Wednesday, April 11, 2012

ye kya jageh hai film umrao jaan




ग़ज़ल का विवरण: "ये क्या जगह है दोस्तों"

यह गीत उमराव जान के जीवन के अकेलेपन, पहचान के संकट (Identity Crisis) और उदासी को दर्शाता है।

विशेषताजानकारी
फ़िल्मउमराव जान (Umrao Jaan) (1981)
गायकआशा भोंसले (Asha Bhosle)
संगीतकारख़य्याम (Khayyam)
गीतकारशहरयार (Shahryar)
कलाकाररेखा (Umrao Jaan)

वीडियो का सार और मूड

  • थीम: यह गीत तब आता है जब उमराव जान (रेखा) को अपने गृहनगर फ़ैज़ाबाद के क़रीब किसी पड़ाव पर रुकना पड़ता है। यहाँ, वह अपने पुराने जीवन और नए जीवन के बीच के विरोधाभास को महसूस करती है।

  • भावनात्मक गहराई: यह गीत पूरी तरह से नायिका की आंतरिक पीड़ा (internal pain) को व्यक्त करता है। वह अपनी क़िस्मत और जीवन से पूछती है कि वह उसे कहाँ ले आया है, जहाँ चारों तरफ सिर्फ़ धूल और उदासी (ग़ुबार ही ग़ुबार) है।

  • मुख्य पंक्तियाँ:

    ये क्या जगह है दोस्तों, ये कौन सा दयार है

    हद-ए-निगाह तक जहाँ, ग़ुबार ही ग़ुबार है

    ये किस मक़ाम पर हयात, मुझको लेके आ गयी

    ना बस ख़ुशी पे जहाँ, ना ग़म पे इख़्तियार है

    यह पंक्तियाँ बताती हैं कि जीवन उसे ऐसी जगह ले आया है, जहाँ उसे न तो ख़ुशी पर नियंत्रण है और न ही वह अपने ग़मों को नियंत्रित कर सकती है।


फ़िल्म 'उमराव जान' (1981) के बारे में दिलचस्प तथ्य

  1. क्लासिक उपन्यास पर आधारित: यह फ़िल्म मिर्ज़ा हादी रुसवा के 1905 के उर्दू उपन्यास 'उमराव जान अदा' पर आधारित है, जिसे उर्दू साहित्य के महान उपन्यासों में गिना जाता है।

  2. रेखा का करियर का शिखर: अभिनेत्री रेखा ने अपने उमराव जान के किरदार के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार (National Film Award) जीता, जिसे उनके करियर की सबसे शानदार प्रस्तुतियों में से एक माना जाता है।

  3. संगीत की सफलता: फ़िल्म का संगीत हिंदी सिनेमा के सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ (Best of all time) साउंडट्रैक में से एक है। ख़य्याम को इस संगीत के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिला।

  4. आशा भोंसले का सम्मान: इस फ़िल्म के गीतों (ख़ासकर "दिल चीज़ क्या है") के लिए आशा भोंसले को भी राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, जो उनके करियर का एक महत्वपूर्ण पल था।

  5. निर्देशन और कला: निर्देशक मुज़फ़्फ़र अली (जो एक चित्रकार भी हैं) ने 19वीं सदी के लखनऊ की नवाबी तहज़ीब और वास्तुकला को पर्दे पर जीवंत कर दिया। फ़िल्म ने सर्वश्रेष्ठ कला निर्देशन (Best Art Direction) का राष्ट्रीय पुरस्कार जीता।

  6. पहले विकल्प नहीं थे संगीतकार: दिलचस्प बात यह है कि ख़य्याम, मुज़फ़्फ़र अली की संगीतकार के तौर पर पहली पसंद नहीं थे। उन्होंने पहले जयदेव और फिर नौशाद से संपर्क किया था, लेकिन अंततः यह काम ख़य्याम ने किया और इतिहास रच दिया।

(This video is posted by channel – TheDeepGold on YouTube, and Raree India has no direct claims to this video. This video is added to this post for knowledge purposes only.)

1 comment:

  1. Anonymous4/11/2012

    Very beautiful song....nice choice

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