Saturday, March 24, 2012

Mere Baare Mein Kisi Ko....


Mere Baare Mein Kisi Ko Kabhi,  Apni Rai Matt Dena,
Mera Waqt Badla To, Tumhari Rai Badal Jaayeigi......


Muntazir they teri inaayat ke...


Muntazir they teri inaayat ke bahut dier se
khair kuch to kiya......chalo tabaah hi sahi

Bahut ajeeb hai ye...,


Bahut ajeeb hai ye , bandishein mohabbat ki ae dost!
na usne qaid mein rakha na hum faraar huye

Paani pher do in pannon pe....


Paani pher do in pannon pe, Taakey dhul jaaye siyaahi saari,
Zindagi phir se likhne ka man hota hai ......

पुराने जूतों को पता है ...




नए जूते 
शो-रूम की चमचमाती विंडो में बेचैन 
उचकते हैं 
उछलते हैं 
आतुर देख लेने को 
शीशे के पार की फंतासी दुनिया 
नए जूते 
दौड़ना चाहते हैं धड़ पड़ 
सूंघना चाहते हैं 
सड़क के काले कोलतार की महक 

वे नाप लेना चाहते हैं दुनिया 
छोड़ देना चाहते हैं अपनी छाप 
ज़मीन के हर अछूते कोने पर 
  

बगावती हैं नए जूते 
काट खाते हैं पैरों को भी 
अगर पसंद ना  आये तो 

वे राजगद्दी पर सोना चाहते हैं 
वो  राजा के चेहरे को चखना चाहते हैं 
नए जूतों को नहीं पसंद 
भाषण , उबाऊ बहसें , बदसूरती 
उम्र की थकान  
वे हिकारत से देखते हैं 
कोने में पड़े उधड़े  बदरंग 
पुराने जूतों को 


पुराने जूते 
उधड़े बदरंग 
पड़े हुए कोने में परितक्य किसी जोगी सरीखे 

घिसे तलों , फटे चमड़े के बीच 
देखते हैं नए जूतों की बेचैनी ,हिकारत 
मुह  घुमा लेते हैं 
पुराने जूतों को मालूम  है 
शीशे के पार की दुनिया की फंतासी की हक़ीकत 
पुराने जूतों नें कदम दर कदम 
नापी है पूरी दुनिया 
उन्हें मालूम है समन्दर की लहरों का खारापन 

वो रेगिस्तान की तपती रेत संग झुलसे हैं 
पहाड़ के उद्दण्ड पत्थरों से रगड़े हैं कंधे 
भीगे हैं बारिश के मूसलाधार जंगल में कितनी रात 
तमाम रास्तों , दर्रों का भूगोल 

नक्श है जूतों के जिस्म की झुर्रियों में 
पुराने जूतों नें चखा है पैरों का नमकीन स्वाद 

सफ़र का तमाम पसीना 
अभी भी उधड़े अस्तरों  में दफ़न है 
पुराने जूते 
हर मौसम में पैरों के बदन पर 

लिबास बनकर रहे हैं 


पुराने जूतों नें लांघा है सारा हिमालय 
अन्टार्टिका  की बर्फ के सीने को चूमा है 
पुराने जूतों नें लड़ी हैं तमाम जंगें 
अफगानिस्तान, फलिस्तीन , श्रीलंका , सूडान 
अपने लिए नहीं 
(दो बालिश्त ज़मीन काफी थी उनके लिए )
पर उनका नाम किसी किताब में नहीं लिखा गया 
उन जूतों नें दौड़ी हैं अनगिनत दौडें 
जिनका खिताब परों के सिर पर गया 
मंदिर के बाहर ही रह गए हैं पुराने जूते हर बार 

वो जूते खड़े रहे सियाचिन की हड्डी-गलाऊ सर्दी में मुस्तैद 
ताकी बरकरार रहे मुल्क के पैरों की गर्मी 
पुराने जूतों नें बनाए  हैं राज-मार्ग ,अट्टालिकाएं , मेट्रो पथ 

बसाए हैं शहर 
उगाई हैं फसलें 
पुराने जूतों नें पाँव का पेट भरा है 
उन जूतों नें लाइब्रेरी की खुशबूदार 

रंगीन किताबों से ज्यादा देखी  है दुनिया 
पुराने जूते खुद इतिहास हैं 
बा-वजूद इसके कभी नहीं रखा जायेगा उनको 
इतिहास की बुक-शेल्फ में 

पुराने जूतों के लिए 
आदमी एक जोड़ी पैर था 
जिसके रास्तों की हर ठोकर को 
उन्होंने अपने सर लिया 
पुराने जूते भी नए थे कभी 
बगावती 
मगर अधीनता स्वीकार की पैरों की 
भागते रहे ता -उम्र 
पैरों को सर पर उठाये 

पुराने जूते 
देखते हैं नए जूतों की अधीरता , जूनून 
मुस्कुराते हैं 
फिर हो जाते हैं उदास 

पता है उनको 
के नए जूते भी बिठा लेंगे पैरों से ताल-मेल 
तुड़ाकर दांत 
सीख लेंगे पैरों के लिए जीना 

फिर एक दिन 
फेंक दिए जायेंगे 
बदल देंगे पैर  उन्हें 

और नए जूतों के साथ 




(अपूर्व )
(Painting by Van-Gogh)

Rishta........ रिश्ता

Kabhi Socha Hai
कभी सोचा है 

Humaray Rishtey Ka Naam kya Hai
हमारे रिश्ते का नाम क्या है 

Mohabbat, Zaroorat, Khuwaahish, Junoon, Ishq Ya
मोहब्बत,ज़रुरत, खवाहिश, जूनून, इश्क़ या 

Wo Rishta Jo
वो रिश्ता जो 

Aasmaan Ka Zameen Se Hai
आसमां का ज़मीं से है 

Barish Ka Sehra Se Hai
बारिश का सेहरा से है 

Haqiqat Ka Khuwaabon Se Hai
हकीक़त का खवाब से है 

Din Ka Raat Se Hai
दिन का रात से है 

Yeh Kabhi Aik Dosre Se
ये कभी एक दूसरे से 

Mil Nahi Paate
मिल नहीं पाते 

Lekin Aik Dosray Ke Baghair Adhoore Bhi Hain
लेकिन एक दुसरे के बगैर  अधूरे भी हैं 

Shayed Aisa Hi Kuch Rishta
शायद ऐसा ही कुछ रिश्ता 

Mera Or Tumhara Bhi Hai.....
मेरा और तुम्हारा भी है .....