Thursday, July 26, 2012

Yeh Shyam Mastani by Manohari Singh

मैं कविता में.... मुझ में कविता ....


मैं , अक्सर ही
अपनी इक बेसुध-सी धुन में
कुछ लम्हों को साथ लिए, जब
अलबेली अनजानी ख़्वाबों की दुनिया में
ख़ुद अपनी ही खोज-ख़बर लेने जाता हूँ
तब, कुछ जानी-पहचानी यादों का जादू
मुझको अपने साथ बहा कर ले जाता है ...
लाख जतन कर लेने पर भी
कुछ पुरसोज़ ख़यालों को, जब,
लफ़्ज़ों से लबरेज़ लिबास नहीं मिल पाता
ज़हन में, पल-पल चुभते, तल्ख़ सवालों का जब
मरहम-सा माकूल, जवाब नहीं मिल पाता
ऐसे में मैं,,
ऐसे में मैं भूल के ख़ुद को
उसको याद किया करता हूँ
अनजानी आहट की राह तका करता हूँ
और अचानक
इक आमद होने लगती है
आड़े-तिरछे लफ़्ज़, लक़ीरें,
ख़ुशख़त-सी तहरीरों में ढलने लगते हैं 
कुछ क़तरे, कुछ मुस्कानें, सब,
'इक कविता-सी' हो जाते हैं ...
फिर मैं, और मेरी ये कविता
इक दूजे से, देर तलक बातें करते हैं
काग़ज़ के टुकड़े पर फ़ैली...
वो, मेरे सीने पे सर रख, सो जाती है
मैं भी देर तलक उसको पढता रहता हूँ
हम दोनों ही खो जाते हैं...
मैं कविता में...
मुझ में कविता ....

Unknown

Bus itna to hai hi.....बस इतना तो है ही


यूं ही कहीं
yun hi kahin

तनहाई के किन्हीं खाली पलों में
tanhaayi ke kinhin khaali palon mein

ख़यालात के कोरे पन्नों पर
khayaalaat ke korey pannon per

जब
jab

खिंचने लगें
khinchne lagein

कुछ आड़ी-तिरछी सी लक़ीरें
kuch aadhi tirchi si lakeerein

बुन-सा जाए
buun sa jaaye

यादों का इक ताना-बाना
yaadon ka ekk taana baana

रचने लगे
rachne lage

इक अपनी-सी दुनिया 
ekk apni si duniya 

फिर वह सब ...
phir veh sab...

कोई कविता , गीत , ग़ज़ल
koi kavita, geet, ghazal

हो न हो...
ho na ho...

बस इतना तो है ही
bus itna to hai hi

ख़ुद से मुलाक़ात का
khud se mulaaqaat ka

इक बहाना तो हो ही जाता है ...............
ekk bahaana sa to ho hi jaata hai............

(दानिश)

इबादत....


माना , 
कि मुश्किल है 
बहुत मुश्किल 

इस तेज़ रौ ज़िन्दगी की 
हर ज़रुरत में 
हर पल किसी के काम आ पाना 

इस भागते-दौड़ते वक्त में 
हर क़दम 
किसी का साथ दे पाना 

इस अपने आप तक सिमटे दौर के 
हर दुःख में 
किसी का सहारा बन पाना 

हाँ ! बहुत मुश्किल है 

लेकिन 
कुछ ऐसा भी मुश्किल तो नहीं 

ख़ुदा से 
अपने लिए की गयी बंदगी के नेक पलों में 
किसी और के लिए भी दुआएं करते रहना 
अपना भला चाहते-चाहते 
दूसरों का भी भला मांगते रहना .... 

सच्ची इबादत.... 
अब इसके सिवा 
और... 
हो भी तो क्या !!


(दानिश)

Sunday, July 22, 2012

French roast- Charlie McCormick


This Video is posted by Charlie McCormick on You Tube 

About "French Roast"

  • Director/Writer: Fabrice O. Joubert

  • Release Year: 2008

  • Genre: Animated Short Film, Comedy

  • Accolades: It was nominated for the Academy Award for Best Animated Short Film in 2010.

  • Runtime: Approximately 8 minutes

  • Synopsis: The film is set in a fancy Parisian café in the 1960s. An uptight businessman (who previously shooed away a beggar) sits down and, to his horror, realizes he has forgotten his wallet and can't pay his bill, which keeps mounting as he desperately orders more coffee to buy time. His growing panic and moral dilemma play out as he interacts with the people around him—a sleeping old nun and a returning beggar—leading to a hilarious twist that plays on the theme of deceptive appearances and unexpected kindness.

  • (This video is posted by channel – Charlie McCormick on YouTube, and Raree India has no direct claims to this video. This video is added to this post for knowledge purposes only.)


Dev Anand Superhit Song - Apni To Har Aah Ek Toofan Hai HD - Mohd Rafi - Waheeda Rehman | Kala Bazar






वीडियो और गीत का विवरण

The song "Apni To Har Aah Ek Toofan Hai" is a quintessential philosophical and slightly melancholic number featuring the evergreen Dev Anand and the graceful Waheeda Rehman.

  • गायक (Singer): मोहम्मद रफ़ी (Mohammed Rafi)

  • संगीतकार (Music Director): एस. डी. बर्मन (S. D. Burman)

  • गीतकार (Lyricist): शैलेंद्र (Shailendra)

  • फिल्मांकन: यह गीत मुख्य रूप से देव आनंद (रघुवीर) पर फिल्माया गया है, जो वहीदा रहमान (अलका) को देखकर एकांत में अपनी भावनाओं को व्यक्त कर रहा है. यह गीत रघुवीर द्वारा अलका के साथ फ़्लर्ट करने के प्रयास के रूप में शुरू होता है, लेकिन यह एक प्रार्थना के रूप में ढका हुआ है.


फ़िल्म 'काला बाज़ार' (Kala Bazar, 1960) के बारे में दिलचस्प तथ्य

Kala Bazar एक सामाजिक-अपराध नाटक (social-crime drama) है जिसे देव आनंद के भाई विजय आनंद ने लिखा और निर्देशित किया था, और यह फिल्म नवकेतन फिल्म्स के बैनर तले बनी थी.

1. आनंद ब्रदर्स की एकमात्र फिल्म

यह एकमात्र ऐसी फिल्म है जिसमें तीनों आनंद भाई—देव आनंद, विजय आनंद (जिन्होंने फिल्म का निर्देशन भी किया था), और चेतन आनंद—ने एक साथ अभिनय किया था.

  • देव आनंद ने मुख्य किरदार रघुवीर (Raghuveer) का रोल निभाया.

  • विजय आनंद ने अलका (Waheeda Rehman) के मंगेतर नंद कुमार चट्टोपाध्याय (Nand Kumar Chattopadhyay) का किरदार निभाया.

  • चेतन आनंद ने रघुवीर के वकील देसाई (Desai) का किरदार निभाया था.

2. रियल प्रीमियर फुटेज का इस्तेमाल

फिल्म में रघुवीर का किरदार (देव आनंद) सिनेमा टिकटों की ब्लैक मार्केटिंग करता है. इस विषय को दर्शाने के लिए, फिल्म में महबूब खान की प्रतिष्ठित फिल्म 'मदर इंडिया' (1957) के असली प्रीमियर फुटेज का इस्तेमाल किया गया था.

3. नंदा और देव आनंद की पहली साथ में फिल्म

यह फिल्म अभिनेत्री नंदा और देव आनंद की एक साथ पहली फिल्म थी. हालांकि, इस फिल्म में नंदा ने देव आनंद की बहन (सपना) का किरदार निभाया था. इसके बाद, उन्होंने हम दोनों (1961) और तीन देवियाँ (1965) जैसी फिल्मों में देव आनंद के साथ रोमांटिक लीड के तौर पर काम किया.

4. संगीत और गीत

यह फिल्म एस. डी. बर्मन और गीतकार शैलेंद्र के पहले सहयोगों में से एक थी. फिल्म के अन्य लोकप्रिय गानों में "खोया खोया चाँद," और "रिमझिम के तराने" शामिल हैं.

5. कहानी का आधार

फिल्म रघुवीर (देव आनंद) की कहानी बताती है, जो एक गरीब बस कंडक्टर है. नौकरी खोने के बाद, वह अपनी माँ और भाई-बहनों का समर्थन करने के लिए सिनेमा टिकटों की ब्लैक मार्केटिंग शुरू कर देता है, लेकिन कॉलेज की छात्रा अलका (वहीदा रहमान) से मिलने के बाद वह एक ईमानदार जीवन जीने का फैसला करता है.


(This video is posted by channel – SuperHit Gaane on YouTube, and Raree India has no direct claims to this video. This video is added to this post for knowledge purposes only.)


Zindagi ka safar hai yeh kaisa safar Koi samja nahi koi jana nahi .avi



यह गीत महान गायक किशोर कुमार की आवाज़ में गाया गया है और यह 1971 की क्लासिक फ़िल्म 'सफ़र' (Safar) का है।

यह गाना फ़िल्म के सबसे दार्शनिक (philosophical) और मार्मिक गीतों में से एक है।

यहाँ इस गीत से जुड़ी विस्तृत जानकारी दी गई है:

गीत का विवरण

विवरणजानकारी
गीत"ज़िंदगी का सफ़र है ये कैसा सफ़र"
फ़िल्मसफ़र (Safar) (1970/1971)
गायककिशोर कुमार (Kishore Kumar)
संगीतकारकल्याणजी-आनंदजी (Kalyanji-Anandji)
गीतकारइंदीवर (Indeevar)
मुख्य कलाकारराजेश खन्ना, शर्मिला टैगोर, फ़िरोज़ खान
गीत का मूडउदास, दार्शनिक, जीवन की अनिश्चितता को दर्शाता हुआ।

फ़िल्म 'सफ़र' और गीत का महत्व

  • राजेश खन्ना का अभिनय: यह फ़िल्म राजेश खन्ना के करियर की एक महत्वपूर्ण फ़िल्म है, जहाँ उन्होंने एक ऐसे व्यक्ति का किरदार निभाया जो कैंसर से जूझ रहा है और जीवन के प्रति एक अलग दृष्टिकोण रखता है।

  • दार्शनिक गहराई: यह गीत जीवन के आने-जाने और इसकी अनिश्चितताओं (uncertainties) पर गहरी टिप्पणी करता है। गीतकार इंदीवर ने बहुत ही सरल शब्दों में जीवन के अर्थ को समझने की कोशिश की है।

  • कल्याणजी-आनंदजी का संगीत: संगीत जोड़ी ने किशोर कुमार की भावपूर्ण गायकी के लिए एक शांत और चिंतनशील (reflective) धुन तैयार की थी, जो गीत के दार्शनिक मूड को पूरी तरह से पकड़ती है।

यह गीत आज भी जीवन की अस्थिरता और यात्रा को दर्शाने वाले सबसे प्रेरणादायक और मार्मिक गीतों में से एक माना जाता है।



(This video is posted by the channel Saregama Music on YouTube, and Raree India has no direct claim to this video.) This video is added to this post for knowledge purposes only.)

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