Friday, April 06, 2012

Rafi - Tum Bin Jaoon Kahan - Pyar Ka Mausam [1969]






यह गाना भारतीय सिनेमा के इतिहास में सबसे ज़्यादा बार रिकॉर्ड किए गए और इमोशनली कनेक्ट करने वाले गानों में से एक है।

यहाँ गीत और फ़िल्म 'प्यार का मौसम' (Pyar Ka Mausam) से जुड़ी जानकारी दी गई है:


गीत का विवरण: "तुम बिन जाऊँ कहाँ"

यह गीत 1969 की फ़िल्म 'प्यार का मौसम' का एक सदाबहार नज़्म है, जिसे दो महान गायकों ने दो अलग-अलग सिचुएशन्स के लिए रिकॉर्ड किया था।

विशेषताजानकारी
फ़िल्मप्यार का मौसम (Pyar Ka Mausam) (1969)
गायक (यह वर्ज़न)मोहम्मद रफ़ी (Mohammed Rafi)
संगीतकारआर. डी. बर्मन (R. D. Burman)
गीतकारमजरूह सुल्तानपुरी (Majrooh Sultanpuri)
कलाकार (फिल्मांकन)शशि कपूर (Shashi Kapoor) और आशा पारेख (Asha Parekh)

मोहम्मद रफ़ी वर्ज़न का सार

  • मूड और सिचुएशन: रफ़ी साहब का वर्ज़न शशि कपूर पर फ़िल्माया गया है और यह गीत फ़िल्म के रोमांस को दर्शाता है। यह एक प्रेम की घोषणा और प्रियतम के प्रति संपूर्ण समर्पण को व्यक्त करता है।

  • बोलों की गहराई: गीत के बोल प्यार और लाचारी के एहसास को दर्शाते हैं।

    तुम बिन जाऊँ कहाँ, के दुनिया में आ के

    कुछ न फिर चाहा, सिवा तेरे

    यह पंक्तियाँ नायक की अपने जीवन में नायिका के महत्व को बताती हैं कि उसके बिना वह दुनिया में कहीं और जाना नहीं चाहता।

किशोर कुमार वर्ज़न का कनेक्शन

  • दिलचस्प बात यह है कि इसी फ़िल्म में यह गाना किशोर कुमार ने भी गाया है, जो भारत भूषण पर फ़िल्माया गया है।

  • किशोर कुमार का वर्ज़न ज़्यादा भावनात्मक और दुख भरा है, जबकि रफ़ी साहब का वर्ज़न ज़्यादा रूमानी और उल्लासपूर्ण है।

  • फ़िल्म में यह गाना चार बार आता है, और इसका इस्तेमाल परिवार के बिछड़ने और फिर जुड़ने के लिए एक थीम सॉन्ग के रूप में किया गया है।


फ़िल्म 'प्यार का मौसम' (1969) के बारे में दिलचस्प तथ्य

यह फ़िल्म मशहूर निर्देशक नासिर हुसैन की एक सफल म्यूजिकल रोमांस थी।

  1. संगीतकार का अभिनय: यह उन दुर्लभ फ़िल्मों में से एक है जहाँ संगीतकार आर. डी. बर्मन (पंचम दा) ने संगीत देने के साथ-साथ एक अभिनय की भूमिका भी निभाई थी! उन्होंने फ़िल्म में झटपट सिंह के सहायक का किरदार निभाया था।

  2. नासिर हुसैन का पैटर्न: यह फ़िल्म नासिर हुसैन की पसंदीदा कहानी की थीम को दर्शाती है, जहाँ बचपन में बिछड़े हुए परिवार के सदस्य कई नाटकीय घटनाओं और गलतफहमियों के बाद अंत में फिर से मिलते हैं। उनकी कई सफल फ़िल्मों (जैसे यादों की बारात और हम किसी से कम नहीं) में भी यही थीम दोहराई गई है।

  3. बाल कलाकार का कनेक्शन: शशि कपूर के बचपन का किरदार निभाने वाले अभिनेता फ़ैज़ल ख़ान थे, जो निर्देशक नासिर हुसैन के भतीजे और आगे चलकर आमिर ख़ान के भाई बने।

  4. सिल्वर जुबली हिट: यह फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर एक सिल्वर जुबली हिट साबित हुई, जिसने शशि कपूर और आशा पारेख की ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री को और मजबूत किया।

  5. बंगाली कनेक्शन: आर. डी. बर्मन ने "तुम बिन जाऊँ कहाँ" की धुन का इस्तेमाल 1968 में अपने बंगाली गैर-फ़िल्मी गीत 'एकदिन पाखी उड़े' में भी किया था, जिसे किशोर कुमार ने ही गाया था।

(This video is posted by channel – HD Filmi Gaane on YouTube, and Raree India has no direct claims to this video. This video is added to this post for knowledge purposes only.)

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