Tuesday, October 14, 2025

नदी नारे ना जाओ श्याम पैयाँ पडूँ HD - मुझे जीने दो - सुनील दत्त, वहीदा रहमान - आशा भोसले


 

यह गीत भारतीय सिनेमा के स्वर्ण युग का एक बहुत ही सुंदर और प्रसिद्ध लोक-गीत (Folk Song) है। फिल्म 'मुझे जीने दो' (1963) का यह गाना अपनी सादगी और मिट्टी की खुशबू के लिए आज भी याद किया जाता है।

यहाँ इस गीत से जुड़ी कुछ खास जानकारी दी गई है:

गीत का विवरण

  • गायक: आशा भोसले

  • संगीतकार: जयदेव (Jaidev)

  • गीतकार: साहिर लुधियानवी

  • फिल्म: मुझे जीने दो (1963)

  • कलाकार: वहीदा रहमान और सुनील दत्त

गीत की विशेषताएँ

यह गाना चंबल के डाकुओं की पृष्ठभूमि पर आधारित फिल्म का हिस्सा है। संगीतकार जयदेव ने इसमें उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों के लोक संगीत का अद्भुत पुट डाला है। आशा भोसले की आवाज़ में जो खनक और शरारत है, वह वहीदा रहमान के शानदार नृत्य और भावों के साथ मिलकर इसे एक यादगार दृश्य बनाती है।

यहाँ इस गीत के पूरे बोल दिए गए हैं:


नदी नारे न जाओ श्याम (बोल)

नदी नारे न जाओ श्याम पैयाँ पडूँ पैयाँ पडूँ तेरे लागी पडूँ नदी नारे न जाओ श्याम पैयाँ पडूँ

अंतरा 1: पनियाँ भरन को मैं जो गई थी झपट झपट मोरी चुनरी गई थी बीत गई सो बीत गई अब पैयाँ पडूँ नदी नारे न जाओ श्याम पैयाँ पडूँ

अंतरा 2: गैल डगर मोरी छेकत हो तुम आवत जात मोहे रोकत हो तुम लाज शरम मोहे लागत है अब पैयाँ पडूँ नदी नारे न जाओ श्याम पैयाँ पडूँ

अंतरा 3: काहे को मोरी बैंया मरोरी लाख कही पर एक न मानी टूट गई मोरी चूड़ियाँ अब पैयाँ पडूँ नदी नारे न जाओ श्याम पैयाँ पडूँ


इस गीत के बारे में एक रोचक तथ्य:

इस गाने को साहिर लुधियानवी ने लिखा था, जो अपनी गंभीर और क्रांतिकारी शायरी के लिए जाने जाते थे। लेकिन इस गीत में उन्होंने जिस तरह से पारंपरिक ब्रज भाषा और लोक-शब्दावली का प्रयोग किया है, वह उनकी बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाता है।

(This video is posted by channel – {Goldmines Gaane Sune Ansune} on YouTube, and Raree India has no direct claims to this video. This video is added to this post for knowledge purposes only.)

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