ग़ज़ल का सार: "वो कागज़ की कश्ती..."
यह ग़ज़ल केवल एक गाना नहीं, बल्कि बचपन की मासूमियत और सादगी को याद करते हुए हर व्यक्ति के दिल से निकली एक दार्शनिक पुकार है।
| विशेषता | विवरण |
| गीतकार | सुदर्शन फ़ाकिर (Sudarshan Faakir) |
| संगीतकार | जगजीत सिंह (Jagjit Singh) |
| एल्बम/फिल्म | यह ग़ज़ल मूल रूप से फ़िल्म 'आज' (Aaj, 1987) के लिए रिकॉर्ड की गई थी। |
| मुख्य विषय | Nostalgia (पुरानी यादें), बचपन की चाहत, और वयस्क जीवन की जटिलताओं से दूर जाने की इच्छा। |
मुख्य संदेश (Main Theme)
ग़ज़ल की शुरुआती लाइनें इसके पूरे सार को बयां करती हैं:
ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन वो कागज़ की कश्ती, वो बारिश का पानी
गायक अपनी धन-दौलत, शोहरत, और जवानी को भी त्यागने को तैयार है, बशर्ते उसे उसके बचपन के दिन, ख़ासकर बारिश में कागज़ की कश्ती तैराना वाला आनंद वापस मिल जाए।
यादों का चित्रण
सुदर्शन फ़ाकिर ने बेहद ख़ूबसूरत अंदाज़ में बचपन के उन छोटे-छोटे पलों को संजोया है, जिन्हें कोई नहीं भूल सकता:
नानी और परियों की कहानी: महल्ले की सबसे पुरानी नानी, और उनकी कहानियों में परियों का डेरा।
खेल और शैतानियां: गुड़ियों की शादी पर लड़ना-झगड़ना, झूलों से गिरना और फिर संभलना।
मासूमियत: रेत के टीलों पर घरौंदे बनाना, और बनाकर मिटा देना।
यह ग़ज़ल जगजीत सिंह की विशिष्ट शैली - सादगी भरी धुन और गहरी भावना - का उत्कृष्ट उदाहरण है।
जगजीत सिंह और चित्रा सिंह के बारे में रोचक तथ्य
जगजीत सिंह और चित्रा सिंह को भारतीय संगीत के इतिहास में ग़ज़ल के King and Queen के रूप में जाना जाता है।
ग़ज़ल को आम लोगों तक पहुँचाया: इस युगल (Duo) को ग़ज़ल को महफ़िलों की चारदीवारी से निकालकर आम आदमी के बेडरूम तक पहुँचाने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने पारंपरिक ग़ज़ल को एक हल्के, मधुर अंदाज़ में पेश किया।
जगजीत सिंह का शुरुआती संघर्ष: संगीत में आने से पहले, जगजीत सिंह, जिनका मूल नाम जगमोहन सिंह धीमन था, के पिता उन्हें IAS अधिकारी या इंजीनियर बनाना चाहते थे। मुंबई में अपने शुरुआती दिनों में, उन्होंने गुज़ारा करने के लिए विज्ञापन जिंगल्स कंपोज़ किए और शादियों में परफ़ॉर्म किया।
डिजिटल रिकॉर्डिंग के जनक: जगजीत सिंह और चित्रा सिंह भारत के पहले रिकॉर्डिंग आर्टिस्ट थे जिन्होंने 1987 में अपने एल्बम Beyond Time के लिए पूरी तरह से डिजिटल मल्टी-ट्रैक रिकॉर्डिंग तकनीक का इस्तेमाल किया था।
प्यार की अनोखी कहानी: चित्रा सिंह पहले से शादीशुदा थीं और उनकी एक बेटी (मोनिका) भी थी, जब वह 1967 में जगजीत सिंह से मिलीं। जगजीत सिंह उनसे इतने प्रभावित थे कि एक रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने चित्रा के पहले पति देबो प्रसाद दत्ता के पास जाकर कहा था, "मैं आपकी पत्नी से शादी करना चाहता हूँ।"
संगीत से दूरी (सबसे बड़ी त्रासदी): 1990 में, उनके इकलौते बेटे विवेक सिंह का महज़ 21 साल की उम्र में एक कार दुर्घटना में निधन हो गया। इस सदमे ने इस युगल को पूरी तरह तोड़ दिया। इस घटना के बाद, चित्रा सिंह ने हमेशा के लिए गाना छोड़ दिया और उनका आखिरी संयुक्त एल्बम Someone Somewhere था।
Evergreen......Reena g
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