ग़ज़ल का सार (Essence of the Ghazal)
यह ग़ज़ल पूरी तरह से प्रेम और समर्पण की भावना में लिपटी हुई है।
सजन की सुंदरता: शुरुआती शेर प्रियतम (सजन) की सुंदरता का वर्णन करता है, और नायिका स्वीकार करती है कि उसका दिल उसी की यादों में डूबा हुआ है:
सलोना सा सजन है और मैं हूँ जिया में एक अगन है और मैं हूँ (मेरा प्रियतम खूबसूरत है और मैं हूँ; मेरे दिल में एक आग/उत्साह है और मैं हूँ।)
ठंडी जलन: शायर (गीतकार) एक विरोधाभास (paradox) का इस्तेमाल करते हैं जो प्रेम की प्रकृति को दर्शाता है। प्रियतम की यादें सुखद हैं, लेकिन दूर होने पर बेचैनी देती हैं:
तुम्हारे रूप की छाया में साजन बड़ी ठंडी जलन है और मैं हूँ (तुम्हारे रूप की छाया में, हे प्रियतम, एक बड़ी ही ठंडी जलन है।)
बेचैनी और पवन: ग़ज़ल में नायिका की बेचैनी को दर्शाया गया है जो प्रियतम के सामने घूँघट भी नहीं उठा पाती, क्योंकि हवा (पवन) भी बहुत चंचल है और रुकावट बन जाती है।
पिया के सामने घूँघट उठा दे बड़ी चंचल पवन है और मैं हूँ
यह ग़ज़ल आशा भोंसले की गायकी की बहुमुखी प्रतिभा (versatility) को दर्शाती है, जहाँ उन्होंने हल्के-फुल्के फ़िल्मी गीतों के अलावा क्लासिकल टच वाली ग़ज़लों को भी बड़ी ही संजीदगी से गाया है।
(This video is posted by channel – Saregama Ghazal on YouTube, and Raree India has no direct claims to this video. This video is added to this post for knowledge purposes only.)
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