| Better than the average bear! | 15 and up | 8 and up | 6 and up |
| In need of a little practice! | 8 and up | 4 and up | 2 and up |
| Under the weather today! | 7 or less | 3 or less | 1 or less |
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Brainteaser Quiz -4
Quiz for people who know everything:Wash your hairs like a professional
Brushing your hair before you shower might seem pointless, but makes a huge difference in the effect of your shampoo and conditioner. Brushing will detangle your hair and loosen some of the product build-up to allow your hair to really soak up the beneficial ingredients of your shampoo and conditioner.
2. Use Warm then Cold Water
Using warm water at first opens up the cuticle of your hair allowing the products to really soak in and efficiently clean your hair. Then,


















