Monday, March 12, 2012

Man re tu Kahe na - Mohammad Rafi




यह गीत मोहम्मद रफ़ी की आवाज़ में है और फ़िल्म 'चित्रलेखा' (Chitralekha), 1964 का एक दार्शनिक (philosophical) और शास्त्रीय (classical) गीत है।

गीत और फ़िल्म की पहचान

विवरणजानकारी
गीत"मन रे तू काहे न धीर धरे"
फ़िल्मचित्रलेखा (Chitralekha) (1964)
गायकमोहम्मद रफ़ी
संगीतकाररोशन (Raag Yaman Kalyan पर आधारित)
गीतकारसाहिर लुधियानवी
थीमधैर्य, मन को शांत करना, जीवन की अस्थिरता (impermanence)।

गीत का सार और महत्व

यह गीत एक तरह का भजन या आत्म-चिंतन (self-reflection) है, जिसमें व्यक्ति अपने चंचल मन (मन रे) को समझा रहा है कि वह क्यों धैर्य नहीं रखता (तू काहे न धीर धरे)।

  • मूल संदेश: जीवन में सुख और दुख दोनों ही अस्थायी हैं, इसलिए किसी भी परिस्थिति में घबराना या अधीर होना व्यर्थ है।

  • दार्शनिक गहराई: साहिर लुधियानवी की कलम ने जीवन की कठिनाइयों (डगर) को ज़रूरी बताया है, क्योंकि ये ही हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं।

  • शास्त्रीय मधुरता: संगीतकार रोशन ने राग यमन कल्याण का उपयोग करके इस गीत को एक शांत और दैवीय (divine) एहसास दिया है, जो मोहम्मद रफ़ी की आवाज़ की कोमलता के साथ मिलकर इसे मन को शांति देने वाला एक कालातीत (timeless) क्लासिक बनाता है।

यह गाना आज भी उन लोगों के लिए प्रेरणास्रोत है जो जीवन के संघर्षों में शांति और धैर्य की तलाश कर रहे हैं।


(This video is posted by the channel Mohd Rafi Hit Songs on YouTube, and Raree India has no direct claim to this video.) This video is added to this post for knowledge purposes only.)

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