यह गीत 'अफ़साना लिख रही हूँ दिल-ए-बेकरार का' हिंदी सिनेमा के सबसे प्रसिद्ध और प्रभावशाली गीतों में से एक है। यह गाना एक महिला की भावनाओं और उसके दिल के दर्द को बड़ी गहराई से व्यक्त करता है।
गीत का विवरण (Song Details)
| विवरण | जानकारी |
| फिल्म (Movie) | दर्द (Dard) |
| रिलीज़ वर्ष (Release Year) | 1947 |
| गायक (Singer) | सुरैया (Suraiya) |
| संगीत निर्देशक (Music Director) | नौशाद (Naushad) |
| गीतकार (Lyricist) | शकील बदायुनी (Shakeel Badayuni) |
| कलाकार (Star Cast) | सुरैया (Suraiya), नुसरत बानो (Nusrat Bano), मुनव्वर सुल्ताना (Munawwar Sultana) |
रोचक तथ्य (Interesting Facts)
सुरैया की दोहरी प्रतिभा: यह गाना अभिनेत्री-गायिका सुरैया के सबसे यादगार गीतों में से एक है। 1940 के दशक में, सुरैया अपनी आवाज़ और अभिनय दोनों के लिए बेहद लोकप्रिय थीं। उन्होंने यह गाना खुद गाया और इसे स्क्रीन पर खुद पर ही फिल्माया। उनकी आवाज़ में एक अनोखी मिठास और दुख का भाव था जो इस गीत के लिए एकदम सही था।
नौशाद और शकील बदायुनी का संगम: संगीतकार नौशाद और गीतकार शकील बदायुनी की जोड़ी ने बॉलीवुड को कई अविस्मरणीय क्लासिक्स दिए हैं। यह गीत उनकी सफल साझेदारी के शुरुआती और बेहतरीन उदाहरणों में से एक है। शकील के बोल, जो दिल के दर्द (दिल-ए-बेकरार) को कहानी (अफ़साना) के रूप में लिख रहे हैं, गहन और काव्यात्मक हैं।
फिल्म का विषय: फिल्म 'दर्द' (Dard - Pain) जैसा कि नाम से पता चलता है, एक भावनात्मक और ट्रेजिक ड्रामा थी। यह गीत फिल्म की मुख्य नायिका के विरह और आंतरिक संघर्ष को दर्शाता है, जो इसे फिल्म का एक महत्वपूर्ण भावनात्मक केंद्र बनाता है।
भारतीय स्वतंत्रता का वर्ष: यह फिल्म और गीत भारतीय इतिहास के एक बहुत ही महत्वपूर्ण वर्ष, 1947 में रिलीज़ हुआ, जिस वर्ष भारत को स्वतंत्रता मिली। फिल्म के गीत, अपनी क्लासिकल मधुरता के बावजूद, उस दौर के लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय हुए।
यह गीत आज भी उन श्रोताओं के बीच लोकप्रिय है जो 1940 के दशक की शुद्ध, भावपूर्ण और क्लासिकल धुनों को पसंद करते हैं।
(This video is posted by channel – {OBM Puraane Gaane}
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