Wednesday, April 04, 2012

Ye soch lo ab ...


Ye soch lo ab aakhri saaya hai mohabbat 
is dar se uthoge to koii dar(darwaza) na milega..


यह शेर उर्दू के महान और प्रतिष्ठित शायर अहमद नदीम क़ासमी (Ahmad Nadeem Qasmi) का है।

यह शेर प्रेम में समर्पण और अंतिम अवसर के महत्व को दर्शाता है।

शेर का अर्थ (Meaning of the Couplet)

  • ये सोच लो अब आख़िरी साया है मोहब्बत: शायर चेतावनी देते हुए कहता है कि इस बात को अच्छी तरह से सोच लो, कि यह मोहब्बत का आख़िरी साया (यानी आख़िरी ठिकाना, आख़िरी आसरा) है।

  • इस दर से उठोगे तो कोई दर (दरवाज़ा) न मिलेगा: अगर तुम इस दर (दरवाज़े/ठिकाने) को छोड़कर चले गए, तो तुम्हें पूरी दुनिया में पनाह या सहारा देने वाला कोई दूसरा दरवाज़ा (ठिकाना) नहीं मिलेगा।

यह शेर प्रेम की अनमोल और अंतिम प्रकृति पर ज़ोर देता है, जहाँ से वापस जाना, जीवन के सभी सहारे खो देने के बराबर है।

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