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Friday, April 06, 2012
Mohammad Rafi - Aaja Re Aa Zara Lehra Kay Aa Zara
यह वीडियो 1966 की क्लासिक हिंदी फिल्म 'लव इन टोक्यो' (Love In Tokyo) का एक रोमांटिक गाना सीक्वेंस है, जिसका शीर्षक है "आजा रे आ ज़रा"।
इस वीडियो के मुख्य बिंदु:
कलाकार: इसमें फिल्म के मुख्य कलाकार जॉय मुखर्जी (Joy Mukherjee) और आशा पारेख (Asha Parekh) हैं।
गायक: यह गीत महान गायक मोहम्मद रफ़ी (Mohammed Rafi) द्वारा गाया गया है।
1. संगीत में नवीनता (Innovation in Music)
- यह गाना राग पहाड़ी पर आधारित है, जो इसे एक बहुत ही मधुर और आकर्षक धुन देता है।
2. जापान में फ़िल्मांकन (Shooting in Japan)
यह गाना पूरी तरह से टोक्यो, जापान के सुंदर बाहरी स्थानों पर फिल्माया गया था, जिसमें जॉय मुखर्जी और आशा पारेख ने अभिनय किया।60 के दशक में किसी भारतीय फिल्म के लिए पूरे गाने को विदेश में फिल्माना एक बहुत बड़ी और महंगी बात थी, जिसने इस गाने और फिल्म को विशेष बना दिया।
3. मोहम्मद रफ़ी का जादू (Magic of Mohammed Rafi)
मोहम्मद रफ़ी की आवाज़ में एक खास तरह की मस्ती और चंचलता (playfulness) थी, जिसने जॉय मुखर्जी के ऑन-स्क्रीन व्यक्तित्व को पूरी तरह से जीवंत कर दिया। यह गाना उनकी सबसे यादगार रोमांटिक रचनाओं में से एक माना जाता है।
4. एक सदाबहार गीत (An Evergreen Classic)
फिल्म की रिलीज़ के दशकों बाद भी, इसकी धुन और बोल आज भी बेहद लोकप्रिय हैं। इसे अक्सर 60 के दशक के सबसे रोमांटिक और मधुर गीतों में गिना जाता है।
(This video is posted by channel – Rafi ke Gaane on YouTube, and Raree India has no direct claims to this video. This video is added to this post for knowledge purposes only.)
Mohammad Rafi - Door Rehkar Na Karo Baat
यह गीत 1970 की फ़िल्म 'अमानत' (Amaanat) का एक सदाबहार रोमांटिक नज़्म है, जिसे हिंदी सिनेमा के तीन महान कलाकारों ने मिलकर बनाया था।
| विशेषता | जानकारी |
| फ़िल्म | अमानत (Amaanat) (1970) |
| गायक | मोहम्मद रफ़ी (Mohammed Rafi) |
| संगीतकार | रवि (Ravi) |
| गीतकार | साहिर लुधियानवी (Sahir Ludhianvi) |
| कलाकार (फिल्मांकन) | मनोज कुमार (Manoj Kumar) और साधना (Sadhana) |
वीडियो का सार और मूड
यह गीत मुख्य रूप से नायक (मनोज कुमार) और नायिका (साधना) के बीच एक भावनात्मक रूप से तीव्र और अंतरंग (intimate) दृश्य पर फिल्माया गया है।
थीम: गीत का शीर्षक ही इसका सार बताता है—यह प्रियतम से दूरियाँ मिटाकर क़रीब आने की भावुक गुहार है।
2 रूमानी अभिव्यक्ति: रफ़ी साहब अपनी आवाज़ में एक अनूठी तीव्रता (intensity) और सेंसुअलिटी लाते हैं, जो गीत के बोलों को जीवंत करती है।
3 मुख्य बोल:
एक मुद्दत से तमन्ना थी तुम्हें छूने की,4
आज बस में नहीं जज़्बात, क़रीब आ जाओ।5
सर्द झोंकों से भड़कते हैं बदन में शोले,6
जान ले लेगी ये बरसात, क़रीब आ जाओ।
ये पंक्तियाँ साफ़ तौर पर बताती हैं कि यह प्यार और चाहत का एक ऐसा पल है जब नायक अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पा रहा है, और वह नायिका से इस बरसात (यानी, भावनात्मक तूफान) में क़रीब आने का अनुरोध कर रहा है।7
फ़िल्म 'अमानत' (Amaanat) के बारे में दिलचस्प तथ्य
'अमानत' एक रोमांटिक ड्रामा फ़िल्म थी, जिसकी कहानी भावनाओं और रिश्तों के इर्द-गिर्द घूमती थी।
रातोंरात नाम बदलना: फ़िल्म में अभिनेता मनोज कुमार एक ऐसे आदमी का किरदार निभाते हैं जो अपनी यादाश्त खो देता है और वह खुद को "सूरज" समझने लगता है। इसी कारण, शुरुआत में फ़िल्म का नाम 'सूरज' रखा गया था, लेकिन बाद में इसे बदलकर 'अमानत' कर दिया गया।
महान तिकड़ी का गीत: यह गीत एक महान 'तिकड़ी' का परिणाम है: मोहम्मद रफ़ी की आवाज़, रवि का मधुर संगीत, और साहिर लुधियानवी की गहन शायरी। यह तीनों का एक सफल संयोजन था जिसने फ़िल्म के संगीत को हिट बनाया।
मनोज कुमार - रफ़ी का सफल संयोजन: जहाँ मनोज कुमार के लिए मुकेश की आवाज़ को ज़्यादा प्रमुखता मिली, वहीं 60 और 70 के दशक में रफ़ी साहब ने भी मनोज कुमार के लिए कई सदाबहार गाने गाए, जिनमें यह गीत भी शामिल है।
8 यह गाना रफ़ी साहब की उन कम-चर्चित लेकिन बेहद सफल रोमांटिक रचनाओं में से एक है जो मनोज कुमार पर फिल्माए गए थे।9 फैशन आइकॉन साधना: फ़िल्म में साधना मुख्य अभिनेत्री थीं, जो उस दौर की एक बड़ी फैशन आइकॉन थीं (अपने "साधना कट" हेयरस्टाइल के लिए प्रसिद्ध)। यह फ़िल्म उनकी हिट फिल्मों में गिनी जाती है।
Mohammad Rafi - Jo baat Tujh Mein Hai Teri Tasveer Mein Nahi
यह गीत मोहम्मद रफ़ी साहब के गाये गए सबसे दार्शनिक और रोमांटिक गीतों में से एक है, जो 1963 की ऐतिहासिक फ़िल्म 'ताज महल' (Taj Mahal) का हिस्सा है।
यहाँ इस वीडियो का विवरण और फ़िल्म से जुड़े कुछ दिलचस्प तथ्य दिए गए हैं:
गीत का विवरण: "जो बात तुझ में है तेरी तस्वीर में नहीं"
यह एक सुंदर ग़ज़ल है जो इस विचार को व्यक्त करती है कि किसी व्यक्ति का वास्तविक आकर्षण, भावनाएं, और जीवंतता कभी भी किसी स्थिर चित्र या तस्वीर में कैद नहीं की जा सकती।
| विशेषता | जानकारी |
| फ़िल्म | ताज महल (Taj Mahal) (1963) |
| गायक | मोहम्मद रफ़ी (Mohammed Rafi) |
| संगीतकार | रोशन (Roshan) |
| गीतकार | साहिर लुधियानवी (Sahir Ludhianvi) |
| कलाकार (फिल्मांकन) | प्रदीप कुमार (Pradeep Kumar) और बीना राय (Bina Rai) |
वीडियो का सार और संदेश
थीम: यह गीत सम्राट शाहजहाँ (प्रदीप कुमार) द्वारा अपनी प्रिय बेगम मुमताज़ महल (बीना राय) की सुंदरता और जीवंत उपस्थिति की प्रशंसा में गाया गया है।
मूल भावना: नायक यह बताने की कोशिश कर रहा है कि रंग तो तस्वीर में ढल गए, लेकिन प्रेमिका की असली "साँसों की आँच," "जिस्म की ख़ुशबू" और उसके हाव-भाव की अदा (अदा) को तस्वीर नहीं उतार पाई।
दार्शनिक गहराई: यह ग़ज़ल प्रेम की भौतिक उपस्थिति और उसके कलात्मक चित्रण के बीच के अंतर को दर्शाती है। यह बताता है कि सच्चा हुस्न (Beauty) अचल (lifeless) नहीं हो सकता।
फ़िल्म 'ताज महल' (Taj Mahal, 1963) के बारे में दिलचस्प तथ्य
यह फ़िल्म विश्व प्रसिद्ध प्रेम कहानी—मुगल बादशाह शाहजहाँ और मुमताज़ महल के शाश्वत प्रेम—पर आधारित एक शानदार एपिक थी।
संगीत और साहित्य का मिलन: इस फ़िल्म का संगीत इसकी सबसे बड़ी पहचान है। संगीतकार रोशन और गीतकार साहिर लुधियानवी की जोड़ी ने मिलकर एक ऐसा कालजयी (Timeless) साउंडट्रैक तैयार किया, जो आज भी भारतीय संगीत का एक मील का पत्थर है।
अन्य सुपर हिट गीत: इस फ़िल्म ने कई अन्य प्रसिद्ध गीत दिए, जो रफ़ी साहब और लता मंगेशकर की जोड़ी की लोकप्रियता को दर्शाते हैं।
"जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा"
"पाँव छू लेने दो फूलों को"
राजसी भव्यता: 1960 के दशक में, यह फ़िल्म अपनी राजसी भव्यता (Royal Grandeur) और महंगे सेटों के लिए प्रसिद्ध थी। इसने दर्शकों को मुगल काल की विशालता और सुंदरता का अनुभव कराया।
सर्वश्रेष्ठ संगीत पुरस्कार: इस फ़िल्म के संगीत के लिए संगीतकार रोशन को उनके सर्वश्रेष्ठ काम के लिए फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार (Filmfare Award) से सम्मानित किया गया था।
अभिनेता की पहचान: इस फ़िल्म के कारण अभिनेता प्रदीप कुमार की पहचान ऐतिहासिक और पीरियड ड्रामा फिल्मों के प्रमुख नायक के रूप में स्थापित हो गई थी।
Rafi - Tum Bin Jaoon Kahan - Pyar Ka Mausam [1969]
यह गाना भारतीय सिनेमा के इतिहास में सबसे ज़्यादा बार रिकॉर्ड किए गए और इमोशनली कनेक्ट करने वाले गानों में से एक है।
यहाँ गीत और फ़िल्म 'प्यार का मौसम' (Pyar Ka Mausam) से जुड़ी जानकारी दी गई है:
गीत का विवरण: "तुम बिन जाऊँ कहाँ"
यह गीत 1969 की फ़िल्म 'प्यार का मौसम' का एक सदाबहार नज़्म है, जिसे दो महान गायकों ने दो अलग-अलग सिचुएशन्स के लिए रिकॉर्ड किया था।
| विशेषता | जानकारी |
| फ़िल्म | प्यार का मौसम (Pyar Ka Mausam) (1969) |
| गायक (यह वर्ज़न) | मोहम्मद रफ़ी (Mohammed Rafi) |
| संगीतकार | आर. डी. बर्मन (R. D. Burman) |
| गीतकार | मजरूह सुल्तानपुरी (Majrooh Sultanpuri) |
| कलाकार (फिल्मांकन) | शशि कपूर (Shashi Kapoor) और आशा पारेख (Asha Parekh) |
मोहम्मद रफ़ी वर्ज़न का सार
मूड और सिचुएशन: रफ़ी साहब का वर्ज़न शशि कपूर पर फ़िल्माया गया है और यह गीत फ़िल्म के रोमांस को दर्शाता है। यह एक प्रेम की घोषणा और प्रियतम के प्रति संपूर्ण समर्पण को व्यक्त करता है।
बोलों की गहराई: गीत के बोल प्यार और लाचारी के एहसास को दर्शाते हैं।
तुम बिन जाऊँ कहाँ, के दुनिया में आ के
कुछ न फिर चाहा, सिवा तेरे
यह पंक्तियाँ नायक की अपने जीवन में नायिका के महत्व को बताती हैं कि उसके बिना वह दुनिया में कहीं और जाना नहीं चाहता।
किशोर कुमार वर्ज़न का कनेक्शन
दिलचस्प बात यह है कि इसी फ़िल्म में यह गाना किशोर कुमार ने भी गाया है, जो भारत भूषण पर फ़िल्माया गया है।
किशोर कुमार का वर्ज़न ज़्यादा भावनात्मक और दुख भरा है, जबकि रफ़ी साहब का वर्ज़न ज़्यादा रूमानी और उल्लासपूर्ण है।
फ़िल्म में यह गाना चार बार आता है, और इसका इस्तेमाल परिवार के बिछड़ने और फिर जुड़ने के लिए एक थीम सॉन्ग के रूप में किया गया है।
फ़िल्म 'प्यार का मौसम' (1969) के बारे में दिलचस्प तथ्य
यह फ़िल्म मशहूर निर्देशक नासिर हुसैन की एक सफल म्यूजिकल रोमांस थी।
संगीतकार का अभिनय: यह उन दुर्लभ फ़िल्मों में से एक है जहाँ संगीतकार आर. डी. बर्मन (पंचम दा) ने संगीत देने के साथ-साथ एक अभिनय की भूमिका भी निभाई थी! उन्होंने फ़िल्म में झटपट सिंह के सहायक का किरदार निभाया था।
नासिर हुसैन का पैटर्न: यह फ़िल्म नासिर हुसैन की पसंदीदा कहानी की थीम को दर्शाती है, जहाँ बचपन में बिछड़े हुए परिवार के सदस्य कई नाटकीय घटनाओं और गलतफहमियों के बाद अंत में फिर से मिलते हैं। उनकी कई सफल फ़िल्मों (जैसे यादों की बारात और हम किसी से कम नहीं) में भी यही थीम दोहराई गई है।
बाल कलाकार का कनेक्शन: शशि कपूर के बचपन का किरदार निभाने वाले अभिनेता फ़ैज़ल ख़ान थे, जो निर्देशक नासिर हुसैन के भतीजे और आगे चलकर आमिर ख़ान के भाई बने।
सिल्वर जुबली हिट: यह फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर एक सिल्वर जुबली हिट साबित हुई, जिसने शशि कपूर और आशा पारेख की ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री को और मजबूत किया।
बंगाली कनेक्शन: आर. डी. बर्मन ने "तुम बिन जाऊँ कहाँ" की धुन का इस्तेमाल 1968 में अपने बंगाली गैर-फ़िल्मी गीत 'एकदिन पाखी उड़े' में भी किया था, जिसे किशोर कुमार ने ही गाया था।