यह गीत 'वो दिल कहाँ से लाऊँ, तेरी याद जो भुला दे' हिंदी सिनेमा के सबसे भावुक और दर्द भरे गीतों में से एक है, जिसे लता मंगेशकर ने अपनी दर्द भरी आवाज़ दी है।
गीत का विवरण (Song Details)
| विवरण | जानकारी |
| फिल्म (Movie) | भरोसा (Bharosa) |
| रिलीज़ वर्ष (Release Year) | 1963 |
| गायक (Singer) | लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) |
| संगीत निर्देशक (Music Director) | रवि (Ravi) |
| गीतकार (Lyricist) | राजेंद्र कृष्ण (Rajendra Krishan) |
| कलाकार (Star Cast) | आशा पारेख (Asha Parekh), गुरु दत्त (Guru Dutt) |
फिल्म और गीत के रोचक तथ्य (Interesting Facts about the Movie and Song)
अभिनेत्री पर फिल्मांकन: यह गाना मुख्य रूप से अभिनेत्री आशा पारेख पर फिल्माया गया है, जिन्होंने उस समय की फिल्मों में चुलबुली भूमिकाओं के लिए अपनी पहचान बनाई थी। इस तरह के गंभीर और भावुक गाने में उनका प्रदर्शन दर्शकों के लिए यादगार बन गया।
संगीतकार रवि का योगदान: संगीतकार रवि (Ravi) अपनी सरल, मधुर और हृदयस्पर्शी धुनों के लिए जाने जाते थे। उन्होंने इस गाने में वाद्य यंत्रों (instruments) का प्रयोग बहुत ही संयमित (minimal) तरीके से किया, जिससे लता जी की आवाज़ और राजेंद्र कृष्ण के बोल की उदासी और गहराई पूरी तरह से उभर कर आई।
राजेंद्र कृष्ण के भावुक बोल: गीतकार राजेंद्र कृष्ण के बोल प्रेम में निराश एक व्यक्ति के दर्द को बयां करते हैं। "रहने दे मुझको अपने कदमों की ख़ाक बनकर, जो नहीं तुझे गवारा मुझे ख़ाक में मिला दे" जैसी लाइनें उनकी शायरी की संवेदनशीलता को दर्शाती हैं।
गुरु दत्त की दुर्लभ उपस्थिति: यह फिल्म अभिनेता गुरु दत्त की एक दुर्लभ उपस्थिति वाली फिल्म है, जो अपनी गंभीर और कलात्मक फिल्मों (जैसे प्यासा और कागज के फूल) के लिए जाने जाते थे। इस फिल्म में उनका रोल एक अलग तरह का आकर्षण पैदा करता है।
(This video is posted by channel – {Saregama Music}
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