Friday, April 06, 2012

Rafi - Ye Zulf Agar Khul Ke - Kaajal [1965]





यह गीत मोहम्मद रफ़ी साहब के गाये गए सबसे शायराना (poetic) और क्लासिकल रोमांटिक गीतों में से एक है, जो 1965 की फ़िल्म 'काजल' (Kaajal) का हिस्सा है।

यहाँ इस गीत के वीडियो का विवरण और फ़िल्म से जुड़े कुछ दिलचस्प तथ्य दिए गए हैं:


गीत का विवरण: "ये ज़ुल्फ़ अगर खुल जाए तो"

यह एक गहन रूमानी ग़ज़ल शैली का गीत है, जहाँ नायक अपनी प्रेमिका के केशों (बालों) की तारीफ़ करने के लिए काव्यात्मक रूपक (poetic metaphors) का उपयोग करता है।

विशेषताजानकारी
फ़िल्मकाजल (Kaajal) (1965)
गायकमोहम्मद रफ़ी (Mohammed Rafi)
संगीतकाररवि (Ravi)
गीतकारसाहिर लुधियानवी (Sahir Ludhianvi)
कलाकार (फिल्मांकन)राज कुमार (Raaj Kumar) और मीना कुमारी (Meena Kumari)

  • थीम: नायक (राज कुमार) नायिका (मीना कुमारी) के सौंदर्य, विशेष रूप से उसकी जुल्फों की प्रशंसा करता है। वह कहता है कि अगर ये ज़ुल्फ़ें खुल जाएँ, तो दुनिया पर अंधेरा छा जाएगा, जो उनकी मोहक शक्ति (captivating power) को दर्शाता है।

  • कलाकारों की केमिस्ट्री: राज कुमार अपने अद्वितीय संवाद शैली और मीना कुमारी अपने गहरे भावनात्मक प्रदर्शन (intense emotional expressions) से गीत को जीवंत करती हैं। राज कुमार की संवाद अदायगी वाला अंदाज़ इस गाने को एक खास ड्रामा और स्टाइल देता है।

  • बोलों की ख़ूबसूरती: गीत साहिर लुधियानवी की बेहतरीन शायरी का उदाहरण है, जो रूपक और विरोधाभास का उपयोग करते हैं:

    ये ज़ुल्फ़ अगर खुल जाए तो, शायद घटा भी शरमा जाए! फिर चुलबुल एक हवा आए तो, दुनिया पे अँधेरा छा जाए!


फ़िल्म 'काजल' (Kaajal, 1965) के बारे में दिलचस्प तथ्य

'काजल' 1965 की एक बड़ी हिट थी, जिसने बॉक्स ऑफिस पर अपार सफलता हासिल की और इसे कई श्रेणियों में फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कारों के लिए नामांकित किया गया।

  1. उपन्यास पर आधारित: यह फ़िल्म लोकप्रिय लेखक गुलशन नंदा के हिंदी उपन्यास 'नवीन' (Naveen) पर आधारित थी, जो सामाजिक ड्रामा और पारिवारिक रिश्तों पर केंद्रित था।

  2. स्टार-स्टडेड कास्ट: फ़िल्म में 60 के दशक के तीन बड़े सितारे थे:

    • मीना कुमारी (ट्रेजेडी क्वीन)

    • राज कुमार (अपने स्टाइल के लिए जाने जाते थे)

    • धर्मेंद्र (उभरते हुए स्टार)

  3. मीना कुमारी का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन: मीना कुमारी ने अपनी सशक्त भूमिका के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार (Filmfare Award for Best Actress) जीता। यह उनकी सबसे यादगार और समीक्षकों द्वारा प्रशंसित (critically acclaimed) भूमिकाओं में से एक है।

  4. रवि और साहिर की जोड़ी: इस फ़िल्म के माध्यम से संगीतकार रवि और गीतकार साहिर लुधियानवी की जोड़ी ने एक और सफल सहयोग दिया। "ये ज़ुल्फ़ अगर खुल जाए" के अलावा, "छू लेने दो नाज़ुक होंठों को" (रफ़ी) और "तोरा मन दर्पण कहलाए" (आशा भोंसले) जैसे गाने भी इसी फ़िल्म से थे।

  5. डार्क थीम: फ़िल्म की कहानी एक जटिल पारिवारिक साज़िश, विश्वासघात, और प्रेम के बलिदान के इर्द-गिर्द घूमती है, जो उस समय के सामाजिक-पारिवारिक नाटकों के पैटर्न को दर्शाती है।


(This video is posted by channel – Shemaroo Filmi Gaane  on YouTube, and Raree India has no direct claims to this video. This video is added to this post for knowledge purposes only.)

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