यह गीत भारतीय सिनेमा के सबसे प्रतिष्ठित और भावुक गीतों में से एक है। फिल्म 'अनारकली' (1953) का यह गाना लता मंगेशकर की अमर आवाज़ और बीना राय के यादगार अभिनय के लिए जाना जाता है।
यहाँ इस सदाबहार गीत की जानकारी दी गई है:
गीत का विवरण
गायिका: लता मंगेशकर
संगीतकार: सी. रामचंद्र (C. Ramchandra)
गीतकार: राजेंद्र कृष्ण
फिल्म: अनारकली (1953)
कलाकार: बीना राय और प्रदीप कुमार
गीत की मुख्य विशेषताएं
फिल्म का आधार: यह फिल्म मुगल शहजादे सलीम और नर्तकी अनारकली की दुखांत प्रेम कहानी पर आधारित है। यह गाना उस वक्त आता है जब अनारकली को दीवार में चिनवाया जा रहा होता है।
दो भाग: इस गाने के दो भाग हैं। पहला भाग एक मधुर प्रेम गीत की तरह शुरू होता है, जबकि दूसरा भाग (जो फिल्म के अंत में आता है) अत्यंत दर्दनाक और मार्मिक है।
लता जी की गायकी: लता मंगेशकर ने इस गाने में जो दर्द और गहराई पिरोई है, उसने इसे भारतीय संगीत के इतिहास में एक 'मास्टरपीस' बना दिया।
गीत के बोल (मुख्य अंश)
"ये ज़िंदगी उसी की है, जो किसी का हो गया प्यार ही में खो गया... ये ज़िंदगी उसी की है..."
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