Thursday, October 11, 2012

खोज का सफ़र...by Preetpal Hundal







ऐ दोस्त

तुने क्यूँ  चुना

खुद को खुदकशी के लिये

एक ज़ज्बे के लिए ठीक नहीं होता यूँ कतल हो जाना

एक ही नाटक में कितनी बार मरोगे

आखिर कितनी बार

रिश्तों को बचाते बचाते

खुद को न बचा पाओगे

 
वो  रिश्ता होगा

खुदकशी के धरातल पर बना रिश्ता

अपने आप को तोड़   कर

क्या तामीर कर रहे हो,

इमारतें  ऐसे नहीं बनती ,

बस करो अब ...

बंद करो यह नाटक ...

कुछ मत बदलो ..

बस ...

शुरू करो अपनी खोज का सफ़र

ज़िन्दगी  लम्बी कहानी का नाम नहीं है

भूल जाओ  किताबों की बातें

खुद से प्यार करो

यही से शुरू होगा ...

खोज का सफ़र




(प्रीत पॉल हुंडल  )



Painting by Joao Paulo De Carvalho






यह रचना प्रीत पॉल हुंडल द्वारा लिखी गई है।

यह एक बहुत ही गहरी और भावनात्मक कविता है जो दोस्ती, आत्म-सम्मान और जीवन के महत्व पर केंद्रित है। इसमें कवि अपने दोस्त को संबोधित करते हुए खुद को खत्म करने (खुदकशी) के विचार को त्यागने का आग्रह कर रहे हैं।

कविता के मुख्य भाव इस प्रकार हैं:

  • खुद को कत्ल न करने का आग्रह: कवि अपने दोस्त से पूछते हैं कि उसने आत्महत्या का रास्ता क्यों चुना और इसे एक जुनून के लिए खुद का कत्ल करना बताते हैं, जो कि सही नहीं है।

  • खुद को बचाने की सीख: कवि यह समझाते हैं कि रिश्तों को बचाने के लिए बार-बार खुद को मिटाना या कुर्बान करना ठीक नहीं है। ऐसे रिश्ते जो आत्म-त्याग पर आधारित हों, वे खोखले होते हैं।

  • खुद से प्यार करने का संदेश: कविता का सबसे महत्वपूर्ण संदेश यह है कि बाहरी चीजों को बदलने के बजाय, अपनी खोज का सफर शुरू करो और सबसे पहले खुद से प्यार करो। यही आत्म-सम्मान और जीवन में आगे बढ़ने का असली रास्ता है।

कुल मिलाकर, यह एक प्रेरणादायक और मार्मिक रचना है जो जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने और खुद को सबसे पहले महत्व देने की सीख देती है।

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