गीत "अजीब दास्ताँ है ये कहाँ शुरू कहाँ ख़तम" फ़िल्म "दिल अपना और प्रीत पराई" (Dil Apna Aur Preet Parai, 1960) का है।
यहाँ इस सदाबहार गीत से जुड़ी जानकारी दी गई है:
गीत: अजीब दास्ताँ है ये
| विवरण (Detail) | जानकारी (Information) |
| गायिका (Singer) | लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) |
| संगीतकार (Music Director) | शंकर-जयकिशन (Shankar-Jaikishan) |
| गीतकार (Lyricist) | शैलेन्द्र (Shailendra) |
| फ़िल्म (Film) | दिल अपना और प्रीत पराई (Dil Apna Aur Preet Parai) |
| कलाकार (Picturized on) | मीना कुमारी (Meena Kumari) |
गीत का अर्थ और महत्व (Meaning and Significance)
अर्थ: गीत की शुरुआती लाइनें जीवन और प्रेम की अजीब कहानी (strange tale) पर एक दार्शनिक विचार है, यह पूछते हुए कि यह कहाँ शुरू हुई और कहाँ खत्म होगी।
भाव: यह गीत उदासी, त्याग (sacrifice) और स्वीकृति के भावों से भरा हुआ है।
फ़िल्म में संदर्भ: यह गाना तब आता है जब मीना कुमारी का किरदार (करुणा), एक डॉक्टर से शादी करने के बाद, यह महसूस करती है कि उसका पति (राज कुमार) अभी भी अपनी पहली प्रेमिका (नंदा) से प्यार करता है, और इस जटिल स्थिति में वह अकेलेपन और असमंजस का सामना करती है।
संगीत की खूबी: शंकर-जयकिशन ने एक सरल, धीमी धुन बनाई, जो लता जी की आवाज़ के साथ मिलकर इस गाने को अविस्मरणीय (unforgettable) बना देती है।
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