Friday, April 06, 2012

Aap aaye to zindagi (jahan ara) Rafi





"बाद मुद्दत के ये घड़ी आई, आप आए तो ज़िंदगी आई" है, जो फ़िल्म 'जहाँ आरा' (Jahan Ara, 1964) का एक अत्यंत लोकप्रिय युगल गीत (Duet) है, जिसे मोहम्मद रफ़ी और सुमन कल्याणपुर ने गाया है।

यह गीत और फ़िल्म दोनों ही अपने संगीत और भव्यता के लिए जाने जाते हैं।

यहाँ फ़िल्म 'जहाँ आरा' (1964) से जुड़े विस्तृत तथ्य और दिलचस्प जानकारी दी गई है:


गीत का विवरण: "बाद मुद्दत के ये घड़ी आई, आप आए तो ज़िंदगी आई"

यह गीत फ़िल्म के रोमांटिक और भावनात्मक केंद्र में है।

विशेषताजानकारी
गायक/गायिकामोहम्मद रफ़ी (Mohammed Rafi) और सुमन कल्याणपुर (Suman Kalyanpur)
संगीतकारमदन मोहन (Madan Mohan)
गीतकारराजेन्द्र कृष्ण (Rajinder Krishan)
कलाकार (फिल्मांकन)भारत भूषण (Bharat Bhushan) और माला सिन्हा (Mala Sinha)
गीत की एक पंक्ति“इश्क़ मर-मर के कामयाब हुआ, आज एक ज़र्रा आफ़ताब हुआ”

यह गीत मुग़ल शहज़ादी जहाँआरा और मिर्ज़ा युसुफ़ चेंगेज़ी के बीच लम्बे समय बाद होने वाले मिलन के भाव को दर्शाता है, जिसमें ख़ुशी, सुकून और पुनर्मिलन की भावना भरी हुई है। यह मदन मोहन की उत्कृष्ट मेलोडी कंपोजीशन में से एक है।

फ़िल्म 'जहाँ आरा' (Jahan Ara, 1964) से जुड़े दिलचस्प तथ्य

'जहाँ आरा' एक ऐतिहासिक प्रेम कहानी है जो मुग़ल इतिहास की भव्यता को दर्शाती है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और कहानी

  • पात्र पर आधारित पहली फ़िल्म: यह हिंदी सिनेमा की पहली फ़िल्म थी जो मुग़ल सम्राट शाहजहाँ की बड़ी बेटी, जहाँआरा बेगम साहिब के जीवन पर आधारित थी। फ़िल्म में माला सिन्हा ने जहाँआरा का किरदार निभाया था।

  • ताजमहल और त्याग: कहानी जहाँआरा और एक फ़ारसी कवि मिर्ज़ा युसुफ़ चेंगेज़ी (भारत भूषण) के बचपन के प्यार के इर्द-गिर्द घूमती है। फ़िल्म में दिखाया गया है कि अपनी माँ मुमताज़ महल की मृत्यु के बाद, जहाँआरा अपने पिता शाहजहाँ (पृथ्वीराज कपूर) की देखभाल करने का वचन देती है। इस वचन को निभाने के लिए, वह अपने प्रेमी को त्याग देती है।

  • जहाँआरा बेगम: जहाँआरा एक शक्तिशाली और धनी मुग़ल राजकुमारी थीं, जिन्होंने अपनी संपत्ति से दिल्ली में चांदनी चौक बाज़ार और उसके पास के बागानों की योजना बनाई थी।

संगीत से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य

  • मदन मोहन का श्रेष्ठ स्कोर: महान संगीतकार मदन मोहन ने इस फ़िल्म के लिए संगीत तैयार किया। हालाँकि फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर ज़्यादा सफल नहीं हुई, लेकिन इसका संगीत (खासकर ग़ज़लें) कालजयी (Timeless Classics) माने जाते हैं।

  • मोहम्मद रफ़ी के अन्य गीत: रफ़ी साहब ने इस फ़िल्म में एक और बेहतरीन सोलो ग़ज़ल गाई है: "किसी की याद में दुनिया को हैं भुलाए हुए"

  • तलत महमूद का योगदान: मदन मोहन ने इस फ़िल्म के साथ तलत महमूद को कई वर्षों के अंतराल के बाद फ़िल्मी संगीत में वापस लाया। तलत महमूद ने फ़िल्म के लिए तीन सोलो (जैसे "फिर वही शाम, वही ग़म, वही तन्हाई") और एक युगल गीत गाया। संगीत प्रेमियों के लिए यह एक बड़ी बात थी।

  • मंगेशकर बहनों का अनूठा रिकॉर्ड: माना जाता है कि इस फ़िल्म के लिए एक गीत रिकॉर्ड किया गया था जिसमें चारों मंगेशकर बहनें (लता, आशा, उषा और मीना) एक साथ थीं। हालाँकि, इस गीत को फ़िल्म में शामिल नहीं किया गया और न ही यह व्यावसायिक रूप से रिलीज़ हो पाया।

मुख्य कलाकार

  • माला सिन्हा – जहाँआरा

  • भारत भूषण – मिर्ज़ा युसुफ़ चेंगेज़ी

  • पृथ्वीराज कपूर – शाहजहाँ

  • शशिकला – मुमताज़ महल की बहन

निष्कर्ष: 'जहाँ आरा' एक ऐसी फ़िल्म है जिसका नाम इतिहास और मदन मोहन के मेलोडी भरे संगीत के कारण आज भी सम्मान से लिया जाता है।

(This video is posted by channel – Sanam1980 on YouTube, and Raree India has no direct claims to this video. This video is added to this post for knowledge purposes only.)

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