यह खूबसूरत और भावुक शेर उर्दू के समकालीन शायर वसी शाह (Wasi Shah) का है।
यह शेर जुदाई (separation) के बाद भी प्रियतम की निरंतर उपस्थिति और याद को दर्शाता है।
शेर का अर्थ (Meaning of the Couplet)
बदला न तेरे बा'द भी मौज़ू-ए-गुफ़्तुगू: तुम्हारे चले जाने के बाद भी, मेरी बातचीत का विषय (मौज़ू-ए-गुफ़्तुगू) नहीं बदला है।
तू जा चुका है फिर भी मेरी महफ़िलों में है: तुम शारीरिक रूप से यहाँ से जा चुके हो, लेकिन तुम्हारी बातें, तुम्हारी यादें और तुम्हारा ज़िक्र अभी भी मेरी महफ़िलों (गोष्ठियों/दोस्तों के बीच) में कायम है।
शायर कहता है कि प्रियतम के जाने के बावजूद, उसकी यादें इतनी गहरी हैं कि वह आज भी हर चर्चा का केंद्र बने हुए हैं, जिससे यह महसूस होता है कि वह हमेशा पास ही हैं।




