यह गीत मोहम्मद रफ़ी साहब के सबसे अधिक पसंद किए जाने वाले और भावनात्मक गीतों में से एक है, जो 1968 की फ़िल्म 'हमसाया' (Humsaya) का हिस्सा है।
यहाँ इस गीत के वीडियो का विवरण और फ़िल्म से जुड़े कुछ दिलचस्प तथ्य दिए गए हैं:
गीत का विवरण: "दिल की आवाज़ भी सुन"
यह गीत गहन प्रेम, विश्वास और न्याय की गुहार (plea for justice) से भरा हुआ है, जहाँ नायक अपनी प्रेमिका से शब्दों या दुनिया के इल्ज़ामों के बजाय अपने दिल की सच्चाई सुनने का आग्रह करता है।
वीडियो का सार और मूड
थीम: यह गीत प्रेम में विश्वास को फिर से स्थापित करने की भावनात्मक कोशिश है। नायक पर किसी अपराध का इल्ज़ाम है, और वह जानता है कि उसकी प्रेमिका भी उस पर शक कर रही है।
भावनात्मक अपील: वीडियो में जॉय मुखर्जी, जो कि फ़िल्म में नायक की भूमिका में हैं, गहरी उदासी और बेचैनी के साथ यह गीत गाते हैं। वह अपनी प्रेमिका (शर्मिला टैगोर) की ओर देखते हैं, जो उनसे रूठी हुई है।
मुख्य पंक्तियाँ:
दिल की आवाज़ भी सुन, मेरे फ़साने पे न जा, मेरी नज़रों की तरफ़ देख, ज़माने पे न जा। यह पंक्तियाँ गीत के सार को दर्शाती हैं कि दुनिया के इल्ज़ामों (कहानी) पर मत जाओ, बल्कि मेरी आँखों में मेरे दिल की सच्चाई देखो।
संगीत शैली: ओ. पी. नैय्यर के संगीत की पहचान इसमें साफ़ दिखती है, जहाँ तेज़ ताल (rhythms) और वेस्टर्न ऑर्केस्ट्रेशन का प्रभाव है, लेकिन मोहम्मद रफ़ी की आवाज़ ने इसे एक क्लासिक उदास-रूमानी (melancholic-romantic) स्पर्श दिया है।
फ़िल्म 'हमसाया' (Humsaya, 1968) के बारे में दिलचस्प तथ्य
'हमसाया' एक रोमांटिक जासूसी थ्रिलर फ़िल्म थी जो अपने ज़माने में काफी लोकप्रिय हुई थी।
जॉय मुखर्जी का डबल रोल और निर्देशन: इस फ़िल्म के नायक जॉय मुखर्जी ने न सिर्फ़ भारतीय वायु सेना के अधिकारी श्याम और उनके हमशक्ल चीनी जासूस लिन टैन का दोहरा किरदार (Double Role) निभाया, बल्कि उन्होंने ही इस फ़िल्म को निर्मित (Produced) और निर्देशित (Directed) भी किया था।
दो प्रसिद्ध नायिकाएँ: फ़िल्म में दो प्रमुख अभिनेत्रियाँ थीं: शर्मिला टैगोर और माला सिन्हा। जॉय मुखर्जी के दोहरे किरदार को देखते हुए, दो नायिकाओं का होना कहानी को रोमांटिक मोड़ देता है।
सेट पर प्रतिद्वंदिता: मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, फ़िल्म के सेट पर दो लीड अभिनेत्रियों, शर्मिला टैगोर और माला सिन्हा के बीच प्रतिद्वंदिता (rivalry) की ख़बरें थीं। उनकी तकरार इतनी बढ़ गई थी कि एक रिपोर्ट में तो यह भी दावा किया गया था कि एक सीन के दौरान माला सिन्हा ने शर्मिला टैगोर को थप्पड़ मार दिया था। हालाँकि, माला सिन्हा ने बाद में इन ख़बरों को पब्लिसिटी स्टंट बताया था।
ओ. पी. नैय्यर और रफ़ी का ब्रेक: यह गीत महान संगीतकार ओ. पी. नैय्यर और मोहम्मद रफ़ी के बीच आखिरी बड़े सहयोगों में से एक माना जाता है। इस फ़िल्म के बाद, कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, दोनों के बीच किसी वजह से मनमुटाव हो गया था, और ओ. पी. नैय्यर ने बाद में रफ़ी की जगह महेंद्र कपूर का इस्तेमाल ज़्यादा करना शुरू कर दिया था।
कहानी का प्लॉट: यह फ़िल्म जासूसी थ्रिलर (spy thriller) शैली की थी, जिसमें एक भारतीय एयर फ़ोर्स अधिकारी को उसके चीनी हमशक्ल जासूस द्वारा फंसा दिया जाता है, और फिर वह अपनी बेगुनाही साबित करने की लड़ाई लड़ता है।
Very nice and meaningful song
ReplyDelete