Monday, March 12, 2012

Na To Karwan Ki Talash Hai - BARSAT KI RAAT (INTEGRAL QAWWALI)

Teri Ankhon Ke Siva Duniya Mein Mohd Rafi in Chirag





गीत "तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है" हिंदी सिनेमा के सबसे भावुक, रूमानी और सदाबहार गीतों में से एक है।

यह गाना 1969 की फ़िल्म 'चिराग' (Chirag) का है।

यहाँ इस गीत, फ़िल्म और इससे जुड़ी खास बातें विस्तार से दी गई हैं:

गीत और फ़िल्म का विवरण

विवरणजानकारी
गीत"तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है"
फ़िल्म का नामचिराग (Chirag) (1969)
गायक (पुरुष संस्करण)मोहम्मद रफ़ी (Mohammed Rafi)
गायक (महिला संस्करण)लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar)
संगीतकारमदन मोहन (Madan Mohan)
गीतकारमजरूह सुल्तानपुरी (Majrooh Sultanpuri)
मुख्य कलाकारसुनील दत्त और आशा पारेख
शैलीभावुक रोमांटिक ग़ज़ल/गीत

 दिलचस्प और महत्वपूर्ण तथ्य (Interesting and Important Facts)

  1. मदन मोहन की माधुर्य (Madan Mohan's Melody):

    • मदन मोहन को हिंदी सिनेमा में "ग़ज़लों के राजा" के रूप में जाना जाता है। उन्होंने इस गीत को एक शांत, गहरी और दिल को छू लेने वाली धुन दी है, जो उनकी सिग्नेचर स्टाइल थी।

    • यह गाना उनके बेहतरीन रोमांटिक कंपोज़िशन्स में से एक माना जाता है।

  2. दो अलग-अलग भावनाएँ, एक गीत:

    • इस गीत के दो संस्करण (Versions) हैं: एक मोहम्मद रफ़ी ने गाया है और दूसरा लता मंगेशकर ने।

    • रफ़ी साहब का संस्करण ज़्यादातर प्रेम में डूबे हुए नायक (सुनील दत्त) की भावना को दर्शाता है।

    • लता जी का संस्करण दुख और समर्पण के भाव को दर्शाता है, जिसे नायक के अंधे होने के बाद फिल्माया गया है (फिल्म में सुनील दत्त का किरदार अंधा हो जाता है)। दोनों ही संस्करण अपनी-अपनी जगह क्लासिक हैं।

  3. मजरूह सुल्तानपुरी की शायरी:

    • गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी ने इस गीत में सादगी भरी गहरी शायरी का उपयोग किया है। गीत की लाइनें प्रेम में पूर्ण समर्पण (complete devotion) को दर्शाती हैं, जहाँ नायक के लिए नायिका की आँखों से बढ़कर दुनिया में कुछ भी नहीं है।

  4. फ़िल्म की थीम:

    • फ़िल्म 'चिराग' एक रोमांटिक ड्रामा थी जिसमें दुख और त्याग की भावनाएँ थीं। यह गीत कहानी के विभिन्न चरणों में भावनाओं को व्यक्त करने का एक महत्वपूर्ण ज़रिया था।

यह गीत अपनी मार्मिक धुन और मोहम्मद रफ़ी की आवाज़ के भावनात्मक उतार-चढ़ाव के कारण आज भी 60 और 70 के दशक के सबसे यादगार प्रेम गीतों में से एक है।

(This video is posted by the channel Shemaroo Filmi Gaane  on YouTube, and Raree India has no direct claim to this video.) This video is added to this post for knowledge purposes only.)

Paon choo lene do - Mohammad Rafi Lata Mangeshkar in Taj Mahal





गीत "पाँव छू लेने दो फूलों को" हिंदी सिनेमा के इतिहास में मोहम्मद रफ़ी और लता मंगेशकर द्वारा गाया गया एक अत्यंत मधुर, नज़ाकत भरा और कालातीत (timeless) युगल गीत (duet) है।

यह गाना भी 1963 की ऐतिहासिक फ़िल्म 'ताज महल' (Taj Mahal) का हिस्सा है।

यहाँ इस गीत, फ़िल्म और इसकी सुंदरता से जुड़ी विस्तृत जानकारी दी गई है:

🎼 गीत और फ़िल्म का विवरण

विवरणजानकारी
गीत"पाँव छू लेने दो फूलों को, इनायत होगी"
फ़िल्म का नामताज महल (Taj Mahal) (1963)
गायकमोहम्मद रफ़ी और लता मंगेशकर (युगल गीत)
संगीतकाररोशन (Roshan)
गीतकारसाहिर लुधियानवी (Sahir Ludhianvi)
मुख्य कलाकारप्रदीप कुमार (शाहजहाँ) और बीना राय (मुमताज़)
शैलीशास्त्रीय-आधारित, रोमांटिक, नज़ाकत भरी ग़ज़ल

गीत की विशेषता और तथ्य

  1. विनम्रता भरा रोमांस (Humble Romance):

    • यह गीत प्रेम में पूर्ण समर्पण (complete surrender) और विनम्रता (humility) को दर्शाता है। नायक, अपनी प्रेमिका के प्रति इतना मोहित है कि वह उसके पाँव फूलों को छूने देने की अनुमति माँगता है, यह कहते हुए कि यह फूलों पर एक इनायत (कृपा/उपकार) होगी।

    • यह गीत मुग़लकालीन शिष्टाचार और प्रेम की नज़ाकत को पूरी तरह से दर्शाता है।

  2. रफ़ी-लता का अद्भुत संतुलन:

    • मोहम्मद रफ़ी ने अपनी आवाज़ में विनम्रता और प्रेम की गहराई लाई है, जबकि लता मंगेशकर की आवाज़ में एक कोमल स्वीकृति (gentle acceptance) और रानी जैसा आकर्षण है।

    • दोनों की आवाज़ का संतुलन और तालमेल इस गीत को हिंदी सिनेमा के सबसे बेहतरीन रोमांटिक युगल गीतों में से एक बनाता है।

  3. राग पर आधारित मधुरता:

    • संगीतकार रोशन ने इस गीत की धुन को शास्त्रीय रागों के तत्वों का उपयोग करके बनाया है, जो इसे एक बहुत ही उच्च दर्जे का संगीतमय क्लासिक बनाता है। यह धीमी गति और सुरीले ऑर्केस्ट्रेशन पर ज़ोर देता है।

  4. विशिष्ट फिल्मांकन:

    • इस गीत को मुग़ल काल के सुंदर बागानों और महलों में फिल्माया गया है, जो शाहजहाँ और मुमताज़ महल के शुरुआती प्रेम और रोमांस को दर्शाता है।

यह गीत प्रेम की शालीनता, आराधना (worship) और शुद्धता का प्रतीक है।

(This video is posted by the channel Goldmines Gaane Sune Ansune  on YouTube, and Raree India has no direct claim to this video.) This video is added to this post for knowledge purposes only.)

(Howrah Bridge) Aaiye meherbaan.



गीत "आइए मेहरबाँ" हिंदी सिनेमा के गोल्डन एरा का एक प्रतिष्ठित (iconic) और ग्लैमरस गाना है, जो अपनी आकर्षक धुन और शानदार फिल्मांकन के लिए जाना जाता है।

यह गीत 1958 की क्लासिक फ़िल्म 'हावड़ा ब्रिज' (Howrah Bridge) का है।

यहाँ इस गीत, फ़िल्म और इससे जुड़े कुछ ख़ास तथ्य दिए गए हैं:

गीत और फ़िल्म का विवरण

विवरणजानकारी
गीत"आइए मेहरबाँ, बैठिए जान-ए-जाँ"
फ़िल्म का नामहावड़ा ब्रिज (Howrah Bridge) (1958)
गायकआशा भोसले (Asha Bhosle)
संगीतकारओ. पी. नैय्यर (O. P. Nayyar)
गीतकारक़मर जलालाबादी (Qamar Jalalabadi)
मुख्य कलाकारमधुबाला और अशोक कुमार
शैलीजाज़ (Jazz) और कैबरे (Cabaret) प्रेरित, रूमानी

दिलचस्प और महत्वपूर्ण तथ्य (Interesting Facts)

  1. मधुबाला का ग्लैमरस परफॉर्मेंस:

    • यह गाना अभिनेत्री मधुबाला के सबसे यादगार और स्टाइलिश गीतों में से एक है। उन्होंने इस गाने में अपनी खूबसूरती, आकर्षण और नज़ाकत का बेजोड़ प्रदर्शन किया है।

    • गाने की कैबरे (Cabaret) शैली मधुबाला के ग्लैमरस लुक और उनके डांस मूव्स के कारण उस समय बहुत ही आधुनिक और बोल्ड मानी गई थी।

  2. ओ. पी. नैय्यर की सिग्नेचर स्टाइल:

    • संगीतकार ओ. पी. नैय्यर को उनकी ताल-आधारित (Rhythm-based), घोड़े की चाल जैसी धुनों और पश्चिमी संगीत के प्रभाव के लिए जाना जाता है।

    • इस गीत में भी जाज़ और स्विंग संगीत का मजबूत प्रभाव है, जो 1950 के दशक के अंतिम वर्षों के लिए एकदम नया और ताज़ा था।

  3. आशा भोसले का अनोखा अंदाज़:

    • इस गाने को आशा भोसले ने अपनी आवाज़ की पूरी रेंज और लोच के साथ गाया है। उन्होंने गीत की शरारत और आकर्षण को पूरी तरह से पकड़ लिया, जिससे यह गीत उनकी आवाज़ की पहचान बन गया।

  4. फिल्म का नाम और थीम:

    • फ़िल्म का शीर्षक कोलकाता के प्रतिष्ठित हावड़ा ब्रिज पर रखा गया है, और इसकी कहानी कोलकाता के अंडरवर्ल्ड और रहस्य के इर्द-गिर्द घूमती है। यह गाना फ़िल्म के रहस्य और रोमांच को बढ़ाता है।

यह गीत अपनी धुन, बोल और मधुबाला के शानदार स्क्रीन प्रेजेंस के कारण आज भी हिंदी सिनेमा का एक क्लासिक मास्टरपीस बना हुआ है।



(This video is posted by the channel Shemaroo Filmi Gaane  on YouTube, and Raree India has no direct claim to this video.) This video is added to this post for knowledge purposes only.)

Rafi - Ehsaan Tera Hoga Mujh Par - Junglee [1961]





गीत "एहसान तेरा होगा मुझ पर" हिंदी सिनेमा का एक अत्यंत रूमानी (romantic), भावुक और प्रतिष्ठित गीत है, जो नायक के प्रेम और समर्पण को दर्शाता है।

यह गाना 1961 की सुपरहिट फ़िल्म 'जंगली' (Junglee) का है, जिसने शम्मी कपूर को 'याहू' इमेज में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

यहाँ इस गीत, फ़िल्म और इससे जुड़ी खास बातें विस्तार से दी गई हैं:

गीत और फ़िल्म का विवरण

विवरणजानकारी
गीत"एहसान तेरा होगा मुझ पर"
फ़िल्म का नामजंगली (Junglee) (1961)
गायक (पुरुष संस्करण)मोहम्मद रफ़ी (Mohammed Rafi)
गायक (महिला संस्करण)लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar)
संगीतकारशंकर-जयकिशन (Shankar-Jaikishan)
गीतकारहसरत जयपुरी (Hasrat Jaipuri)
मुख्य कलाकारशम्मी कपूर और सायरा बानो
शैलीरोमांटिक बैलेड, धीमी मेलोडी (Slow Melody)

 गीत की विशेषता और तथ्य

  1. कश्मीर का सौंदर्य:

    • इस गीत को कश्मीर की बर्फीली वादियों में फिल्माया गया है। शम्मी कपूर और सायरा बानो की ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री, बर्फ से ढके पहाड़ और खुली घाटियाँ गीत के रोमांस को एक जादुई स्पर्श देती हैं।

    • यह गाना आज भी कश्मीर में फिल्माए गए सबसे खूबसूरत गीतों में गिना जाता है।

  2. शम्मी कपूर का नया अंदाज़:

    • इस गाने में शम्मी कपूर अपने उग्र (boisterous) 'याहू' अंदाज़ से हटकर, शांत और रूमानी अंदाज़ में दिखते हैं। मोहम्मद रफ़ी की आवाज़ ने शम्मी कपूर के प्रेम की तीव्रता और भावुकता को पूरी तरह से जीवंत कर दिया है।

    • यह सायरा बानो की डेब्यू फ़िल्म भी थी।

  3. शंकर-जयकिशन का मधुर संगीत:

    • संगीतकार जोड़ी शंकर-जयकिशन ने इस गीत को एक मीठी और यादगार धुन दी, जो आज भी बेहद लोकप्रिय है। इस गीत में ऑर्केस्ट्रेशन बहुत ही संतुलित और सुरीला है, जो प्रेम के कोमल भाव को उभारता है।

  4. गीत का अर्थ:

    • गीतकार हसरत जयपुरी के बोल प्रेम में समर्पण को दर्शाते हैं। नायक, नायिका से अपने प्रेम को स्वीकार करने का अनुरोध करता है, यह कहते हुए कि यह उसका उस पर एक 'एहसान' (उपकार) होगा। यह विनम्रता और प्रेम की गहराई को व्यक्त करता है।

"एहसान तेरा होगा मुझ पर" आज भी रफ़ी साहब के सबसे मधुर और सदाबहार रोमांटिक गीतों में से एक है।

(This video is posted by the channel Shemaroo Filmi Gaane  on YouTube, and Raree India has no direct claim to this video.) This video is added to this post for knowledge purposes only.)

Suman Kalyanpur & Rafi - Thahriye Hosh Mein Aa Loon - Mohabbat Isko Kahe...





गीत "ठहरिए होश में आ लूँ तो चले जाईएगा" हिंदी सिनेमा के एक बेहद रूमानी (romantic) और नज़ाकत भरे युगल गीतों (duets) में से एक है।

यह गाना 1965 की फ़िल्म 'मोहब्बत इसको कहते हैं' (Mohabbat Isko Kahte Hain) का है।

यहाँ इस गीत, फ़िल्म और इससे जुड़ी विशेष जानकारी दी गई है:

गीत और फ़िल्म का विवरण

विवरणजानकारी
गीत"ठहरिए होश में आ लूँ तो चले जाईएगा"
फ़िल्म का नाममोहब्बत इसको कहते हैं (1965)
गायकमोहम्मद रफ़ी और सुमन कल्याणपुर (युगल गीत)
संगीतकारख़य्याम (Khayyam)
गीतकारमजरूह सुल्तानपुरी (Majrooh Sultanpuri)
मुख्य कलाकारशशि कपूर और नंदा
शैलीरोमांटिक ग़ज़ल, धीमी और भावुक मेलोडी

गीत की विशेषता और तथ्य

  1. ख़य्याम का मधुर संगीत:

    • संगीतकार ख़य्याम अपनी सुरीली, धीमी और भारतीय शास्त्रीय संगीत पर आधारित धुनों के लिए प्रसिद्ध थे। इस गीत में भी उन्होंने एक शांत और परिष्कृत (refined) ऑर्केस्ट्रेशन का उपयोग किया है, जो प्रेम की गंभीरता और कोमलता को दर्शाता है।

  2. रफ़ी और सुमन कल्याणपुर की जोड़ी:

    • मोहम्मद रफ़ी और सुमन कल्याणपुर की आवाज़ों का मेल इस गीत को अविस्मरणीय (unforgettable) बनाता है।

      • रफ़ी साहब की आवाज़ में नायक का प्रेम भरा अनुरोध और उत्साह झलकता है।

      • सुमन कल्याणपुर की आवाज़ में नायिका का लज्जित (shy) होना और अपने होश खोने का वर्णन बहुत ही नज़ाकत से किया गया है।

    • यह युगल गीत उन बेहतरीन गीतों में से एक है जहाँ दोनों गायकों की आवाज़ें एक-दूसरे की पूरक (complement) बनती हैं।

  3. मजरूह सुल्तानपुरी के बोलों की नज़ाकत:

    • गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी ने इस गीत में उर्दू शायरी के बेहतरीन शब्दों का इस्तेमाल किया है। गीत का शीर्षक ही बताता है कि नायक की उपस्थिति नायिका को इतना मोहित करती है कि वह अपने 'होश' (चेतना) खो देती है। वह नायक से कुछ देर रुकने का अनुरोध करती है ताकि वह अपनी भावनाओं को संभाल सके। यह प्रेम की तीव्रता को बड़ी सुंदरता से व्यक्त करता है।

  4. शशि कपूर और नंदा की केमिस्ट्री:

    • इस गाने को शशि कपूर और नंदा पर फिल्माया गया है। उस दौर में यह जोड़ी अपने प्यारे और सरल रोमांस के लिए बहुत लोकप्रिय थी।

यह गीत आज भी क्लासिक हिंदी संगीत प्रेमियों के बीच अपनी शांत धुन और भावनात्मक गहराई के कारण बेहद सराहा जाता है।


(This video is posted by the channel Goldmines Gaane Sune Ansune on YouTube, and Raree India has no direct claim to this video.) This video is added to this post for knowledge purposes only.)

Shagird - Woh Hain Zara Khafa Khafa - Mohd.Rafi & Lata Mangeshkar





गीत "वो है ज़रा खफ़ा खफ़ा तो नैन यूँ चुराए हैं" हिंदी सिनेमा के एक बेहद चंचल, रूमानी और लोकप्रिय युगल गीतों (duets) में से एक है।

यह गाना 1967 की हिट फ़िल्म 'शागिर्द' (Shagird) का है, और इसमें मोहम्मद रफ़ी तथा लता मंगेशकर की आवाज़ों का शानदार मिश्रण है।

यहाँ इस क्लासिक गीत और फ़िल्म से जुड़ी विस्तृत जानकारी दी गई है:

गीत और फ़िल्म का विवरण

विवरणजानकारी
गीत"वो है ज़रा खफ़ा खफ़ा तो नैन यूँ चुराए हैं"
फ़िल्म का नामशागिर्द (Shagird) (1967)
गायकमोहम्मद रफ़ी और लता मंगेशकर (युगल गीत)
संगीतकारलक्ष्मीकांत-प्यारेलाल (Laxmikant-Pyarelal)
गीतकारमजरूह सुल्तानपुरी (Majrooh Sultanpuri)
मुख्य कलाकारजॉय मुखर्जी और सायरा बानो
शैलीअपबीट, रोमांटिक, चंचल संवाद गीत

गीत की विशेषता और तथ्य

  1. प्यार भरी नोक-झोंक (Playful Banter):

    • यह गीत एक ऐसे जोड़े के बीच प्यार भरी नोक-झोंक को दर्शाता है, जहाँ नायिका (सायरा बानो) नायक (जॉय मुखर्जी) से थोड़ा 'खफ़ा' (नाराज़) है। नायक उसे मनाने और उसकी नाराज़गी दूर करने की कोशिश करता है।

    • गाने के बोल (मजरूह सुल्तानपुरी द्वारा लिखित) इस चंचल संवाद को बखूबी पकड़ते हैं।

  2. रफ़ी-लता की जादूगरी:

    • मोहम्मद रफ़ी और लता मंगेशकर की आवाज़ों ने इस गीत को जीवंत बना दिया।

      • रफ़ी साहब ने नायक के उत्साह, रोमांस और मनाने वाले लहज़े को दर्शाया।

      • लता जी की आवाज़ में नायिका की हल्की-सी नाराज़गी और नख़रे (coquetry) साफ झलकते हैं।

    • यह जोड़ी उस दौर की सबसे सफल और प्रतिष्ठित गायकों की जोड़ियों में से एक थी।

  3. लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की सफल धुनें:

    • संगीतकार जोड़ी लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने इस गीत को एक तेज़, आकर्षक और ऊर्जावान (energetic) धुन दी। गाने का ऑर्केस्ट्रेशन भी उस दौर के पॉप म्यूजिक से प्रेरित था।

  4. फिल्मांकन:

    • यह गाना अक्सर एक खूबसूरत आउटडोर लोकेशन पर फिल्माया गया है, जहाँ जॉय मुखर्जी और सायरा बानो एक-दूसरे के इर्द-गिर्द घूमते हुए और रूठने-मनाने का खेल खेलते हुए दिखाई देते हैं। सायरा बानो की क्यूटनेस और जॉय मुखर्जी का चार्म इस गाने को खास बनाते हैं।

यह गीत अपनी चंचल, मधुर धुन और दोनों महान गायकों की बेहतरीन जुगलबंदी के कारण हिंदी सिनेमा के सबसे पसंदीदा युगल गीतों में से एक है।

(This video is posted by the channel Saregama Music on YouTube, and Raree India has no direct claim to this video.) This video is added to this post for knowledge purposes only.)

Search This Blog