kaisi guzar rahi hai, sabhi poochte hain
kaise guzaarta hoon, koi poochta nahi.....
kaise guzaarta hoon, koi poochta nahi.....
यह शेर उर्दू के मशहूर और समकालीन शायर वसीम बरेलवी (Waseem Barelvi) का है।
यह शेर जीवन की उस कड़वी सच्चाई को दर्शाता है जहाँ लोग केवल औपचारिकता (formality) के लिए हाल पूछते हैं, न कि वास्तविक दर्द को समझने के लिए।
शेर का अर्थ (Meaning of the Couplet)
कैसी गुज़र रही है, सभी पूछते हैं: (बाहर से) जीवन कैसा चल रहा है, यह तो हर कोई पूछ लेता है।
कैसे गुज़ारता हूँ, कोई पूछता नहीं: लेकिन मैं इस जीवन को किस तरह से (यानी कितनी मुश्किलों और दर्द से) जी रहा हूँ, यह कोई नहीं पूछता।
शायर कहता है कि लोग केवल superficial सवाल करते हैं, लेकिन किसी को भी इस बात में दिलचस्पी नहीं है कि अंदर से दर्द और struggle कैसा है।

Fantastic ... u write brilliantly
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