Monday, April 09, 2012

DIL DHADAKNE KA SABAB YAAD AAYA BY ASHA BHOSLE ALBUM MERAJ E GHAZAL BY I...


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Salona Sa Sajan Hai Aur Main Hoon with lyrics | सलोना सा सजन है और मैं हूँ | Asha Bhosle



ग़ज़ल का सार (Essence of the Ghazal)

यह ग़ज़ल पूरी तरह से प्रेम और समर्पण की भावना में लिपटी हुई है।

  • सजन की सुंदरता: शुरुआती शेर प्रियतम (सजन) की सुंदरता का वर्णन करता है, और नायिका स्वीकार करती है कि उसका दिल उसी की यादों में डूबा हुआ है:

    सलोना सा सजन है और मैं हूँ जिया में एक अगन है और मैं हूँ (मेरा प्रियतम खूबसूरत है और मैं हूँ; मेरे दिल में एक आग/उत्साह है और मैं हूँ।)

  • ठंडी जलन: शायर (गीतकार) एक विरोधाभास (paradox) का इस्तेमाल करते हैं जो प्रेम की प्रकृति को दर्शाता है। प्रियतम की यादें सुखद हैं, लेकिन दूर होने पर बेचैनी देती हैं:

    तुम्हारे रूप की छाया में साजन बड़ी ठंडी जलन है और मैं हूँ (तुम्हारे रूप की छाया में, हे प्रियतम, एक बड़ी ही ठंडी जलन है।)

  • बेचैनी और पवन: ग़ज़ल में नायिका की बेचैनी को दर्शाया गया है जो प्रियतम के सामने घूँघट भी नहीं उठा पाती, क्योंकि हवा (पवन) भी बहुत चंचल है और रुकावट बन जाती है।

    पिया के सामने घूँघट उठा दे बड़ी चंचल पवन है और मैं हूँ

यह ग़ज़ल आशा भोंसले की गायकी की बहुमुखी प्रतिभा (versatility) को दर्शाती है, जहाँ उन्होंने हल्के-फुल्के फ़िल्मी गीतों के अलावा क्लासिकल टच वाली ग़ज़लों को भी बड़ी ही संजीदगी से गाया है।


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Yeh Dil Ye Pagal Dil Mera (Awargi) | Shaam-E-Ghazal | Ghulam Ali | Mohsin Naqvi | Romantic Ghazal


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Ghulam Ali-Yeh Dil Ye Pagal Ye dil Mera

Mainu Tera Shabab Lai Baitha - Jagjit Singh Punjabi Ghazal



यह ग़ज़ल पंजाबी साहित्य और संगीत के इतिहास के सबसे भावुक और पीड़ादायक गीतों में से एक है। इसे ग़ज़ल किंग जगजीत सिंह ने प्रसिद्ध पंजाबी कवि शिव कुमार बटालवी की अमर रचना को आवाज़ दी है।

यहाँ इस ग़ज़ल का विस्तृत विवरण और इससे जुड़े कुछ दिलचस्प तथ्य दिए गए हैं:

ग़ज़ल का विवरण: "मैनू तेरा शबाब लै बैठा" (Mainu Tera Shabab Lai Baitha)

यह ग़ज़ल नायक की गहन उदासी और बर्बादी की दास्तान है, जिसका कारण प्रियतम की सुंदरता बन जाती है।

विशेषताजानकारी
गायकजगजीत सिंह (Jagjit Singh)
गीतकारशिव कुमार बटालवी (Shiv Kumar Batalvi)
भाषापंजाबी (Punjabi)
थीमअसीम दुःख (Melancholy), बिछोह (Separation), और सौंदर्य के कारण हुई बर्बादी।

ग़ज़ल का सार और भाव

  • मूल विषय: ग़ज़ल का शीर्षक ही इसकी थीम है: "मैनू तेरा शबाब लै बैठा" जिसका अर्थ है "मुझे तेरी जवानी/तेरा सौंदर्य ले डूबा" या "तेरी सुंदरता मेरे विनाश का कारण बन गई।"

  • दर्द का प्रदर्शन: बटालवी की कविता प्रेम में मिली निराशा और दर्द को इतने गहरे स्तर पर छूती है कि श्रोता भी उस पीड़ा को महसूस करते हैं। यह ग़ज़ल इस बात का प्रतीक है कि कभी-कभी सुंदरता और आकर्षण ही व्यक्ति के जीवन में सबसे बड़ा दुःख ला सकता है।

  • जगजीत सिंह की प्रस्तुति: जगजीत सिंह ने अपनी आवाज़ की संवेदनशीलता (vulnerability) का उपयोग करते हुए इस कविता को अमर कर दिया। उनकी प्रस्तुति में वह ठहराव और दर्द है, जो बटालवी की रचना के सार को पूर्णता प्रदान करता है।

दिलचस्प तथ्य (Interesting Facts)

कवि शिव कुमार बटालवी के बारे में

  1. 'बिरहा दा सुलतान': शिव कुमार बटालवी को पंजाबी कविता में 'बिरहा दा सुलतान' (Sultan of Separation/Sorrow) के नाम से जाना जाता है। उनकी अधिकांश रचनाएँ असफल प्रेम, दुःख और अलगाव के विषयों पर केंद्रित हैं।

  2. साहित्य अकादमी पुरस्कार: बटालवी सबसे कम उम्र के ऐसे लेखक थे जिन्हें उनकी प्रसिद्ध कविता 'लूणा' (Loona) के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

  3. ट्रेजिक कवि: उनकी कविताएँ गहरे दुख, ख़ुदकुशी और त्रासदी की भावनाओं से भरी रहती थीं। उनका जीवन भी कम उम्र में ही समाप्त हो गया, जिससे उन्हें पंजाबी साहित्य का ट्रेजिक कवि (Tragic Poet) माना जाता है।

जगजीत सिंह और पंजाबी ग़ज़ल

  1. पंजाबी ग़ज़ल का प्रचार: जहाँ जगजीत सिंह उर्दू ग़ज़लों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध हुए, वहीं उन्होंने पंजाबी ग़ज़ल को भी मुख्यधारा (mainstream) में लाने में अभूतपूर्व योगदान दिया। उन्होंने बटालवी, अमृता प्रीतम जैसे महान पंजाबी कवियों की रचनाओं को संगीतबद्ध किया।

  2. 'शबाब' और 'कागज़ की कश्ती': यह ग़ज़ल (Mainu Tera Shabab) और "वो कागज़ की कश्ती" (Woh Kagaz Ki Kashti) जैसी रचनाओं में एक बड़ा भावनात्मक अंतर है। जहाँ "कागज़ की कश्ती" बचपन की मासूमियत की याद है, वहीं "शबाब" प्यार में मिले दर्द और वयस्कता की त्रासदी को दर्शाता है।

इस ग़ज़ल को अक्सर जगजीत सिंह के पंजाबी गीतों के सबसे भावुक और शक्तिशाली प्रदर्शनों में से एक माना जाता है।



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Friday, April 06, 2012

Shagird - Woh Hain Zara Khafa Khafa - Mohd.Rafi & Lata Mangeshkar






That is a classic romantic duet that perfectly captures the playful mood of a lover's tiff!

Song Details

DetailInformation
SongWoh Hain Zara Khafa Khafa (वो हैं ज़रा ख़फ़ा ख़फ़ा)
MovieShagird (1967)
StarringJoy Mukherjee and Saira Banu
SingersLata Mangeshkar and Mohammed Rafi
Music DirectorLaxmikant-Pyarelal
LyricistMajrooh Sultanpuri
RagaManj Khamaj (often cited)

This song is celebrated for its flirtatious lyrics and the beautiful interplay between the two legendary voices.


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Do ghadi woh

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