अपने पूरे होश-ओ-हवास में लिख रही हूँ आज मैं वसीयत अपनी मेरे मरने के बाद खंगालना मेरा कमरा टटोलना हर एक चीज़ घर भर में बिन ताले के मेरा सामान बिखरा पड़ा है दे देना मेरे खवाब उन तमाम स्त्रियों को जो किचेन से बेडरूम तक सिमट गयी अपनी दुनिया में गुम गयी हैं वे भूल चुकी हैं सालों पहले खवाब देखना बाँट देना मेरे ठहाके वृद्धाश्रम के उन बूढों में जिनके बच्चे अमरीका के जगमगाते शहरों में लापता हो गए हैं टेबल पर मेरे देखना कुछ रंग पड़े होंगे इस रंग से रंग देना उस बेवा की साड़ी जिसके आदमी के खून से बोर्डर रंगा हुआ है तिरंगे में लिपटकर वो कल शाम सो गया है आंसू मेरे दे देना तमाम शायरों को हर बूँद से होगी ग़ज़ल पैदा मेरा वादा है मेरी गहरी नींद और भूख दे देना “अम्बानियों ” को “मित्तलों ” को ना चैन से सो पाते हैं बेचारे ना चैन से खा पाते हैं मेरा मान , मेरी आबरु उस वैश्या के नाम है बेचती है जिस्म जो बेटी को पढ़ाने के लिए इस देश के एक-एक युवक को पकड़ के लगा देना इंजेक्शन मेरे आक्रोश का पड़ेगी इसकी ज़रुरत क्रांति के दिन उन्हें दीवानगी मेरी हिस्से में है उस सूफी के निकला है जो सब छोड़कर खुदा की तलाश में बस ! बाक़ी बची मेरी ईर्ष्या मेरा लालच मेरा क्रोध मेरा झूठ मेरा स्वार्थ तो ऐसा करना उन्हें मेरे संग ही जला देना …… (बाबुशा कोहली)
यह गाना Ustad Puran Chand Wadali और उनके बेटे Lakhwinder Wadali द्वारा गाई गई एक मार्मिक सूफ़ी प्रस्तुति है।
यहाँ वीडियो के बारे में जानकारी और गायकों से जुड़े कुछ दिलचस्प तथ्य दिए गए हैं:
वीडियो के बारे में: 'Charkha'
यह वीडियो 'चर्ख़ा' (Charkha) नामक सूफ़ी कलाम (Sufi poem) का एक रिकॉर्डेड स्टूडियो/म्यूजिक वीडियो वर्ज़न है। चर्ख़ा सूफ़ी कविता में एक शक्तिशाली रूपक (metaphor) है, जो अक्सर जीवन, मानव शरीर, या समय के चक्र का प्रतिनिधित्व करता है।
गीत का विषय: यह गाना ईश्वर की याद (Remembrance or Yaad) और परमात्मा के लिए तड़प (longing for the Divine) की भावना को दर्शाता है। यह एक भक्त की अपनी प्रियतम (ईश्वर) के लिए निरंतर याद और प्रतीक्षा की अभिव्यक्ति है।
कलाकार: इस प्रस्तुति में उस्ताद पूरन चंद वडाली और लखविंदर वडाली दोनों अपनी-अपनी अनूठी गायन शैलियों का प्रदर्शन करते हैं।
मुख्य क्षण:
गीत चरखे को अपनी गली में रखने की बात करता है [01:30], यह दर्शाता है कि आत्मा (चरखा) हमेशा प्रियतम की उपस्थिति में रहना चाहती है।
इसमें यह कहा गया है कि चरखे का 'कतना' (spinning) असल में प्रियतम की यादों के तागों को कातना है [01:43]।
गायकों के बारे में दिलचस्प तथ्य (Interesting Facts)
उस्ताद पूरन चंद वडाली (Ustad Puran Chand Wadali)
उस्ताद पूरन चंद वडाली स्वर्गीय प्यारेलाल वडाली के साथ मिलकर 'वडाली ब्रदर्स' के नाम से प्रसिद्ध थे।
पहलवान से गायक: संगीत में आने से पहले, उस्ताद पूरन चंद वडाली लगभग 25 वर्षों तक एक अखाड़े (wrestling ring) में एक नियमित पहलवान थे। उनके पिता ने उन्हें संगीत सीखने के लिए मजबूर किया।
पहला ब्रेक: 1975 में, उन्हें और उनके भाई को जालंधर में हरबल्लभ संगीत सम्मेलन में गाने की अनुमति नहीं दी गई थी क्योंकि उनका "पहनावा सही नहीं" था। निराश होकर, उन्होंने पास के मंदिर में एक भेंट के रूप में गाया, जहाँ उन्हें ऑल इंडिया रेडियो के एक कार्यकारी ने सुना और उनका पहला गाना रिकॉर्ड किया।
सम्मान: उन्हें भारत सरकार द्वारा 2005 में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
साधना: वह और उनके भाई अत्यधिक व्यावसायिकता से दूर रहे। वे अपने पैतृक घर 'गुरु की वडाली' में रहते हैं और शिष्यों को संगीत सिखाते हैं जिसके लिए वे कोई शुल्क नहीं लेते।
लखविंदर वडाली (Lakhwinder Wadali)
लखविंदर वडाली, उस्ताद पूरन चंद वडाली के बेटे हैं और अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।
क्रिकेटर का सपना: लखविंदर को बचपन में संगीत में ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी; वह एक क्रिकेटर बनने का सपना देखते थे। एक बार उनके पिता पूरन चंद वडाली ने उन्हें संगीत पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करने हेतु उनका पूरा क्रिकेट किट तंदूर में फेंक दिया था।
शिक्षा: संगीत की विरासत को आगे बढ़ाने के बावजूद, उनके पास संगीत में मास्टर डिग्री है और वह पीएच.डी. कर रहे हैं।
विरासत को आगे बढ़ाना: अपने चाचा प्यारेलाल वडाली के निधन के बाद, लखविंदर ने अपने पिता के साथ मंच पर प्रस्तुति देना शुरू किया, जिससे 'वडाली लीजेंड्स' के रूप में उनकी पारिवारिक और संगीत यात्रा जारी रही।
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The song you're referring to is "Chitthiye" (or "Chitthiye Ni Dard Firaaq Valiye"), a popular track from the first season of Coke Studio @ MTV India.
This particular version is an unforgettable collaboration between a Bollywood playback icon and legendary Sufi singers.
Key Details of the Song:
Song Title: Chitthiye (Chitthiye Ni Dard Firaaq Valiye)
Artists:
Sunidhi Chauhan (Playback Singer)
The Wadali Brothers (Puranchand Wadali and Pyarelal Wadali) (Sufi Singers)
Show/Album: Coke Studio @ MTV (Season 1)
Original Source/Inspiration: The core melody and opening lines are famously from the 1991 Bollywood film "Henna," originally sung by Lata Mangeshkar. The Coke Studio version, however, gives the song a powerful, raw Sufi-folk twist.
Meaning of "Chitthiye Dard Firaaq Waliye"
The title phrase is in Punjabi/Hindi and carries a deeply emotional meaning:
Chitthiye: O Letter!
Dard: Pain.
Firaaq: Separation, or being apart from the beloved.
Waliye: The one that possesses/carries.
The phrase translates to: "O Letter, bearer of the pain of separation!"
The song is a passionate plea to a letter to carry the message of the lover's intense grief, longing, and yearning to their beloved who is far away. It captures the universal human emotion of viraha (separation from a loved one) in a powerful and soul-stirring way.
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This iconic ghazal is sung by the legendary playback singer and ghazal maestro, Hariharan.
Ghazal Details
Detail
Information
Ghazal Title
Mai-kade Band Karein Lakh Zamaane Waale
Singer
Hariharan
Album/Concert
Often featured in his ghazal collections and live performances.
Genre
Ghazal (a form of poetry/singing common in Urdu and Persian poetry)
Meaning of the Line
The opening line translates roughly to: "Even if people try a million times to close the tavern (Mai-kada)..." The ghazal is typically a plea that true lovers will always find a way to love, regardless of societal opposition.
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Rare Live Recording (Often considered the definitive rendition)
Duration
20 minutes, 5 seconds (The length allows for expansive, soulful improvisations typical of live ghazals)
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That is one of the most heartbreaking and beautiful modern ghazals ever recorded. The melancholy of Jagjit Singh's voice perfectly captures the profound grief in the lyrics.
I've started playing the lyrical video for "Chithi Na Koi Sandesh" for you.
Chithi Na Koi Sandesh
Detail
Information
Artist
Jagjit Singh
Film
Dushman (1998)
Lyrics
Anand Bakshi
Music Director
Uttam Singh
Theme
The pain of losing a loved one to death; leaving without a trace or message.
Duration
6 minutes, 54 seconds
The famous couplet that defines the song is:
Chithi na koi sandesh,
Jaane woh kaun sa desh, jahan tum chale gaye.
(No letter, no message, who knows which land you have departed to.)
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यह ग़ज़ल केवल एक गाना नहीं, बल्कि बचपन की मासूमियत और सादगी को याद करते हुए हर व्यक्ति के दिल से निकली एक दार्शनिक पुकार है।
विशेषता
विवरण
गीतकार
सुदर्शन फ़ाकिर (Sudarshan Faakir)
संगीतकार
जगजीत सिंह (Jagjit Singh)
एल्बम/फिल्म
यह ग़ज़ल मूल रूप से फ़िल्म 'आज' (Aaj, 1987) के लिए रिकॉर्ड की गई थी।
मुख्य विषय
Nostalgia (पुरानी यादें), बचपन की चाहत, और वयस्क जीवन की जटिलताओं से दूर जाने की इच्छा।
मुख्य संदेश (Main Theme)
ग़ज़ल की शुरुआती लाइनें इसके पूरे सार को बयां करती हैं:
ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लोभले छीन लो मुझसे मेरी जवानीमगर मुझको लौटा दो बचपन का सावनवो कागज़ की कश्ती, वो बारिश का पानी
गायक अपनी धन-दौलत, शोहरत, और जवानी को भी त्यागने को तैयार है, बशर्ते उसे उसके बचपन के दिन, ख़ासकर बारिश में कागज़ की कश्ती तैराना वाला आनंद वापस मिल जाए।
यादों का चित्रण
सुदर्शन फ़ाकिर ने बेहद ख़ूबसूरत अंदाज़ में बचपन के उन छोटे-छोटे पलों को संजोया है, जिन्हें कोई नहीं भूल सकता:
नानी और परियों की कहानी: महल्ले की सबसे पुरानी नानी, और उनकी कहानियों में परियों का डेरा।
खेल और शैतानियां: गुड़ियों की शादी पर लड़ना-झगड़ना, झूलों से गिरना और फिर संभलना।
मासूमियत: रेत के टीलों पर घरौंदे बनाना, और बनाकर मिटा देना।
यह ग़ज़ल जगजीत सिंह की विशिष्ट शैली - सादगी भरी धुन और गहरी भावना - का उत्कृष्ट उदाहरण है।
जगजीत सिंह और चित्रा सिंह के बारे में रोचक तथ्य
जगजीत सिंह और चित्रा सिंह को भारतीय संगीत के इतिहास में ग़ज़ल के King and Queen के रूप में जाना जाता है।
ग़ज़ल को आम लोगों तक पहुँचाया: इस युगल (Duo) को ग़ज़ल को महफ़िलों की चारदीवारी से निकालकर आम आदमी के बेडरूम तक पहुँचाने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने पारंपरिक ग़ज़ल को एक हल्के, मधुर अंदाज़ में पेश किया।
जगजीत सिंह का शुरुआती संघर्ष: संगीत में आने से पहले, जगजीत सिंह, जिनका मूल नाम जगमोहन सिंह धीमन था, के पिता उन्हें IAS अधिकारी या इंजीनियर बनाना चाहते थे। मुंबई में अपने शुरुआती दिनों में, उन्होंने गुज़ारा करने के लिए विज्ञापन जिंगल्स कंपोज़ किए और शादियों में परफ़ॉर्म किया।
डिजिटल रिकॉर्डिंग के जनक: जगजीत सिंह और चित्रा सिंह भारत के पहले रिकॉर्डिंग आर्टिस्ट थे जिन्होंने 1987 में अपने एल्बम Beyond Time के लिए पूरी तरह से डिजिटल मल्टी-ट्रैक रिकॉर्डिंग तकनीक का इस्तेमाल किया था।
प्यार की अनोखी कहानी: चित्रा सिंह पहले से शादीशुदा थीं और उनकी एक बेटी (मोनिका) भी थी, जब वह 1967 में जगजीत सिंह से मिलीं। जगजीत सिंह उनसे इतने प्रभावित थे कि एक रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने चित्रा के पहले पति देबो प्रसाद दत्ता के पास जाकर कहा था, "मैं आपकी पत्नी से शादी करना चाहता हूँ।"
संगीत से दूरी (सबसे बड़ी त्रासदी): 1990 में, उनके इकलौते बेटे विवेक सिंह का महज़ 21 साल की उम्र में एक कार दुर्घटना में निधन हो गया। इस सदमे ने इस युगल को पूरी तरह तोड़ दिया। इस घटना के बाद, चित्रा सिंह ने हमेशा के लिए गाना छोड़ दिया और उनका आखिरी संयुक्त एल्बम Someone Somewhere था।
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यह ग़ज़ल पूरी तरह से प्रेम और समर्पण की भावना में लिपटी हुई है।
सजन की सुंदरता: शुरुआती शेर प्रियतम (सजन) की सुंदरता का वर्णन करता है, और नायिका स्वीकार करती है कि उसका दिल उसी की यादों में डूबा हुआ है:
सलोना सा सजन है और मैं हूँजिया में एक अगन है और मैं हूँ(मेरा प्रियतम खूबसूरत है और मैं हूँ; मेरे दिल में एक आग/उत्साह है और मैं हूँ।)
ठंडी जलन: शायर (गीतकार) एक विरोधाभास (paradox) का इस्तेमाल करते हैं जो प्रेम की प्रकृति को दर्शाता है। प्रियतम की यादें सुखद हैं, लेकिन दूर होने पर बेचैनी देती हैं:
तुम्हारे रूप की छाया में साजनबड़ी ठंडी जलन है और मैं हूँ(तुम्हारे रूप की छाया में, हे प्रियतम, एक बड़ी ही ठंडी जलन है।)
बेचैनी और पवन: ग़ज़ल में नायिका की बेचैनी को दर्शाया गया है जो प्रियतम के सामने घूँघट भी नहीं उठा पाती, क्योंकि हवा (पवन) भी बहुत चंचल है और रुकावट बन जाती है।
पिया के सामने घूँघट उठा देबड़ी चंचल पवन है और मैं हूँ
यह ग़ज़ल आशा भोंसले की गायकी की बहुमुखी प्रतिभा (versatility) को दर्शाती है, जहाँ उन्होंने हल्के-फुल्के फ़िल्मी गीतों के अलावा क्लासिकल टच वाली ग़ज़लों को भी बड़ी ही संजीदगी से गाया है।
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यह ग़ज़ल पंजाबी साहित्य और संगीत के इतिहास के सबसे भावुक और पीड़ादायक गीतों में से एक है। इसे ग़ज़ल किंग जगजीत सिंह ने प्रसिद्ध पंजाबी कवि शिव कुमार बटालवी की अमर रचना को आवाज़ दी है।
यहाँ इस ग़ज़ल का विस्तृत विवरण और इससे जुड़े कुछ दिलचस्प तथ्य दिए गए हैं:
ग़ज़ल का विवरण: "मैनू तेरा शबाब लै बैठा" (Mainu Tera Shabab Lai Baitha)
यह ग़ज़ल नायक की गहन उदासी और बर्बादी की दास्तान है, जिसका कारण प्रियतम की सुंदरता बन जाती है।
विशेषता
जानकारी
गायक
जगजीत सिंह (Jagjit Singh)
गीतकार
शिव कुमार बटालवी (Shiv Kumar Batalvi)
भाषा
पंजाबी (Punjabi)
थीम
असीम दुःख (Melancholy), बिछोह (Separation), और सौंदर्य के कारण हुई बर्बादी।
ग़ज़ल का सार और भाव
मूल विषय: ग़ज़ल का शीर्षक ही इसकी थीम है: "मैनू तेरा शबाब लै बैठा" जिसका अर्थ है "मुझे तेरी जवानी/तेरा सौंदर्य ले डूबा" या "तेरी सुंदरता मेरे विनाश का कारण बन गई।"
दर्द का प्रदर्शन: बटालवी की कविता प्रेम में मिली निराशा और दर्द को इतने गहरे स्तर पर छूती है कि श्रोता भी उस पीड़ा को महसूस करते हैं। यह ग़ज़ल इस बात का प्रतीक है कि कभी-कभी सुंदरता और आकर्षण ही व्यक्ति के जीवन में सबसे बड़ा दुःख ला सकता है।
जगजीत सिंह की प्रस्तुति: जगजीत सिंह ने अपनी आवाज़ की संवेदनशीलता (vulnerability) का उपयोग करते हुए इस कविता को अमर कर दिया। उनकी प्रस्तुति में वह ठहराव और दर्द है, जो बटालवी की रचना के सार को पूर्णता प्रदान करता है।
दिलचस्प तथ्य (Interesting Facts)
कवि शिव कुमार बटालवी के बारे में
'बिरहा दा सुलतान': शिव कुमार बटालवी को पंजाबी कविता में 'बिरहा दा सुलतान' (Sultan of Separation/Sorrow) के नाम से जाना जाता है। उनकी अधिकांश रचनाएँ असफल प्रेम, दुःख और अलगाव के विषयों पर केंद्रित हैं।
साहित्य अकादमी पुरस्कार: बटालवी सबसे कम उम्र के ऐसे लेखक थे जिन्हें उनकी प्रसिद्ध कविता 'लूणा' (Loona) के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
ट्रेजिक कवि: उनकी कविताएँ गहरे दुख, ख़ुदकुशी और त्रासदी की भावनाओं से भरी रहती थीं। उनका जीवन भी कम उम्र में ही समाप्त हो गया, जिससे उन्हें पंजाबी साहित्य का ट्रेजिक कवि (Tragic Poet) माना जाता है।
जगजीत सिंह और पंजाबी ग़ज़ल
पंजाबी ग़ज़ल का प्रचार: जहाँ जगजीत सिंह उर्दू ग़ज़लों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध हुए, वहीं उन्होंने पंजाबी ग़ज़ल को भी मुख्यधारा (mainstream) में लाने में अभूतपूर्व योगदान दिया। उन्होंने बटालवी, अमृता प्रीतम जैसे महान पंजाबी कवियों की रचनाओं को संगीतबद्ध किया।
'शबाब' और 'कागज़ की कश्ती': यह ग़ज़ल (Mainu Tera Shabab) और "वो कागज़ की कश्ती" (Woh Kagaz Ki Kashti) जैसी रचनाओं में एक बड़ा भावनात्मक अंतर है। जहाँ "कागज़ की कश्ती" बचपन की मासूमियत की याद है, वहीं "शबाब" प्यार में मिले दर्द और वयस्कता की त्रासदी को दर्शाता है।
इस ग़ज़ल को अक्सर जगजीत सिंह के पंजाबी गीतों के सबसे भावुक और शक्तिशाली प्रदर्शनों में से एक माना जाता है।
(This video is posted by channel – Saregama Ghazal on YouTube, and Raree India has no direct claims to this video. This video is added to this post for knowledge purposes only.)