Thursday, July 26, 2012

इबादत....


माना , 
कि मुश्किल है 
बहुत मुश्किल 

इस तेज़ रौ ज़िन्दगी की 
हर ज़रुरत में 
हर पल किसी के काम आ पाना 

इस भागते-दौड़ते वक्त में 
हर क़दम 
किसी का साथ दे पाना 

इस अपने आप तक सिमटे दौर के 
हर दुःख में 
किसी का सहारा बन पाना 

हाँ ! बहुत मुश्किल है 

लेकिन 
कुछ ऐसा भी मुश्किल तो नहीं 

ख़ुदा से 
अपने लिए की गयी बंदगी के नेक पलों में 
किसी और के लिए भी दुआएं करते रहना 
अपना भला चाहते-चाहते 
दूसरों का भी भला मांगते रहना .... 

सच्ची इबादत.... 
अब इसके सिवा 
और... 
हो भी तो क्या !!


(दानिश)

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