Wednesday, April 04, 2012

Chalo Muhabbat Ki nayi



Chalo Muhabbat Ki nayi Buniyad Rakhtey Hain,
Khud Paaband Rehtay Hain, Tumhien Aazaad Rakhtey Hain...

यह खूबसूरत और बेहद मशहूर शेर समकालीन (contemporary) उर्दू शायर वसीम बरेलवी (Waseem Barelvi) का है।

यह शेर प्रेम में समर्पण और निस्वार्थता (selflessness) के एक आधुनिक विचार को दर्शाता है।

शेर का अर्थ (Meaning of the Couplet)

यह शेर एक ऐसे प्रेम की स्थापना की बात करता है जो शर्त रहित (unconditional) है:

  • चलो मोहब्बत की नई बुनियाद रखते हैं: चलो, हम अपने प्यार की एक नई नींव (आधार) रखते हैं।

  • ख़ुद पाबंद रहते हैं, तुम्हें आज़ाद रखते हैं: हम खुद अपने आप पर बंधन (पाबंदियाँ) रखेंगे (जैसे वफ़ादारी, इंतज़ार, आदि), लेकिन तुम्हें हर तरह से आज़ाद (बंधन मुक्त) रखेंगे।

शायर यहाँ यह कहना चाहता है कि सच्चे प्रेम में प्रेमी अपनी इच्छाओं और नियंत्रण की भावना को त्याग देता है और अपने प्रियतम की स्वतंत्रता को सबसे ऊपर रखता है।

Ki Mohabbat To....



Ki Mohabbat To, Siyaasat Ka chalan chor dia..
Hum Agar pyar na Kartey to , Hakoomat kartey ...


यह शेर उर्दू के मशहूर और समकालीन शायर वसीम बरेलवी (Waseem Barelvi) का है।

यह शेर प्रेम और सत्ता (power/politics) के बीच के विरोधाभास को दर्शाता है।

शेर का अर्थ (Meaning of the Couplet)

  • की मोहब्बत तो, सियासत का चलन छोड़ दिया: जब से हमने मोहब्बत की है, हमने सियासत (राजनीति) का तरीका और चलन छोड़ दिया है।

  • हम अगर प्यार न करते तो, हुकूमत करते: शायर का अंदाज़ है कि उनमें इतनी समझदारी, दाँव-पेंच और क्षमता है कि अगर उन्होंने प्यार को न चुना होता, तो वे निश्चित रूप से दुनिया पर हुकूमत (शासन) कर रहे होते।

यह शेर दिखाता है कि प्रेम और राजनीति दो विपरीत रास्ते हैं, और प्रेम को चुनने वाले ने जानबूझकर सत्ता और अधिकार के मार्ग को त्याग दिया है।

Ye soch lo ab ...


Ye soch lo ab aakhri saaya hai mohabbat 
is dar se uthoge to koii dar(darwaza) na milega..


यह शेर उर्दू के महान और प्रतिष्ठित शायर अहमद नदीम क़ासमी (Ahmad Nadeem Qasmi) का है।

यह शेर प्रेम में समर्पण और अंतिम अवसर के महत्व को दर्शाता है।

शेर का अर्थ (Meaning of the Couplet)

  • ये सोच लो अब आख़िरी साया है मोहब्बत: शायर चेतावनी देते हुए कहता है कि इस बात को अच्छी तरह से सोच लो, कि यह मोहब्बत का आख़िरी साया (यानी आख़िरी ठिकाना, आख़िरी आसरा) है।

  • इस दर से उठोगे तो कोई दर (दरवाज़ा) न मिलेगा: अगर तुम इस दर (दरवाज़े/ठिकाने) को छोड़कर चले गए, तो तुम्हें पूरी दुनिया में पनाह या सहारा देने वाला कोई दूसरा दरवाज़ा (ठिकाना) नहीं मिलेगा।

यह शेर प्रेम की अनमोल और अंतिम प्रकृति पर ज़ोर देता है, जहाँ से वापस जाना, जीवन के सभी सहारे खो देने के बराबर है।

Tumse Bichar Kar Faqat...





Tumse Bichar Kar Faqt Itna Hua Hai Mohsin,
Tera Gaya Kuch Bhi Nahin Mera Raha Kuch Bhi Nahin...


यह शेर उर्दू के प्रसिद्ध और रोमांटिक शायर मोहसिन नक़वी (Mohsin Naqvi) का है।

यह शेर उनकी सबसे लोकप्रिय रचनाओं में से एक है, जो जुदाई (बिछोह) के दर्द को बड़ी गहराई से बयां करता है।

शेर का अर्थ (Meaning of the Couplet)

यह शेर बिछड़ने के बाद दो प्रेमियों पर पड़े विपरीत प्रभाव को दर्शाता है:

  • तुम से बिछड़ कर फ़क़त इतना हुआ है मोहसिन: (ऐ मोहसिन!) तुमसे बिछड़कर बस इतना ही हुआ है...

    • (फ़क़त का अर्थ है 'केवल' या 'बस')

  • तेरा गया कुछ भी नहीं, मेरा रहा कुछ भी नहीं: (चूँकि तुमने प्यार नहीं किया), तुम्हारा तो कुछ भी नहीं गया, क्योंकि तुमने कुछ खोया ही नहीं; लेकिन (चूँकि मैंने तुमसे गहरा प्यार किया), मेरा सब कुछ चला गया और मेरे पास कुछ भी नहीं बचा।

यह शेर इश्क़ और जुदाई के दर्द को एकतरफ़ा (one-sided) महसूस करने वाले प्रेमी की भावनाओं को पूरी शिद्दत से बयान करता है।

Na rakh Umeed-E-Wafa..


Na rakh Umeed-E-Wafa kisi parindey se “Wasi”
Zara par kya nikal aaye, apna hi Aashiyana bhool jaate hain...

यह शेर उर्दू के समकालीन (contemporary) और बहुत लोकप्रिय शायर वसी शाह (Wasi Shah) का है।

इस शेर में शायर ने बेवफ़ाई और एहसान फ़रामोशी (ingratitude) को 'परिंदे' के रूपक (metaphor) के माध्यम से बड़ी खूबसूरती से बयान किया है।

शेर का अर्थ (Meaning of the Couplet)

  • न रख उम्मीद-ए-वफ़ा किसी परिंदे से 'वसी': (ऐ वसी!) किसी परिंदे से वफ़ादारी की उम्मीद मत रखो।

    • यहाँ 'परिंदा' उस व्यक्ति का प्रतीक है, जिसे सहारा दिया गया हो, लेकिन अब वह स्वतंत्र हो गया हो।

  • ज़रा पर क्या निकल आए, अपना ही आशियाना भूल जाते हैं: ज़रा-से (नए) पर (पंख) क्या निकल आते हैं, वह अपना ही घोंसला (आशियाना/ठिकाना) भूल जाते हैं (यानी एहसान फ़रामोश हो जाते हैं)।

शायर कहता है कि जिस व्यक्ति को आपने सहारा दिया, और जैसे ही उसे उड़ने के लिए थोड़ी ताक़त (पंख) मिली, वह आपको और आपके दिए हुए सहारे को भुला देता है। यह शेर अक्सर उन लोगों के लिए इस्तेमाल होता है जो सफलता मिलने पर अपने मददगारों को भूल जाते हैं।


Badla na teray bad bhi...





























Badla na teray bad bhi mouzoo-e-guftago,,, 

Tu ja chuka hai phir bhi meri mehfilon mein hai...



यह खूबसूरत और भावुक शेर उर्दू के समकालीन शायर वसी शाह (Wasi Shah) का है।

यह शेर जुदाई (separation) के बाद भी प्रियतम की निरंतर उपस्थिति और याद को दर्शाता है।

शेर का अर्थ (Meaning of the Couplet)

  • बदला न तेरे बा'द भी मौज़ू-ए-गुफ़्तुगू: तुम्हारे चले जाने के बाद भी, मेरी बातचीत का विषय (मौज़ू-ए-गुफ़्तुगू) नहीं बदला है।

  • तू जा चुका है फिर भी मेरी महफ़िलों में है: तुम शारीरिक रूप से यहाँ से जा चुके हो, लेकिन तुम्हारी बातें, तुम्हारी यादें और तुम्हारा ज़िक्र अभी भी मेरी महफ़िलों (गोष्ठियों/दोस्तों के बीच) में कायम है।

शायर कहता है कि प्रियतम के जाने के बावजूद, उसकी यादें इतनी गहरी हैं कि वह आज भी हर चर्चा का केंद्र बने हुए हैं, जिससे यह महसूस होता है कि वह हमेशा पास ही हैं।

We Are Indians


You have to vote here. Please read the post before voting. Do you feel proud to be...

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Hi all.....There is a poll above to gauge our collective thoughts about ourselves. There are a few questions that come to mind, which I am sharing here.

1. Have you ever compared and found that your religion is better than others

2. Have you ever tried to help others even though they don't belong to your community/religion

3. Do you support Inter-religious marriages? Would you go for it despite the disapproval from your community/religion........

4. If a communal riot ever occurs, would you help and fight for your community.....or would you be helping the victims....without knowing which community they belong to.

5. Here's a situation.....In your society, you are 10 people, out of which 2 come from a different community, would you try to make them feel at home (here I mean to say to make them feel normal) or would you try to tell them "boss, there are eight of us here and just two of you.....so don't try to mess with us

6. When you are abroad, amidst people whom you don't know, would you feel like introducing yourself as from a particular religion or from your nation?

7. Can you leave your religious prayers, especially when you know that it would not be good......to help somebody in grave pain.

8. Do you visit a temple, mosque, church or gurudwara without thinking about them belonging to other religions?

.....

let's all say

we are proud indians

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