Friday, April 06, 2012

Mehboob Ki Mehndi - Yeh Jo Chilman Hai - Mohd.Rafi





यह गीत अभिनेता राजेश खन्ना के सबसे यादगार और लोकप्रिय गीतों में से एक है, जिसने उनके रोमांटिक सुपरस्टार की छवि को और मजबूत किया।

यहाँ गीत के वीडियो का विवरण और फ़िल्म 'मेहबूब की मेहंदी' (Mehboob Ki Mehndi) से जुड़े कुछ दिलचस्प तथ्य दिए गए हैं:


गीत का विवरण: "ये जो चिलमन है"

यह एक क्लासिक रोमांटिक गीत है जो पर्दे के पीछे छिपी प्रेमिका से मिलने की बेसब्री और मीठी गुस्ताख़ी को दर्शाता है।

विशेषताजानकारी
फ़िल्ममेहबूब की मेहंदी (Mehboob Ki Mehndi) (1971)
गायकमोहम्मद रफ़ी (Mohammed Rafi)
संगीतकारलक्ष्मीकांत-प्यारेलाल (Laxmikant-Pyarelal)
गीतकारआनंद बख्शी (Anand Bakshi)
कलाकार (फिल्मांकन)राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) और लीना चन्दावरकर (Leena Chandavarkar)

वीडियो का सार और मूड

  • थीम: यह गीत नायक द्वारा नायिका को प्रेमपूर्वक छेड़ने और उससे पर्दा हटाने की गुज़ारिश है। 'चिलमन' (Chilman/पर्दा) यहाँ केवल एक भौतिक बाधा नहीं है, बल्कि शर्म और संकोच की रोमांटिक बाधा भी है।

  • राजेश खन्ना की अदा: वीडियो में राजेश खन्ना अपनी अद्वितीय अदाओं (unique mannerisms) का प्रदर्शन करते हैं, जैसे आँख मारना और सिर हिलाना। वह बड़ी ही मासूमियत से चिलमन के इर्द-गिर्द घूमकर अपनी प्रेमिका से पर्दा हटाने का आग्रह करते हैं।

  • विरोध और आकर्षण: पर्दे के पीछे बैठी नायिका (लीना चन्दावरकर) अपने संकोची हाव-भाव (coy expressions) से नायक को और भी ज़्यादा आकर्षित करती है। यह गीत प्यार में आकर्षण और थोड़ी-सी तकरार (teasing) के आनंद को खूबसूरती से दर्शाता है।

  • मुख्य पंक्तियाँ:

    ये जो चिलमन है, दुश्मन है हमारी

    कितनी शरमीली है दुल्हन हमारी

    दूसरा और कोई यहाँ क्यूँ रहे

    हुस्न और इश्क़ के दरमियाँ क्यूँ रहे


फ़िल्म 'मेहबूब की मेहंदी' (1971) के बारे में दिलचस्प तथ्य

यह फ़िल्म एक सामाजिक ड्रामा है जो मुस्लिम समाज के रीति-रिवाजों और पारिवारिक मूल्यों पर केंद्रित है, लेकिन इसकी सबसे बड़ी पहचान इसका शानदार संगीत है।

  1. राजेश खन्ना का स्वर्णिम दौर: यह फ़िल्म राजेश खन्ना के करियर के स्वर्णिम दौर (Golden Period) में रिलीज़ हुई थी, जहाँ उनकी हर फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा रही थी। फ़िल्म ने राजेश खन्ना को एक ऐसे मुस्लिम लड़के के किरदार में दिखाया जो शायरी पसंद करता है।

  2. संगीत की अपार सफलता: फ़िल्म का संगीत, जो लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने दिया था, ज़बरदस्त हिट रहा। "ये जो चिलमन है" के अलावा, "मेरे दीवानेपन की भी दवा नहीं," और "जानाब-ए-आली" जैसे गाने भी बेहद लोकप्रिय हुए।

  3. निर्देशक की वापसी: फ़िल्म के निर्देशक एच. एस. रवैल ने इस फ़िल्म के साथ एक सफल वापसी की थी, और उनकी बेटी लीना चन्दावरकर इस फ़िल्म की मुख्य अभिनेत्री थीं।

  4. गीतकार-संगीतकार की जोड़ी: यह फ़िल्म गीतकार आनंद बख्शी और संगीतकार लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की सफल जोड़ी के कई हिट एल्बमों में से एक है, जिन्होंने 70 के दशक के अधिकांश संगीत पर राज किया।

  5. उर्दू साहित्यिक स्पर्श: फ़िल्म के संवादों और गीतों में एक उच्च कोटि का उर्दू साहित्यिक स्पर्श है, जो फ़िल्म को एक खास नज़ाकत और संवेदनशीलता देता है।

(This video is posted by channel – SRE MUSIC on YouTube, and Raree India has no direct claims to this video. This video is added to this post for knowledge purposes only.)

No comments:

Post a Comment

Do Leave a Comment

Search This Blog