Wednesday, April 04, 2012

Badla na teray bad bhi...





























Badla na teray bad bhi mouzoo-e-guftago,,, 

Tu ja chuka hai phir bhi meri mehfilon mein hai...



यह खूबसूरत और भावुक शेर उर्दू के समकालीन शायर वसी शाह (Wasi Shah) का है।

यह शेर जुदाई (separation) के बाद भी प्रियतम की निरंतर उपस्थिति और याद को दर्शाता है।

शेर का अर्थ (Meaning of the Couplet)

  • बदला न तेरे बा'द भी मौज़ू-ए-गुफ़्तुगू: तुम्हारे चले जाने के बाद भी, मेरी बातचीत का विषय (मौज़ू-ए-गुफ़्तुगू) नहीं बदला है।

  • तू जा चुका है फिर भी मेरी महफ़िलों में है: तुम शारीरिक रूप से यहाँ से जा चुके हो, लेकिन तुम्हारी बातें, तुम्हारी यादें और तुम्हारा ज़िक्र अभी भी मेरी महफ़िलों (गोष्ठियों/दोस्तों के बीच) में कायम है।

शायर कहता है कि प्रियतम के जाने के बावजूद, उसकी यादें इतनी गहरी हैं कि वह आज भी हर चर्चा का केंद्र बने हुए हैं, जिससे यह महसूस होता है कि वह हमेशा पास ही हैं।

We Are Indians


You have to vote here. Please read the post before voting. Do you feel proud to be...

Hindus
Muslims
Sikhs
Christians
Indians
North Indians
South Indians
Maharashtrians
Bengali
any other (plz specify)______________________________

Hi all.....There is a poll above to gauge our collective thoughts about ourselves. There are a few questions that come to mind, which I am sharing here.

1. Have you ever compared and found that your religion is better than others

2. Have you ever tried to help others even though they don't belong to your community/religion

3. Do you support Inter-religious marriages? Would you go for it despite the disapproval from your community/religion........

4. If a communal riot ever occurs, would you help and fight for your community.....or would you be helping the victims....without knowing which community they belong to.

5. Here's a situation.....In your society, you are 10 people, out of which 2 come from a different community, would you try to make them feel at home (here I mean to say to make them feel normal) or would you try to tell them "boss, there are eight of us here and just two of you.....so don't try to mess with us

6. When you are abroad, amidst people whom you don't know, would you feel like introducing yourself as from a particular religion or from your nation?

7. Can you leave your religious prayers, especially when you know that it would not be good......to help somebody in grave pain.

8. Do you visit a temple, mosque, church or gurudwara without thinking about them belonging to other religions?

.....

let's all say

we are proud indians

Saturday, March 31, 2012

Dastak se dar ka




























Dastak se dar ka, faasla hai aeitmaad ka
per laut jaane ko yahi taakhir hai bahut...





यह शेर उर्दू की महान और संवेदनशील शायरा परवीन शाकिर (Parveen Shakir) का है।

यह शेर भरोसे (trust) और सही समय पर प्रतिक्रिया (response) के महत्व को बड़ी गहराई से व्यक्त करता है।

शेर का अर्थ (Meaning of the Couplet)

  • दस्तक से दर का, फ़ासला है ऐतिमाद का: दस्तक देने वाले (मेहमान) और दरवाज़े (दर) के बीच की दूरी (फ़ासला) वास्तव में भरोसे (ऐतिमाद) की दूरी होती है। (यानी, दरवाज़ा खुलने का इंतज़ार भरोसे पर निर्भर करता है)।

  • पर लौट जाने को यही ताख़ीर है बहुत: लेकिन (अगर दरवाज़ा तुरंत न खुला) वापस लौट जाने के लिए यह थोड़ी-सी देरी (ताख़ीर) भी बहुत ज़्यादा होती है।

शायरा कहती हैं कि प्यार या रिश्ते में भरोसे और प्रतिक्रिया का सही समय पर होना कितना ज़रूरी है। अगर दरवाज़ा तुरंत न खुले, तो इंतज़ार करने वाला उस छोटे से इंतज़ार से भी निराश होकर वापस लौट सकता है, भले ही दरवाज़ा खुलने में क्षण भर की देरी हुई हो।

Khoob karta hai vo ...




























khoob karta hai vo mere zakhm ka iilaaj
kuriedkar dekh leta hai, aur kehta hai waqt lagega....


यह बहुत ही गहरा और व्यंग्यात्मक (sarcastic) शेर समकालीन उर्दू शायर अनवर शूर (Anwar Shoor) का है।

यह शेर ज़ख्मों के इलाज के नाम पर और पीड़ा देने वाले के विरोधाभासी व्यवहार को दर्शाता है।

शेर का अर्थ (Meaning of the Couplet)

  • ख़ूब करता है वो मेरे ज़ख़्म का इलाज: वह (मेरा प्रियतम या मेरा हमदर्द) मेरे ज़ख़्म का इलाज बड़े अच्छे से करता है।

  • कुरेद कर देख लेता है, और कहता है वक़्त लगेगा: उसका इलाज का तरीका यह है कि वह पहले ज़ख़्म को कुरेदता (probes/pokes) है (यानी दर्द को ताज़ा करता है या मज़ा लेता है), और फिर कहता है कि "ठीक होने में तो वक़्त लगेगा"।

शायर कहता है कि जिससे उसे ज़ख़्म मिला है, वही व्यक्ति मरहम लगाने का नाटक करता है, लेकिन वास्तव में वह ज़ख़्म को ताज़ा करके केवल यह जताता है कि वह मजबूर है और समय लगेगा, जबकि दर्द का असली कारण वह खुद है।


kaisi guzar rahi hai





















kaisi guzar rahi hai, sabhi poochte hain
kaise guzaarta hoon, koi poochta nahi.....


यह शेर उर्दू के मशहूर और समकालीन शायर वसीम बरेलवी (Waseem Barelvi) का है।

यह शेर जीवन की उस कड़वी सच्चाई को दर्शाता है जहाँ लोग केवल औपचारिकता (formality) के लिए हाल पूछते हैं, न कि वास्तविक दर्द को समझने के लिए।

शेर का अर्थ (Meaning of the Couplet)

  • कैसी गुज़र रही है, सभी पूछते हैं: (बाहर से) जीवन कैसा चल रहा है, यह तो हर कोई पूछ लेता है।

  • कैसे गुज़ारता हूँ, कोई पूछता नहीं: लेकिन मैं इस जीवन को किस तरह से (यानी कितनी मुश्किलों और दर्द से) जी रहा हूँ, यह कोई नहीं पूछता।

शायर कहता है कि लोग केवल superficial सवाल करते हैं, लेकिन किसी को भी इस बात में दिलचस्पी नहीं है कि अंदर से दर्द और struggle कैसा है।

Ajab paheliyan hain



Ajab paheliyan hain ye haath ki lakeeron mein...

safar likhey magar manzalein nahin likhin...




यह बहुत ही ख़ूबसूरत और मशहूर शेर समकालीन उर्दू शायर वसीम बरेलवी (Waseem Barelvi) का है।

यह शेर इंसान के भाग्य (destiny), जीवन की अनिश्चितता और हाथ की रेखाओं के दार्शनिक पहलू को दर्शाता है।

शेर का अर्थ (Meaning of the Couplet)

  • अजब पहेलियाँ हैं ये हाथ की लकीरों में: हाथ की इन रेखाओं (जो भाग्य बताती हैं) में बड़ी अजीब पहेलियाँ छिपी हुई हैं।

  • सफ़र लिखे मगर मंज़िलें नहीं लिखीं: इन रेखाओं ने जीवन में सफ़र (यात्रा) तो लिख दिया है, यानी जीवन भर भटकना या चलते रहना तो तय है, लेकिन सफ़र का अंत कहाँ होगा या मंज़िल (लक्ष्य/स्थिरता) कहाँ मिलेगी—यह नहीं लिखा गया है।

शायर कहता है कि भाग्य ने जीवन में संघर्ष और यात्राएँ तो दी हैं, लेकिन सुकून और ठहराव का वादा नहीं किया है।

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