(This video is posted by channel – Saregama Ghazal on YouTube, and Raree India has no direct claims to this video. This video is
added to this post for knowledge purposes only.)
Categories
- Videos
- Ashaar
- Paintings
- Kavitaayein
- Articles
- Ghazals
- Regional Music:Punjabi
- Nazms
- Stories
- Interesting picture collection
- Quotes
- Movies
- Short Films
- Style and Trends
- Jokes
- Music instrumental
- Recipes
- Music vocal
- Personal Development
- Punjabi Literature
- Movie Reviews
- Film Personalities
- From My Desk
- Documentaries
- Photography Gallery
- Sculptures
- Folk Music and Culture
- Global Music
- Household Tips
- Non Film Songs
- Personal pictures
- Classical Dance
- DIY
- Interviews
- Stand Up Comedy
Wednesday, April 11, 2012
SEENE MEIN JALAN AANKHON MEIN TOOFAN SA KYUN HAI - SURESH WADKAR
Kabhi Kisi Ko Mukumal Jahan by Bhupinder Singh
भूपिंदर सिंह का गाया गीत "कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता" भारतीय सिनेमा के सबसे भावुक और दार्शनिक गीतों (philosophical songs) में से एक है।
यह गाना 1981 में आई फ़िल्म 'आहिस्ता आहिस्ता' (Ahista Ahista) का है।
यहाँ इस गीत और फ़िल्म से जुड़ी विस्तृत जानकारी और कुछ दिलचस्प तथ्य दिए गए हैं:
फ़िल्म और गीत का विवरण
| विवरण | जानकारी |
| फ़िल्म का नाम | आहिस्ता आहिस्ता (Ahista Ahista) (1981) |
| गायक (Male Version) | भूपिंदर सिंह (Bhupinder Singh) |
| संगीतकार | ख़य्याम (Khayyam) |
| गीतकार | निदा फ़ाज़ली (Nida Fazli) |
| निर्देशक | इस्माईल श्रॉफ (Esmayeel Shroff) |
| मुख्य कलाकार | कुणाल कपूर, पद्मिनी कोल्हापुरे, नंदा, शम्मी कपूर |
| गीत का मूड | उदास, दार्शनिक ग़ज़ल |
गीत से जुड़े दिलचस्प तथ्य (Interesting Facts)
ग़ज़ल का मास्टरपीस संयोजन: यह गीत भारतीय सिनेमा के तीन महान कलाकारों—गायकी में भूपिंदर सिंह, संगीत में ख़य्याम, और शायरी में निदा फ़ाज़ली—के बेहतरीन तालमेल का नतीजा है।
दो संस्करण (Two Versions): इस गीत के दो क्लासिक संस्करण हैं:
पुरुष संस्करण (Male Version): जिसे भूपिंदर सिंह ने अपनी गहरी और मखमली आवाज़ में गाया है।
महिला संस्करण (Female Version): जिसे प्रसिद्ध गायिका आशा भोसले ने गाया है। दोनों ही संस्करण बहुत लोकप्रिय हुए थे।
फ़िल्म का आधार (Source Material): फ़िल्म 'आहिस्ता आहिस्ता' 1967 की कन्नड़ फ़िल्म 'गेज्जे पूजे' (Gejje Pooje) की रीमेक थी।
निदा फ़ाज़ली की शायरी: यह ग़ज़ल मशहूर शायर निदा फ़ाज़ली ने लिखी थी, और यह उनके सबसे प्रसिद्ध फिल्मी गीतों में से एक है। ग़ज़ल जीवन की कड़वी सच्चाई को बयां करती है कि किसी को भी कभी मुकम्मल (संपूर्ण) जहाँ (दुनिया/खुशी) नहीं मिलती। यह निराशा और उम्मीद के मिश्रण को खूबसूरती से दर्शाती है।
ख़य्याम का संगीत: ख़य्याम साहब को उनके भावपूर्ण और ग़ज़ल-आधारित संगीत के लिए जाना जाता है। उन्होंने इस गीत को एक ऐसी धीमी और मार्मिक धुन दी जो भूपिंदर सिंह की आवाज़ की गहराई के साथ पूरी तरह से मेल खाती है।
कलाकार: इस फ़िल्म में कुणाल कपूर (शशि कपूर के बेटे) और पद्मिनी कोल्हापुरे मुख्य भूमिकाओं में थे।
यह गीत आज भी उन लोगों के बीच एक कालातीत (timeless) क्लासिक बना हुआ है जो शायरी और भावपूर्ण संगीत पसंद करते हैं।
ye kya jageh hai film umrao jaan
ग़ज़ल का विवरण: "ये क्या जगह है दोस्तों"
यह गीत उमराव जान के जीवन के अकेलेपन, पहचान के संकट (Identity Crisis) और उदासी को दर्शाता है।
| विशेषता | जानकारी |
| फ़िल्म | उमराव जान (Umrao Jaan) (1981) |
| गायक | आशा भोंसले (Asha Bhosle) |
| संगीतकार | ख़य्याम (Khayyam) |
| गीतकार | शहरयार (Shahryar) |
| कलाकार | रेखा (Umrao Jaan) |
वीडियो का सार और मूड
थीम: यह गीत तब आता है जब उमराव जान (रेखा) को अपने गृहनगर फ़ैज़ाबाद के क़रीब किसी पड़ाव पर रुकना पड़ता है। यहाँ, वह अपने पुराने जीवन और नए जीवन के बीच के विरोधाभास को महसूस करती है।
भावनात्मक गहराई: यह गीत पूरी तरह से नायिका की आंतरिक पीड़ा (internal pain) को व्यक्त करता है। वह अपनी क़िस्मत और जीवन से पूछती है कि वह उसे कहाँ ले आया है, जहाँ चारों तरफ सिर्फ़ धूल और उदासी (ग़ुबार ही ग़ुबार) है।
मुख्य पंक्तियाँ:
ये क्या जगह है दोस्तों, ये कौन सा दयार है
हद-ए-निगाह तक जहाँ, ग़ुबार ही ग़ुबार है
ये किस मक़ाम पर हयात, मुझको लेके आ गयी
ना बस ख़ुशी पे जहाँ, ना ग़म पे इख़्तियार है
यह पंक्तियाँ बताती हैं कि जीवन उसे ऐसी जगह ले आया है, जहाँ उसे न तो ख़ुशी पर नियंत्रण है और न ही वह अपने ग़मों को नियंत्रित कर सकती है।
फ़िल्म 'उमराव जान' (1981) के बारे में दिलचस्प तथ्य
क्लासिक उपन्यास पर आधारित: यह फ़िल्म मिर्ज़ा हादी रुसवा के 1905 के उर्दू उपन्यास 'उमराव जान अदा' पर आधारित है, जिसे उर्दू साहित्य के महान उपन्यासों में गिना जाता है।
रेखा का करियर का शिखर: अभिनेत्री रेखा ने अपने उमराव जान के किरदार के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार (National Film Award) जीता, जिसे उनके करियर की सबसे शानदार प्रस्तुतियों में से एक माना जाता है।
संगीत की सफलता: फ़िल्म का संगीत हिंदी सिनेमा के सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ (Best of all time) साउंडट्रैक में से एक है। ख़य्याम को इस संगीत के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिला।
आशा भोंसले का सम्मान: इस फ़िल्म के गीतों (ख़ासकर "दिल चीज़ क्या है") के लिए आशा भोंसले को भी राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, जो उनके करियर का एक महत्वपूर्ण पल था।
निर्देशन और कला: निर्देशक मुज़फ़्फ़र अली (जो एक चित्रकार भी हैं) ने 19वीं सदी के लखनऊ की नवाबी तहज़ीब और वास्तुकला को पर्दे पर जीवंत कर दिया। फ़िल्म ने सर्वश्रेष्ठ कला निर्देशन (Best Art Direction) का राष्ट्रीय पुरस्कार जीता।
पहले विकल्प नहीं थे संगीतकार: दिलचस्प बात यह है कि ख़य्याम, मुज़फ़्फ़र अली की संगीतकार के तौर पर पहली पसंद नहीं थे। उन्होंने पहले जयदेव और फिर नौशाद से संपर्क किया था, लेकिन अंततः यह काम ख़य्याम ने किया और इतिहास रच दिया।
SHARAB CHEEZ HI AISI HAI PANKAJ UDAS
(This video is posted by channel – Ramzan Lashari on YouTube, and Raree India has no direct claims to this video. This video is added to this post for knowledge purposes only.)
RABBI - Bulla Ki Jaana
(This video is posted by channel – {Rabbi Shergill} on YouTube, and Raree India has no direct claims to this video. This video is added to this post for knowledge purposes only.)