Saturday, September 01, 2012

In Hawawon Mein In Fizaon Mein1 Gumrah 1963





यह गीत 'इन हवाओं में, इन फिज़ाओं में' हिंदी सिनेमा के सबसे रोमांटिक और मनमोहक गीतों में से एक है। यह गीत प्यार की शरारत और उसकी ताज़गी को बयां करता है, और इसे एक बेहतरीन युगल गीत माना जाता है।

गीत का विवरण (Song Details)

विवरणजानकारी
फिल्म (Movie)गुमराह (Gumrah)
रिलीज़ वर्ष (Release Year)1963
गायक (Singers)आशा भोसले और महेंद्र कपूर (Asha Bhosle & Mahendra Kapoor)
संगीत निर्देशक (Music Director)रवि (Ravi)
गीतकार (Lyricist)साहिर लुधियानवी (Sahir Ludhianvi)
कलाकार (Star Cast)माला सिन्हा (Mala Sinha), सुनील दत्त (Sunil Dutt), अशोक कुमार (Ashok Kumar)

रोचक तथ्य (Interesting Facts)

  • रवि और साहिर की हिट जोड़ी: संगीतकार रवि और गीतकार साहिर लुधियानवी की जोड़ी ने 1960 के दशक में कई बेहतरीन गाने दिए। साहिर ने इस गाने में हल्की-फुल्की और रोमांटिक भाषा का इस्तेमाल किया, जो रवि की मीठी और सुरीली धुन के साथ पूरी तरह से मेल खाती है।

  • आशा भोसले और महेंद्र कपूर की जुगलबंदी: यह गाना आशा भोसले और महेंद्र कपूर के सबसे लोकप्रिय युगल गीतों में से एक है। दोनों की आवाज़ों का तालमेल बहुत ही शानदार है—जहाँ आशा जी की आवाज़ में चुलबुलापन है, वहीं महेंद्र कपूर की आवाज़ में एक क्लासिक ठहराव है।

  • फिल्म का विषय: फिल्म 'गुमराह' एक विवाहेतर संबंध (extra-marital affair) पर आधारित एक बोल्ड और सफल ड्रामा थी। यह गीत, जो सुनील दत्त और माला सिन्हा पर फिल्माया गया है, उन दोनों के बीच के छिपे हुए रोमांस और प्यार की शुरुआत को दर्शाता है। गाने में प्यार की मासूमियत को एक ऐसे रिश्ते के संदर्भ में दिखाया गया है जिसे समाज सही नहीं मानता।

  • बेहतरीन फिल्मांकन: यह गाना आउटडोर (outdoor) लोकेशन पर फिल्माया गया है, जिसमें हरे-भरे परिदृश्य (green landscapes) और शांत वातावरण का उपयोग किया गया है, जो गीत के बोल और धुन के रोमांटिक मूड को और भी बढ़ाता है।

यह गीत अपनी मधुरता और ताज़गी भरी ऊर्जा के कारण आज भी 60 के दशक के सर्वश्रेष्ठ रोमांटिक गीतों में गिना जाता है।


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Aap Aaye To Khayale Dil e Nuasad Aaya Gumrah 1963





निश्चित रूप से, आप जिस गीत की बात कर रहे हैं वह फिल्म 'गुमराह' का एक और शानदार गीत है, जो अपनी भावनात्मक गहराई और शास्त्रीय सुंदरता के लिए जाना जाता है।


गीत का विवरण (Song Details)

विवरणजानकारी
फिल्म (Movie)गुमराह (Gumrah)
रिलीज़ वर्ष (Release Year)1963
गायक (Singer)महेंद्र कपूर (Mahendra Kapoor)
संगीत निर्देशक (Music Director)रवि (Ravi)
गीतकार (Lyricist)साहिर लुधियानवी (Sahir Ludhianvi)
कलाकार (Star Cast)सुनील दत्त (Sunil Dutt), माला सिन्हा (Mala Sinha)

रोचक तथ्य (Interesting Facts)

  • महेंद्र कपूर का बहुमुखी प्रदर्शन: यह गीत महेंद्र कपूर की सबसे बेहतरीन सोलो (Solo) प्रस्तुतियों में से एक है। आमतौर पर रोमांटिक युगल गीतों में सफल रहने वाले महेंद्र कपूर ने इस गाने में ग़ज़ल गायकी की संजीदगी और दर्द को बहुत ही खूबसूरती से व्यक्त किया है। उनकी आवाज़ में छुपा हुआ दर्द और आशा का भाव कमाल का है।

  • ग़ज़ल का सार: इस गीत के बोल एक उत्कृष्ट ग़ज़ल हैं, जिसे साहिर लुधियानवी ने लिखा है। गीत का मुखड़ा, "आप आए तो खयाल-ए-दिल-ए-नाशाद आया", जिसका अर्थ है "जब आप आए, तब दिल में उदासी (नाशाद) का ख्याल आया", प्रेम में मिली चोट और उस चोट को छिपाने की कोशिश को दर्शाता है। यह गीत प्रेम के विरह और उदासी के बावजूद, प्रियतम की उपस्थिति के महत्व को बताता है।

  • रवि का मधुर संगीत: संगीतकार रवि ने इस ग़ज़ल को एक शांत और मद्धम (subdued) धुन दी है, जिसमें ऑर्केस्ट्रेशन (वाद्य-वृंद) कम और भावनाओं पर ज़ोर ज़्यादा है। यह धुन उस समय की रोमांटिक ग़ज़लों की विशेषता थी, जो सुनने वाले के दिल को सीधा छूती थी।

  • फिल्म की स्थिति को दर्शाता गीत: फिल्म गुमराह एक ऐसी महिला (माला सिन्हा) की कहानी है जो अपने विवाहेतर संबंध (Extra-Marital Affair) और अपने पति (अशोक कुमार) के बीच फंसी हुई है। यह गीत, जो सुनील दत्त पर फिल्माया गया है, उस व्यक्ति की भावनाओं को दर्शाता है जो किसी और के जीवन में आने से होने वाले उलझाव और दर्द को महसूस करता है।

यह गाना आज भी अपनी उत्कृष्ट ग़ज़ल शैली और भावनात्मक गहराई के लिए जाना जाता है।


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Barsaat mein hum se mile tum (Lata Mangeshkar)




यह गीत 'बरसात में हम से मिले तुम' हिंदी सिनेमा के सबसे मधुर और प्रतिष्ठित प्रेम गीतों में से एक है। यह गाना उस दशक की रोमांटिक धुनों का एक अद्भुत उदाहरण है।

गीत का विवरण (Song Details)

विवरणजानकारी
फिल्म (Movie)बरसात (Barsaat)
रिलीज़ वर्ष (Release Year)1949
गायक (Singers)लता मंगेशकर और प्रेम नाथ (Lata Mangeshkar & Prem Nath)
संगीत निर्देशक (Music Director)शंकर-जयकिशन (Shankar-Jaikishan)
गीतकार (Lyricist)शैलेन्द्र (Shailendra)
कलाकार (Star Cast)नरगिस (Nargis), राज कपूर (Raj Kapoor), प्रेम नाथ (Prem Nath)

रोचक तथ्य (Interesting Facts)

  • शंकर-जयकिशन और शैलेन्द्र की शुरुआत: यह फिल्म और इसके गीत संगीतकार शंकर-जयकिशन और गीतकार शैलेन्द्र के करियर में एक मील का पत्थर साबित हुए। इस फिल्म के संगीत की ज़बरदस्त सफलता ने इन चारों (राज कपूर, शंकर-जयकिशन, शैलेन्द्र और हसरत जयपुरी) को आर. के. बैनर की सफलता की नींव रखने में मदद की।

  • लता जी की शुरुआती सफलता: 1949 में, लता मंगेशकर ने अपनी आवाज़ को स्थापित करना शुरू किया था। 'बरसात' फिल्म के गीतों, विशेषकर इस गीत ने, उनकी आवाज़ को उस दौर के रोमांटिक गीतों की पर्याय बना दिया।

  • प्रेम नाथ का गायन: इस युगल गीत में लता मंगेशकर के साथ, अभिनेता प्रेम नाथ ने अपनी आवाज़ दी थी, जो एक दिलचस्प संयोजन था। हालाँकि, प्रेम नाथ ने इस फिल्म में केवल अभिनय ही नहीं किया, बल्कि उन्हें इस गीत में गायक के रूप में भी श्रेय दिया गया है।

  • 'बरसात' का रोमांटिक थीम: फिल्म का केंद्रीय विषय प्यार और मानसून के रोमांस के इर्द-गिर्द घूमता है। यह गीत बरसात के मौसम में पहली मुलाकात और प्रेम की शुरुआत के मीठे अनुभव को बहुत ही खूबसूरती से व्यक्त करता है। फिल्म का पोस्टर जिसमें राज कपूर नरगिस को वायलिन के साथ पकड़े हुए हैं, आइकॉनिक बन गया।

यह गीत आज भी क्लासिक हिंदी रोमांटिक गीतों की सूची में एक विशेष स्थान रखता है।


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Bare Armanon Se rakha hai balam Malhar





यह गीत 'बड़े अरमानों से रखा है बलम' हिंदी सिनेमा के शुरुआती सुनहरे दौर के सबसे मधुर और क्लासिक गीतों में से एक है, जो विरह (separation) और प्रेम के अनूठे मेल को दर्शाता है।

गीत का विवरण (Song Details)

विवरणजानकारी
फिल्म (Movie)मल्हार (Malhar)
रिलीज़ वर्ष (Release Year)1951
गायक (Singers)लता मंगेशकर और मुकेश (Lata Mangeshkar & Mukesh)
संगीत निर्देशक (Music Director)रोशन (Roshan)
गीतकार (Lyricist)इन्दु वर्मा (Indeevar)
कलाकार (Star Cast)अर्जुन (Arjun), शम्मी (Shammi), वनमाला (Vanmala)

रोचक तथ्य (Interesting Facts)

  • रोशन की धुन और बारिश का राग: संगीतकार रोशन ने इस गाने के लिए बहुत ही मधुर और शांत धुन तैयार की है। फिल्म का शीर्षक 'मल्हार' है, जो भारतीय शास्त्रीय संगीत का एक ऐसा राग है जिसे विशेष रूप से वर्षा (बारिश) के मौसम से जोड़ा जाता है। हालाँकि, यह गाना एक रोमांटिक युगल गीत है, इसकी धुन में एक हल्की उदासी और शांत मधुरता है जो प्रेम के शांत पक्ष को दर्शाती है।

  • लता-मुकेश की बेहतरीन जुगलबंदी: लता मंगेशकर और मुकेश की आवाज़ का संयोजन भारतीय सिनेमा के इतिहास में सबसे पसंदीदा रहा है। इस गीत में उनकी आवाज़ों का तालमेल प्रेमियों की भावनाओं और उनकी प्रतीक्षा (wait) को खूबसूरती से व्यक्त करता है।

  • इन्दु वर्मा (इन्दीवर) के भावुक बोल: गीतकार इन्दीवर (Indeevar) के शुरुआती दौर के गीतों में से यह एक है। उनके बोल प्रेम की कोमलता और अपने प्रियतम के लिए रखे गए सपनों को दर्शाते हैं।

  • फिल्म का निर्माण: यह फिल्म अपने समय की एक रोमांटिक ड्रामा थी। इस फिल्म का संगीत, खासकर यह गाना, अपनी रिलीज़ के तुरंत बाद बेहद लोकप्रिय हो गया था और आज भी 1950 के दशक के सर्वश्रेष्ठ युगल गीतों में गिना जाता है।

यह गीत उन गीतों में से एक है जो भारतीय सिनेमा के ब्लैक एंड व्हाइट दौर की सरल लेकिन गहरी भावनाओं को जीवंत करता है।


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Bachpan Ke Din Bhula Na Dena Deedar 1951




यह गीत 'बचपन के दिन भुला न देना' हिंदी सिनेमा के सबसे भावुक और यादगार गीतों में से एक है, जो बचपन की यादों और दोस्तों से बिछड़ने के दर्द को बयां करता है। यह गाना दो अलग-अलग संस्करणों में बेहद लोकप्रिय हुआ था।

गीत का विवरण (Song Details)

विवरणजानकारी
फिल्म (Movie)दीदार (Deedar)
रिलीज़ वर्ष (Release Year)1951
गायक (Singers)मोहम्मद रफ़ी और लता मंगेशकर (Mohammed Rafi & Lata Mangeshkar) - (युगल संस्करण)
संगीत निर्देशक (Music Director)नौशाद (Naushad)
गीतकार (Lyricist)शकील बदायुनी (Shakeel Badayuni)
कलाकार (Star Cast)दिलीप कुमार (Dilip Kumar), नरगिस (Nargis), अशोक कुमार (Ashok Kumar), निम्मी (Nimmi)

रोचक तथ्य (Interesting Facts)

  • गीत के दो संस्करणों की सफलता: इस गीत को फिल्म में दो अलग-अलग संस्करणों में इस्तेमाल किया गया था, और दोनों ही अविश्वसनीय रूप से सफल रहे:

    1. युगल (Duet) संस्करण: मोहम्मद रफ़ी और लता मंगेशकर द्वारा गाया गया, जो बचपन के प्यारे से विदाई गीत (Farewell song) के रूप में फिल्माया गया।

    2. सोलो (Solo) संस्करण: इसे केवल लता मंगेशकर ने गाया था, जो बड़े होने के बाद के विरह और यादों के दर्द को दर्शाता है।

  • नौशाद का क्लासिक संगीत: संगीतकार नौशाद अपनी मधुर और लोक-आधारित (folk-based) धुनों के लिए जाने जाते थे। उन्होंने इस गाने की धुन में बचपन की मासूमियत और बाद के अलगाव (separation) के दर्द दोनों को बड़ी संवेदनशीलता के साथ व्यक्त किया।

  • शकील बदायुनी के भावपूर्ण बोल: गीतकार शकील बदायुनी ने इस गीत के माध्यम से दोस्ती और बचपन के भोलेपन की यादों को अमर कर दिया। "याद रखना, हमें भूल न जाना" जैसे सरल बोल, जीवन भर के भावनात्मक बोझ को दर्शाते हैं।

  • दिलीप कुमार की ट्रेजेडी: फिल्म 'दीदार' एक क्लासिक ट्रेजेडी थी, और यह गीत फिल्म के भावनात्मक केंद्र में था। यह बचपन के अटूट रिश्ते को दिखाता है, जो बाद में सामाजिक और आर्थिक बाधाओं के कारण दुखद रूप से टूट जाता है। इस गाने ने दिलीप कुमार को 'ट्रेजेडी किंग' के रूप में स्थापित करने में मदद की।

यह गीत आज भी दोस्ती, बचपन और बीते हुए समय की यादों का एक प्रतीक है।


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Akhiyaan Mila Ke Jiya Bharama Ke Rattan 1944




 गीत / फिल्म — मुख्य विवरण

  • गाना: Akhiyan Mila Ke Jiya Bharma Ke

  • फिल्म: Rattan (1944) 

  • गायिका: Zohrabai Ambalewali 

  • संगीत निदेशक (Music Director): Naushad 

  • गीतकार (Lyricist): D. N. Madhok 

  • फिल्म निर्देशक: M. Sadiq 

  • फिल्म की प्रसिद्धि: Rattan शब्दों में 1944 की highest-grossing (सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली) फिल्म थी।

क्या खास है यह गीत / फिल्म — रोचक बातें

Zohrabai Ambalewali की खनक & आवाज़

  • Zohrabai की आवाज़ गहरी, मधुर और उस ज़माने की playback singing में अनूठी थी। इस गीत में उनकी आवाज़ की भाव-भंगिमा — प्यार, उम्मीद और थोड़ा विरह — काबिल-ए-तारीफ है। 

  • उन दिनों जब फ़िल्म संगीत अभी अपना स्वरूप ले रहा था — Naushad-Zohrabai-Madhok का यह तिकड़ा इसे “evergreen / सदाबहार” बना गया।

Rattan — Naushad को सुपरस्टार बनाने वाली

  • Rattan की सफलता ने Naushad को उस समय के सबसे बड़े संगीतकारों में स्थापित कर दिया था। 

  • इस फिल्म का संगीत और गाने — युवा-पुराने, दोनों ही पीढ़ियों में — बेहद लोकप्रिय हुए।

गीत की भाव-गहराई

  • गीत के बोल — “अंखियाँ मिला के जिया भरमा के, चले नहीं जाना…” — नज़र मिलने, दिल में ख्यालों का उभार, मोहब्बत और डर को बयां करते हैं। 

  • उस दौर की फिल्मों में जब रोमांस और संवेदनाएं सीमित थी — इस गीत ने चाहने वालों के लिए प्यार का एक नया अंदाज़ पेश किया।

फिल्म + गाने का सांगीतिक और ऐतिहासिक महत्व

  • Rattan उस समय की highest-grossing फिल्म थी — इसका मतलब है कि ये गीत और संगीत बड़े पैमाने पर लोगों के दिलों और स्मृतियों में बसे। 

  • साथ ही, Zohrabai Ambalewali जैसी गायकों — पहले-जेनरेशन playback singers — का दौर था, जिसने हिंदी सिने म्यूज़िक की नींव डाली। 

क्यों आज भी Akhiyan Mila Ke … खास है

  • इसकी धुन और आवाज़ दोनों मार्मिक और असरदार हैं — कुछ सुनने वालों को आज भी वही पुरानी मोहब्बत की ताज़गी महसूस होती है।

  • यह गीत हमें हिंदी सिनेमा के सुनहरे दौर (1940s-50s) की स्मृति दिलाता है — जब फिल्मों में संगीत सिर्फ मज़ा नहीं, बल्कि भावनाओं की भाषा थी।

  • Zohrabai, Naushad और Madhok — तीनों का प्रभाव-मेला इस गीत में आए दिन कानों में गूंजता है।


Information Credit: Wikipedia+2Google Translate+2

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Afsana Likh Rahi Hoon Dil E Beqarar Ka Dard 1947





यह गीत 'अफ़साना लिख रही हूँ दिल-ए-बेकरार का' हिंदी सिनेमा के सबसे प्रसिद्ध और प्रभावशाली गीतों में से एक है। यह गाना एक महिला की भावनाओं और उसके दिल के दर्द को बड़ी गहराई से व्यक्त करता है।

गीत का विवरण (Song Details)

विवरणजानकारी
फिल्म (Movie)दर्द (Dard)
रिलीज़ वर्ष (Release Year)1947
गायक (Singer)सुरैया (Suraiya)
संगीत निर्देशक (Music Director)नौशाद (Naushad)
गीतकार (Lyricist)शकील बदायुनी (Shakeel Badayuni)
कलाकार (Star Cast)सुरैया (Suraiya), नुसरत बानो (Nusrat Bano), मुनव्वर सुल्ताना (Munawwar Sultana)

रोचक तथ्य (Interesting Facts)

  • सुरैया की दोहरी प्रतिभा: यह गाना अभिनेत्री-गायिका सुरैया के सबसे यादगार गीतों में से एक है। 1940 के दशक में, सुरैया अपनी आवाज़ और अभिनय दोनों के लिए बेहद लोकप्रिय थीं। उन्होंने यह गाना खुद गाया और इसे स्क्रीन पर खुद पर ही फिल्माया। उनकी आवाज़ में एक अनोखी मिठास और दुख का भाव था जो इस गीत के लिए एकदम सही था।

  • नौशाद और शकील बदायुनी का संगम: संगीतकार नौशाद और गीतकार शकील बदायुनी की जोड़ी ने बॉलीवुड को कई अविस्मरणीय क्लासिक्स दिए हैं। यह गीत उनकी सफल साझेदारी के शुरुआती और बेहतरीन उदाहरणों में से एक है। शकील के बोल, जो दिल के दर्द (दिल-ए-बेकरार) को कहानी (अफ़साना) के रूप में लिख रहे हैं, गहन और काव्यात्मक हैं।

  • फिल्म का विषय: फिल्म 'दर्द' (Dard - Pain) जैसा कि नाम से पता चलता है, एक भावनात्मक और ट्रेजिक ड्रामा थी। यह गीत फिल्म की मुख्य नायिका के विरह और आंतरिक संघर्ष को दर्शाता है, जो इसे फिल्म का एक महत्वपूर्ण भावनात्मक केंद्र बनाता है।

  • भारतीय स्वतंत्रता का वर्ष: यह फिल्म और गीत भारतीय इतिहास के एक बहुत ही महत्वपूर्ण वर्ष, 1947 में रिलीज़ हुआ, जिस वर्ष भारत को स्वतंत्रता मिली। फिल्म के गीत, अपनी क्लासिकल मधुरता के बावजूद, उस दौर के लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय हुए।

यह गीत आज भी उन श्रोताओं के बीच लोकप्रिय है जो 1940 के दशक की शुद्ध, भावपूर्ण और क्लासिकल धुनों को पसंद करते हैं।


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