Thursday, September 27, 2012

Poos ki raat - Munshi Premchand




"पूस की रात | Poos Ki Raat | Tehreer - Munsi Premchand Ki..." वह मुंशी प्रेमचंद की प्रसिद्ध और मार्मिक हिंदी कहानी 'पूस की रात' का दृश्य-श्रव्य रूपांतरण है।

यह कहानी एक गरीब किसान के जीवन की कड़वी सच्चाई, ठंड और कर्ज के जाल में फंसे होने की त्रासदी को दर्शाती है।


कहानी का सार (Summary of the Story)

मुख्य पात्र

  • हल्कू (Halku): कहानी का नायक, एक गरीब और कर्ज में डूबा हुआ किसान।

  • मुन्नी (Munni): हल्कू की पत्नी, जो पति की गरीबी और कामचोरी से दुखी रहती है।

  • जबरा (Jabra): हल्कू का वफादार कुत्ता, जो रात में उसके साथ खेत की रखवाली करता है।

कथावस्तु और संघर्ष

  1. कर्ज और मजबूरी: कहानी की शुरुआत में, हल्कू के पास ठंड से बचने के लिए एक भी कंबल नहीं होता है [01:38]। उसे साहूकार को चुकाने के लिए कुछ पैसे मिलते हैं। उसकी पत्नी मुन्नी उसे पैसे साहूकार को न देकर, पहले एक कंबल खरीदने की सलाह देती है [10:32]।

  2. कर्ज चुकाना: हल्कू यह पैसे साहूकार (सरजू) को चुकाने के लिए मजबूर होता है, क्योंकि अगर वह साहूकार को पैसे नहीं देगा, तो उसे गालियाँ सुननी पड़ेंगी और अपमानित होना पड़ेगा। भारी मन से, वह कंबल खरीदने के बजाय कर्ज चुकाने का फैसला करता है [13:38]।

  3. पूस की रात: पौष (पूस) की कड़ाके की ठंड वाली रात में, हल्कू अपने खेत की रखवाली के लिए जाता है। उसके पास सिर्फ एक पुरानी और फटी चादर होती है, और वह और उसका कुत्ता जबरा ठंड से कांप रहे होते हैं [17:31]। वह इतनी ठंड बर्दाश्त नहीं कर पाता है।

  4. राहत की तलाश: ठंड से राहत पाने के लिए, वह अपने पास के आम के बाग में सूखी पत्तियाँ इकट्ठी करके आग जलाता है [20:09]। हल्कू और जबरा आग की गरमाहट का आनंद लेते हैं, और हल्कू ठंड को भूलकर कुछ देर के लिए आराम महसूस करता है।

  5. फसल का विनाश: इसी बीच, खेत में नीलगायों का झुंड घुस आता है और फसल चरना शुरू कर देता है [22:14]। जबरा भौंककर और हल्कू को धक्का देकर उसे जगाने की कोशिश करता है, लेकिन हल्कू इतनी ठंड से बाहर निकलकर खेत की तरफ जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाता। वह आग की गरमाहट को त्यागने के बजाय, फसल को बर्बाद होने देना स्वीकार कर लेता है।

  6. परिणाम: अगली सुबह जब मुन्नी और हल्कू खेत में आते हैं, तो देखते हैं कि पूरी फसल बर्बाद हो चुकी है। मुन्नी दुखी होती है, लेकिन हल्कू अजीब तरह से शांत और प्रसन्न महसूस करता है। उसे इस बात की खुशी होती है कि अब उसे ठंड में रातभर खेत पर सोना नहीं पड़ेगा [23:32]।

कहानी का संदेश

'पूस की रात' कहानी भारत के किसान की उस दर्दनाक स्थिति को उजागर करती है, जहाँ वह अपनी कड़ी मेहनत और फसल की परवाह करने के बजाय, ठंड और कर्ज के बोझ से मुक्ति को प्राथमिकता देता है। यह कहानी गरीबी के कारण इंसान के आत्मसम्मान और इच्छाशक्ति के पतन को दिखाती है।

(This video is posted by channel – Prasar Bharati Archives on YouTube, and Raree India has no direct claims to this video. This video is added to this post for knowledge purposes only.)

 

No comments:

Post a Comment

Do Leave a Comment

Search This Blog