Saturday, September 01, 2012

Bachpan Ke Din Bhula Na Dena Deedar 1951




यह गीत 'बचपन के दिन भुला न देना' हिंदी सिनेमा के सबसे भावुक और यादगार गीतों में से एक है, जो बचपन की यादों और दोस्तों से बिछड़ने के दर्द को बयां करता है। यह गाना दो अलग-अलग संस्करणों में बेहद लोकप्रिय हुआ था।

गीत का विवरण (Song Details)

विवरणजानकारी
फिल्म (Movie)दीदार (Deedar)
रिलीज़ वर्ष (Release Year)1951
गायक (Singers)मोहम्मद रफ़ी और लता मंगेशकर (Mohammed Rafi & Lata Mangeshkar) - (युगल संस्करण)
संगीत निर्देशक (Music Director)नौशाद (Naushad)
गीतकार (Lyricist)शकील बदायुनी (Shakeel Badayuni)
कलाकार (Star Cast)दिलीप कुमार (Dilip Kumar), नरगिस (Nargis), अशोक कुमार (Ashok Kumar), निम्मी (Nimmi)

रोचक तथ्य (Interesting Facts)

  • गीत के दो संस्करणों की सफलता: इस गीत को फिल्म में दो अलग-अलग संस्करणों में इस्तेमाल किया गया था, और दोनों ही अविश्वसनीय रूप से सफल रहे:

    1. युगल (Duet) संस्करण: मोहम्मद रफ़ी और लता मंगेशकर द्वारा गाया गया, जो बचपन के प्यारे से विदाई गीत (Farewell song) के रूप में फिल्माया गया।

    2. सोलो (Solo) संस्करण: इसे केवल लता मंगेशकर ने गाया था, जो बड़े होने के बाद के विरह और यादों के दर्द को दर्शाता है।

  • नौशाद का क्लासिक संगीत: संगीतकार नौशाद अपनी मधुर और लोक-आधारित (folk-based) धुनों के लिए जाने जाते थे। उन्होंने इस गाने की धुन में बचपन की मासूमियत और बाद के अलगाव (separation) के दर्द दोनों को बड़ी संवेदनशीलता के साथ व्यक्त किया।

  • शकील बदायुनी के भावपूर्ण बोल: गीतकार शकील बदायुनी ने इस गीत के माध्यम से दोस्ती और बचपन के भोलेपन की यादों को अमर कर दिया। "याद रखना, हमें भूल न जाना" जैसे सरल बोल, जीवन भर के भावनात्मक बोझ को दर्शाते हैं।

  • दिलीप कुमार की ट्रेजेडी: फिल्म 'दीदार' एक क्लासिक ट्रेजेडी थी, और यह गीत फिल्म के भावनात्मक केंद्र में था। यह बचपन के अटूट रिश्ते को दिखाता है, जो बाद में सामाजिक और आर्थिक बाधाओं के कारण दुखद रूप से टूट जाता है। इस गाने ने दिलीप कुमार को 'ट्रेजेडी किंग' के रूप में स्थापित करने में मदद की।

यह गीत आज भी दोस्ती, बचपन और बीते हुए समय की यादों का एक प्रतीक है।


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Akhiyaan Mila Ke Jiya Bharama Ke Rattan 1944




 गीत / फिल्म — मुख्य विवरण

  • गाना: Akhiyan Mila Ke Jiya Bharma Ke

  • फिल्म: Rattan (1944) 

  • गायिका: Zohrabai Ambalewali 

  • संगीत निदेशक (Music Director): Naushad 

  • गीतकार (Lyricist): D. N. Madhok 

  • फिल्म निर्देशक: M. Sadiq 

  • फिल्म की प्रसिद्धि: Rattan शब्दों में 1944 की highest-grossing (सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली) फिल्म थी।

क्या खास है यह गीत / फिल्म — रोचक बातें

Zohrabai Ambalewali की खनक & आवाज़

  • Zohrabai की आवाज़ गहरी, मधुर और उस ज़माने की playback singing में अनूठी थी। इस गीत में उनकी आवाज़ की भाव-भंगिमा — प्यार, उम्मीद और थोड़ा विरह — काबिल-ए-तारीफ है। 

  • उन दिनों जब फ़िल्म संगीत अभी अपना स्वरूप ले रहा था — Naushad-Zohrabai-Madhok का यह तिकड़ा इसे “evergreen / सदाबहार” बना गया।

Rattan — Naushad को सुपरस्टार बनाने वाली

  • Rattan की सफलता ने Naushad को उस समय के सबसे बड़े संगीतकारों में स्थापित कर दिया था। 

  • इस फिल्म का संगीत और गाने — युवा-पुराने, दोनों ही पीढ़ियों में — बेहद लोकप्रिय हुए।

गीत की भाव-गहराई

  • गीत के बोल — “अंखियाँ मिला के जिया भरमा के, चले नहीं जाना…” — नज़र मिलने, दिल में ख्यालों का उभार, मोहब्बत और डर को बयां करते हैं। 

  • उस दौर की फिल्मों में जब रोमांस और संवेदनाएं सीमित थी — इस गीत ने चाहने वालों के लिए प्यार का एक नया अंदाज़ पेश किया।

फिल्म + गाने का सांगीतिक और ऐतिहासिक महत्व

  • Rattan उस समय की highest-grossing फिल्म थी — इसका मतलब है कि ये गीत और संगीत बड़े पैमाने पर लोगों के दिलों और स्मृतियों में बसे। 

  • साथ ही, Zohrabai Ambalewali जैसी गायकों — पहले-जेनरेशन playback singers — का दौर था, जिसने हिंदी सिने म्यूज़िक की नींव डाली। 

क्यों आज भी Akhiyan Mila Ke … खास है

  • इसकी धुन और आवाज़ दोनों मार्मिक और असरदार हैं — कुछ सुनने वालों को आज भी वही पुरानी मोहब्बत की ताज़गी महसूस होती है।

  • यह गीत हमें हिंदी सिनेमा के सुनहरे दौर (1940s-50s) की स्मृति दिलाता है — जब फिल्मों में संगीत सिर्फ मज़ा नहीं, बल्कि भावनाओं की भाषा थी।

  • Zohrabai, Naushad और Madhok — तीनों का प्रभाव-मेला इस गीत में आए दिन कानों में गूंजता है।


Information Credit: Wikipedia+2Google Translate+2

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Afsana Likh Rahi Hoon Dil E Beqarar Ka Dard 1947





यह गीत 'अफ़साना लिख रही हूँ दिल-ए-बेकरार का' हिंदी सिनेमा के सबसे प्रसिद्ध और प्रभावशाली गीतों में से एक है। यह गाना एक महिला की भावनाओं और उसके दिल के दर्द को बड़ी गहराई से व्यक्त करता है।

गीत का विवरण (Song Details)

विवरणजानकारी
फिल्म (Movie)दर्द (Dard)
रिलीज़ वर्ष (Release Year)1947
गायक (Singer)सुरैया (Suraiya)
संगीत निर्देशक (Music Director)नौशाद (Naushad)
गीतकार (Lyricist)शकील बदायुनी (Shakeel Badayuni)
कलाकार (Star Cast)सुरैया (Suraiya), नुसरत बानो (Nusrat Bano), मुनव्वर सुल्ताना (Munawwar Sultana)

रोचक तथ्य (Interesting Facts)

  • सुरैया की दोहरी प्रतिभा: यह गाना अभिनेत्री-गायिका सुरैया के सबसे यादगार गीतों में से एक है। 1940 के दशक में, सुरैया अपनी आवाज़ और अभिनय दोनों के लिए बेहद लोकप्रिय थीं। उन्होंने यह गाना खुद गाया और इसे स्क्रीन पर खुद पर ही फिल्माया। उनकी आवाज़ में एक अनोखी मिठास और दुख का भाव था जो इस गीत के लिए एकदम सही था।

  • नौशाद और शकील बदायुनी का संगम: संगीतकार नौशाद और गीतकार शकील बदायुनी की जोड़ी ने बॉलीवुड को कई अविस्मरणीय क्लासिक्स दिए हैं। यह गीत उनकी सफल साझेदारी के शुरुआती और बेहतरीन उदाहरणों में से एक है। शकील के बोल, जो दिल के दर्द (दिल-ए-बेकरार) को कहानी (अफ़साना) के रूप में लिख रहे हैं, गहन और काव्यात्मक हैं।

  • फिल्म का विषय: फिल्म 'दर्द' (Dard - Pain) जैसा कि नाम से पता चलता है, एक भावनात्मक और ट्रेजिक ड्रामा थी। यह गीत फिल्म की मुख्य नायिका के विरह और आंतरिक संघर्ष को दर्शाता है, जो इसे फिल्म का एक महत्वपूर्ण भावनात्मक केंद्र बनाता है।

  • भारतीय स्वतंत्रता का वर्ष: यह फिल्म और गीत भारतीय इतिहास के एक बहुत ही महत्वपूर्ण वर्ष, 1947 में रिलीज़ हुआ, जिस वर्ष भारत को स्वतंत्रता मिली। फिल्म के गीत, अपनी क्लासिकल मधुरता के बावजूद, उस दौर के लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय हुए।

यह गीत आज भी उन श्रोताओं के बीच लोकप्रिय है जो 1940 के दशक की शुद्ध, भावपूर्ण और क्लासिकल धुनों को पसंद करते हैं।


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Geeta Dutt - Ye Lo Main Haari Piya - Aar Paar [1954]





यह गीत 'ये लो मैं हारी पिया, हुई तेरी जीत रे' हिंदी सिनेमा के सबसे चुलबुले, हल्के-फुल्के और रोमांटिक गीतों में से एक है। यह गाना गायक गुरु दत्त और गायिका गीता दत्त की शानदार जोड़ी के बीच का एक मजेदार संवाद है।

गीत का विवरण (Song Details)

विवरणजानकारी
फिल्म (Movie)आर-पार (Aar Paar)
रिलीज़ वर्ष (Release Year)1954
गायक (Singers)गीता दत्त (Geeta Dutt)
संगीत निर्देशक (Music Director)ओ. पी. नैय्यर (O. P. Nayyar)
गीतकार (Lyricist)मजरूह सुल्तानपुरी (Majrooh Sultanpuri)
कलाकार (Star Cast)गुरु दत्त (Guru Dutt), शकीला (Shakila)

रोचक तथ्य (Interesting Facts)

  • ओ. पी. नैय्यर का अनूठा संगीत: यह गीत संगीतकार ओ. पी. नैय्यर की सबसे प्रसिद्ध रचनाओं में से एक है। नैय्यर साहब ने अपनी धुनों में सारंगी, तबला और कैवेलकेड रिदम का उपयोग किया, जिससे उनके संगीत में एक खास तेज़ और लयबद्ध (rhythmic) ऊर्जा आ गई। इस गाने की धुन बेहद कैची है और तुरंत पैर थिरकाने को मजबूर करती है।

  • गीता दत्त की चुलबुली आवाज़: गीता दत्त की आवाज़ में एक विशेष चुलबुलापन और शरारत थी, जो इस तरह के हल्के-फुल्के रोमांटिक गीतों के लिए एकदम सही थी। इस गाने में उन्होंने जो नज़ाकत और मस्ती भरी है, वह अद्वितीय (unique) है और यह उनकी बेहतरीन प्रस्तुतियों में से एक मानी जाती है।

  • गुरु दत्त का निर्देशन और अभिनय: यह फिल्म गुरु दत्त द्वारा निर्देशित और अभिनीत है। गुरु दत्त ने अक्सर अपनी फिल्मों में सामाजिक संदेश और गहन भावनाओं को दर्शाया है, लेकिन इस फिल्म (और इस गीत) में उन्होंने एक हल्की-फुल्की रोमांटिक कॉमेडी का स्पर्श दिया है। यह गाना उनके और शकीला के बीच के प्यार भरे तकरार (love quarrel) को दर्शाता है।

  • मजरूह सुल्तानपुरी के सरल बोल: गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी ने सरल, रोज़मर्रा की भाषा का उपयोग किया, जो गाने के मस्ती भरे मूड के साथ पूरी तरह मेल खाता है। "ये लो मैं हारी पिया, हुई तेरी जीत रे" जैसे बोल, प्यार में हार मानने के मीठे एहसास को दर्शाते हैं।

यह गीत आज भी अपनी ताज़गी और गीता दत्त की आवाज़ के जादू के कारण सदाबहार है।



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Aye Dil Mujhe Bata De - Shyama, Geeta Dutt, Bhai Bhai Song


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Saiyan Dil Mein Aana Re | Bahar (1951) | Vyjayantimala | Shamshad Begum




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Gulzar - Serial - Kirdaar - Story - Hisaab Kitaab - Story By Gulzar Dire...






Here are the key details about this specific episode:

  • Title: Gulzar Serial Kirdaar Story Shikod Roots

  • Original Story By: Praffula Roy

  • Directed By: Gulzar

  • Source: It is part of the television serial Kirdaar.

  • Theme: The story "Shikod" (which means 'roots') revolves around the theme of migration and roots in the context of the Partition of India in 1947, a common subject in Gulzar's work. It explores how individuals are emotionally tied to their native land and the impact of uprooting on their lives.


About the Series Kirdaar

  • Year: The serial aired in the mid-1990s on Doordarshan (DD National), India's public service broadcaster.

  • Concept: Kirdaar was an anthology series, where each episode presented a different short story, often adapted from literary works by renowned Indian writers.

  • Significance: It is celebrated for its high artistic and narrative quality, showcasing strong performances and Gulzar's nuanced direction, bringing classic literature to a television audience.

(This video is posted by channel – Ram Prasaad on YouTube, and Raree India has no direct claims to this video. This video is added to this post for knowledge purposes only.)

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