Thursday, July 19, 2012

Wash your hairs like a professional

1. Brush Your Hair Before You Shampoo
Brushing your hair before you shower might seem pointless, but makes a huge difference in the effect of your shampoo and conditioner. Brushing will detangle your hair and loosen some of the product build-up to allow your hair to really soak up the beneficial ingredients of your shampoo and conditioner.
2. Use Warm then Cold Water
Using warm water at first opens up the cuticle of your hair allowing the products to really soak in and efficiently clean your hair. Then,

Some Hairstyles For you


Tuesday, July 17, 2012

यूँ ही नहीं खिल आता फूल



उसने 
खाद से जीवन लिया,
हवा, पानी और प्रकाश
ग्रहण किया परिवेश से,
अन्यान्य सुखद परिवर्तनों की
नींव पड़ी भीतर
और अस्तित्व में आ गया फूल

खाद की सदाशयता
त्याग, तपस्या और अनुराग
हवा, पानी एवं प्रकाश का
सहर्ष उत्कट सहभाग
है सौन्दर्य के प्राकट्य का मूल

यूँ ही नहीं खिल आता है फूल

आंशिक रूप से
ग्रहण किया गया
हर तत्व,
खिलखिलाहट में उसकी
मुस्काता है!
कितने ही अव्यव
रूप अपना
त्यागते हैं,
तब जाकर एक फूल
अस्तित्व में आता है!

(अनुपमा पाठक )

अवधि


हर बार छीन ले जाता है कोई,

मेरी तकदीर, मेरे ही हाथों से,

सुना था, गिर गिर कर उठना,

उठ कर चलना ही जिंदगी है..

यूँ,

गिरते उठते,

आत्मा तक लहुलुहान हो गयी है,

क्या नाकामियों की,

कोई तयशुदा अवधि नहीं होती...........


अनु 

Wednesday, July 11, 2012

Kasheeda-kaar-e-azal tujh ko....





















Kasheeda-kaar-e-azal tujh ko aitraaz na ho..
Kaheen-kaheen se agar ZINDAGI rafoo kar loon . . ?

काशीदाकार-ए-अज़ल तुझ को एतराज़ न हो

कहीं-कहीं से अगर ज़िन्दगी  रफ़ू कर लूँ . . ?


इफ़्तिख़ार आरिफ़ 


 शेर का शाब्दिक अर्थ (Literal Meaning)

टुकड़ा (Phrase)शाब्दिक मतलब (Literal Meaning)
काशीदाकार-ए-अज़ल तुझ को एतराज़ न होहे 'अज़ल के कारीगर' (ईश्वर), तुम्हें कोई आपत्ति (एतराज़) न हो,
कहीं-कहीं से अगर ज़िन्दगी रफ़ू कर लूँ . . ?अगर मैं अपनी ज़िन्दगी को कहीं-कहीं से (टूटी-फूटी जगहों से) सील लूँ (रफ़ू कर लूँ)?

2. महत्वपूर्ण शब्दों का अर्थ (Meaning of Key Terms)

  • काशीदाकार-ए-अज़ल (Kaashida-kaar-e-Azal):

    • काशीदाकार: कशीदाकारी करने वाला, यानी कारीगर, डिज़ाइनर, या कढ़ाई करने वाला

    • अज़ल: वह समय जिसका कोई आदि (शुरुआत) न हो, यानी अनंत काल, जिसका इस्तेमाल अक्सर ईश्वर के संदर्भ में होता है।

    • पूरा अर्थ: इस ब्रह्मांड और जीवन की डिज़ाइन या योजना बनाने वाला कारीगर, यानी ईश्वर या भाग्य

  • रफ़ू करना (Raffu Karna): कपड़े को इस तरह से सीलना कि फटा हुआ हिस्सा दिखे नहीं। यानी किसी टूटी हुई चीज़ की मरम्मत करना

  • एतराज़ (Etraaz): आपत्ति, विरोध, या ऐतराज।

3. शेर का दार्शनिक निहितार्थ (Philosophical Interpretation)

यह शेर एक विनम्र लेकिन महत्वपूर्ण सवाल पूछता है:

  • ईश्वर की योजना और मानवीय प्रयास: शायर विनम्रता से ईश्वर (काशीदाकार-ए-अज़ल) से पूछता है कि आपने जो ज़िंदगी मुझे दी है, उसमें बहुत टूट-फूट, कमियाँ और घाव हैं (यह फटे हुए कपड़े का प्रतीक है)।

  • मरम्मत का अधिकार: शायर पूछता है कि क्या मुझे यह अधिकार है कि मैं अपनी ज़िन्दगी को खुद ठीक कर लूँ? क्या मैं अपने दुखों, असफलताओं, या कमियों को अपने तरीके से भर लूँ (रफ़ू कर लूँ)?

  • नियति बनाम कर्म: यह शेर नियति (Destiny) और मानवीय कर्म (Effort) के बीच के संघर्ष को दर्शाता है। शायर पूछ रहा है कि अगर आपकी बनाई हुई डिज़ाइन (ज़िन्दगी) में कुछ कमियाँ रह गई हैं, तो क्या मैं अपनी मेहनत और इच्छाशक्ति से उन कमियों को भरकर उसे पहनने लायक बना सकता हूँ?

4. प्रमुख संदेश (Main Message)

इस शेर का मुख्य संदेश यह है कि इंसान भाग्य की योजना को चुनौती नहीं दे रहा है, बल्कि सुधार का अधिकार मांग रहा है। यह जीवन को निष्क्रिय रूप से स्वीकारने के बजाय, उसे सक्रिय रूप से ठीक करने की इच्छा को दर्शाता है।


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