गाना "ना जा कहीं अब ना जा" फ़िल्म "मेरे हमदम मेरे दोस्त" (Mere Hamdam Mere Dost, 1968) का एक बहुत ही भावुक और लोकप्रिय गीत है।
यहाँ इस गीत, फ़िल्म और इससे जुड़ी कुछ जानकारी दी गई है:
ना जा कहीं अब ना जा
| विवरण | जानकारी |
| गायक (Singer) | मोहम्मद रफ़ी (Mohammed Rafi) |
| संगीतकार (Music Director) | लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल (Laxmikant-Pyarelal) |
| गीतकार (Lyricist) | मजरूह सुल्तानपुरी (Majrooh Sultanpuri) |
| फ़िल्म (Film) | मेरे हमदम मेरे दोस्त (Mere Hamdam Mere Dost) |
| कलाकार (Picturized on) | धर्मेंद्र (Dharmendra) और शर्मिला टैगोर (Sharmila Tagore) |
गीत का आकर्षण (Appeal of the Song)
यह गाना आज भी रोमांटिक संगीत प्रेमियों के बीच बहुत पसंद किया जाता है। इसकी खूबी ये है:
रफ़ी साहब का दर्द: मोहम्मद रफ़ी की आवाज़ में एक गहरा दर्द (pathos) और आग्रह (pleading) है, जो गाने के बोल, "ना जा कहीं अब ना जा" (Now don't go anywhere) को जीवंत बना देता है।
धुन की सादगी: लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की धुन बहुत सीधी और मधुर है, जो सीधे दिल को छूती है।
धर्मेंद्र का अभिनय: इस गाने में धर्मेंद्र और शर्मिला टैगोर पर फिल्माया गया वियोग (separation) और प्रेम का भाव बहुत ही मार्मिक है।
फ़िल्म: मेरे हमदम मेरे दोस्त (1968)
यह फ़िल्म धर्मेंद्र की रोमांटिक हीरो की छवि को मजबूत करने वाली फिल्मों में से एक थी।
इस फ़िल्म के सभी गाने, जिनमें यह गीत भी शामिल है, बेहद सफल रहे थे।
फ़िल्म के अन्य प्रसिद्ध गीत हैं: "हुस्न हाज़िर है", "चलो सजना जहाँ तक घटा चले", और "अल्लाह ही अल्लाह कर प्यारे"।
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