Sunday, September 14, 2025

De hawa da jeewan sanu...ਦੇਹ ਹਵਾ ਦਾ ਜੀਵਨ ਸਾਨੂੰ,...by Mohan Singh


ਦੇਹ ਹਵਾ ਦਾ ਜੀਵਨ ਸਾਨੂੰ,

ਦੇਹ ਹਵਾ ਦਾ ਜੀਵਨ ਸਾਨੂੰ,
ਸਦਾ ਖੋਜ ਵਿਚ ਰਹੀਏ ।
ਹਰ ਦਮ ਤਲਬ ਸਜਨ ਦੀ ਕਰੀਏ,
ਠੰਢੇ ਕਦੀ ਨਾ ਪਈਏ ।
ਜੰਗਲ ਗਾਹੀਏ, ਰੇਤੜ ਵਾਹੀਏ,
ਨਾਲ ਪਹਾੜਾਂ ਖਹੀਏ ।
ਇਕੋ ਸਾਹੇ ਭਜਦੇ ਜਾਈਏ,
ਕਿਸੇ ਪੜਾ ਨਾ ਲਹੀਏ ।
ਵੇਖ ਮੁਲਾਇਮ ਸੇਜ ਫੁਲਾਂ ਦੀ
ਧਰਨਾ ਮਾਰ ਨਾ ਬਹੀਏ ।
ਸੌ ਰੰਗਾਂ ਦੇ ਵਿਚੋਂ ਲੰਘ ਕੇ,

एक ज़रा छींक ही दो तुम by Gulzar

एक  ज़रा छींक ही दो तुम 

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चिपचिपे दूध से नहलाते हैं, आंगन में खड़ा कर के तुम्हें


शहद भी, तेल भी, हल्दी भी, ना जाने क्या क्या


घोल के सर पे लुढ़काते हैं गिलासियाँ भर के


औरतें गाती हैं जब तीव्र सुरों में मिल कर


पाँव पर पाँव लगाए खड़े रहते हो

कृष्णा सोबती ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित ....ek prasang

कृष्णा सोबती ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित भारत की एक जानी मानी लेखिका हैं ।  उनके उपन्यास ‘दिलो दानिश’ में एक प्रसंग आता है जिसमें इस रचना की मुख्य चरित्र 'महक बानो'  से एक जगह उसकी मां कहती है-

‘जानती हो, मेरे गुरु, तुम्हारे पिता क्या कहा करते? कहते नसीम बानो, दुनिया

दुःख और सुख.....Dukh aur sukh ....Mustafa Arbaab


ये नज़्म शायर मुस्तफा अरबाब जी की है। ..एक कार हादसे में गाडी चलाते हुए उनसे  एक्सीडेंट हो जाता है जिसमें उनके साथ बैठी उनकी बीवी के दोनों पैर काटने पड़ जाते हैं और रीढ़ की हड्डी में चोट आने की वजह से वो पूरी ज़िन्दगी बिस्तर की ही होकर रह जाती हैं। ..खुद को उस हादसे का ज़िम्मेदार  मानते हुए उसी सूरत-ए -हाल में लिखी शायर की ये नज़्म ...


Ye nazm shaayar Mustafa Arbaab ji ki hai......ek car haadse mein gaadi chalaatey huye unse accident ho jata hai ...jismein unke saath baithi unki biwi ke dono paer kaatne pad jaatey hain aur reedh ki haddi mein aayi chot ki vajah se vo poori zindagi bistar ki hi hokar reh jaati hain....khud ko us haadse ka zimmedaar maantey huye usi soorat-e-haal mein likhi shayar ki ye nazm.....

अक्स कितने उतर गए मुझ में....Aks kitnay utar gaye mujh mein


अक्स कितने उतर गए मुझ में, फिर न जाने किधर गए मुझ में।

ये जो मैं हूँ, ज़रा सा बाक़ी हूँ, वो जो तुम थे, वो मर गए मुझ में।।

मेरे हर अमल को सराह कर.....Mere har amal ko saraah kar

मेरे हर अमल को सराह कर,, ये अज़ीयतें न दिया करो ,

मेरी जान !  तुम भी अजीब हो ,,तुम्हें रूठना भी तो चाहिए.....

Friday, September 12, 2025

Hai Ni Mera Balam Hai Bada Zalam | Shamshad Begum | Old Punjabi Songs 2024


 


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