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Thursday, April 19, 2012
Tere baare mein jab socha nahi thaa (Jagjit Singh)
BADI NAZUK HAI JAGJIT SINGH
KISI NAZAR KO TERA INTEZAR AAJ BHI HAI BY ANIL BHALLA
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Monday, April 16, 2012
सवाल जवाब
आजकल
सवाल ही सवाल
खिलते हैं,
फूलों की तरह,
जवाब गुम-सुम से
मिट्टी में,
दबे रहते हैं …..!
(मंजू मिश्रा)
खुशियाँ
मिल जाएँ
खुशियाँ
मुट्ठी भर
तो
बीज बनाकर
छींट दूं उन्हें,
आँगन में !!
बारिश होगी,
अंकुर फूटेंगे
कलियाँ चटकेंगी,
रंग बिखरेंगे,
लहलहाएगी फसल…
भर जायेगा
ज़िंदगी का घर
खुशियों से !
(Manju Mishra)
कविता का पर्याय
दीपक से अधिक मूल्यवान होता है प्रकाश
पांडुलिपियों से अधिक मूल्यवान
होती हैं कविताएं
और अधरों से अधिक मूल्यवान होते हैं
उन पर रचे गए चुंबन।
तुमसे ..
मुझसे..
हम दोनों से..
बहुत अधिक मूल्यवान हैं मेरे प्रेमपत्र।
वे ही तो हैं वे दस्तावेज
जिनसे आने वाले समय में
जान पाएंगे लोगबाग
कि कैसा रहा होगा तुम्हारा सौंदर्य
और कितना मूल्यवान रहा होगा मेरा पागलपन।
तुम्हें जब कभी
जब भी कभी
तुम्हें मिल जाए वह पुरुष
जो परिवर्तित कर दे
तुम्हारे अंग-प्रत्यंग को कविता में।
वह जो कविता में गूंथ दे
तुम्हारी केश राशि का एक-एक केश।
जब तुम पा जाओ कोई ऐसा
ऐसा प्रवीण कोई ऐसा निपुण
जैसे कि इस क्षण मैं
करा रहा हूं कविता के जल से तुम्हें स्नान
और कविता के आभूषणों से ही कर रहा हूं
तुम्हारा श्रंगार।
अगर ऐसा हो कभी
तो मान लेना मेरी बात
अगर सचमुच ऐसा हो कभी
मान रखना मेरे अनुनय का
तुम चल देना उसी के साथ बेझिझक निस्संकोच।
महत्वपूर्ण यह नहीं है
कि तुम मेरी हो सकीं अथवा नहीं
महत्वूपूर्ण यह है
कि तुम्हें होना है कविता का पर्याय।
Sunday, April 15, 2012
Karoge Yaad Toh - Naseeruddin - Smita Patil - Bazaar - Bollywood Classic...
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Dekh Lo Aaj Humko Ji Bhar Ke - Farooq Sheikh - Supriya Pathak - Bazaar S...
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Dikhaayi Diye Yun - Farooq Sheikh - Supriya Pathak - Smita Patil - Nasee...
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Tum Ko Dekha Toh Ye Khayal - Deepti Naval - Farooque Sheikh - Saath Saat...
Pyar Mujh Se Jo Kiya Tumne - Deepti Naval - Farooque Sheikh - Saath Saat...
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Saturday, April 14, 2012
Dil Dhadkane Ka Sabab Yaad Aaya
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Friday, April 13, 2012
लकीरें
लकीरें
अपने स्वभाव से चलती हैं
हमेशा नहीं होतीं लकीरें
समानांतर एक-दूसरे के
कि चलती रहें एक साथ
अनंत तक अनादि तक
तिर्यक भी नहीं होती हर रेखा
कि दूसरी को बस
निकल जाए स्पर्श करते हुए
यह भी ज़रूरी नहीं
साथ चलती दो लकीरें
कभी-न-कभी निकलेंगी
एक-दूसरे को काटते हुए
किसी आयत या वर्ग का
विकर्ण भी नहीं होतीं सब लकीरें
कि उल्टे-सीधे, आगे-पीछे चलते
एक ही बिंदु पर मिलें हर बार
ऐसा भी बहुधा नहीं होता
कि एक-दूसरे से सटकर चलें ही
तो लगे
दो नहीं एक ही लकीर है वहां
वक्र चाल ही चलती हैं
अधिकतर लकीरें
एक-दूसरे में मिलती प्रतीत होती हैं
और झट से निकल जाती हैं
एक-दूसरे से दूर
कोई नया मोड़ लेकर
लकीरें कभी नहीं बदलतीं अपना स्वभाव
रिश्तों को लकीरें समझकर चलो तो
आधे दुःख निरर्थक हो जाते हैं
- अजय गर्ग
इतने ऊँचे उठो
इतने ऊँचे उठो कि जितना उठा गगन है।
देखो इस सारी दुनिया को एक दृष्टि से
सिंचित करो धरा, समता की भाव वृष्टि से
जाति भेद की, धर्म-वेश की
काले गोरे रंग-द्वेष की
ज्वालाओं से जलते जग में
इतने शीतल बहो कि जितना मलय पवन है॥
नये हाथ से, वर्तमान का रूप सँवारो
नयी तूलिका से चित्रों के रंग उभारो
नये राग को नूतन स्वर दो
भाषा को नूतन अक्षर दो
युग की नयी मूर्ति-रचना में
इतने मौलिक बनो कि जितना स्वयं सृजन है॥
लो अतीत से उतना ही जितना पोषक है
जीर्ण-शीर्ण का मोह मृत्यु का ही द्योतक है
तोड़ो बन्धन, रुके न चिंतन
गति, जीवन का सत्य चिरन्तन
धारा के शाश्वत प्रवाह में
इतने गतिमय बनो कि जितना परिवर्तन है।
चाह रहे हम इस धरती को स्वर्ग बनाना
अगर कहीं हो स्वर्ग, उसे धरती पर लाना
सूरज, चाँद, चाँदनी, तारे
सब हैं प्रतिपल साथ हमारे
दो कुरूप को रूप सलोना
इतने सुन्दर बनो कि जितना आकर्षण है!
(द्वारिका प्रसाद महेश्वरी )
Wednesday, April 11, 2012
इस बार नहीं.........
इस बार नहीं
इस बार जब वोह छोटी सी बच्ची मेरे पास अपनी खरोंच ले कर आएगी
मैं उसे फू फू कर नहीं बहलाऊँगा
पनपने दूँगा उसकी टीस को
इस बार नहीं
इस बार जब मैं चेहरों पर दर्द लिखा देखूँगा
नहीं गाऊँगा गीत पीड़ा भुला देने वाले
दर्द को रिसने दूँगा,उतरने दूँगा अन्दर गहरे
इस बार नहीं .........
इस बार मैं न मरहम लगाऊँगा
न ही उठाऊँगा रुई के फाहे
और न ही कहूँगा कि तुम आंखें बंद करलो, गर्दन उधर कर लो मैं दवा लगाता हूँ
देखने दूँगा सबको हम सबको खुले नंगे घाव
इस बार नहीं......
इस बार जब उलझने देखूँगा, छटपटाहट देखूँगा
नहीं दौडूंगा उलझी डोर लपेटने, उलझने दूँगा जब तक उलझ सके
इस बार नहीं........
इस बार कर्म का हवाला दे कर नहीं उठाऊँगा औजार
नहीं करूंगा फिर से एक नयी शुरुआत, नहीं बनूँगा मिसाल एक कर्मयोगी की
नहीं आने दूँगा ज़िन्दगी को आसानी से पटरी पर
उतरने दूँगा उसे कीचड मैं, टेढे मेढे रास्तों पे
नहीं सूखने दूँगा दीवारों पर लगा खून
हल्का नहीं पड़ने दूँगा उसका रंग
इस बार नहीं बनने दूँगा उसे इतना लाचार
कि पान की पीक और खून का फर्क ही ख़त्म हो जाए
इस बार नहीं.......
इस बार घावों को देखना है
गौर से थोड़ा लंबे वक्त तक
कुछ फैसले और उसके बाद हौसले
कहीं तो शुरुआत करनी ही होगी
इस बार यही तय किया है
Zindagi Zindagi Mere Ghar Aana | Anuradha Paudwal, Bhupinder Singh| Dooriyan Songs | Sharmila Tagore
SEENE MEIN JALAN AANKHON MEIN TOOFAN SA KYUN HAI - SURESH WADKAR
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Kabhi Kisi Ko Mukumal Jahan by Bhupinder Singh
भूपिंदर सिंह का गाया गीत "कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता" भारतीय सिनेमा के सबसे भावुक और दार्शनिक गीतों (philosophical songs) में से एक है।
यह गाना 1981 में आई फ़िल्म 'आहिस्ता आहिस्ता' (Ahista Ahista) का है।
यहाँ इस गीत और फ़िल्म से जुड़ी विस्तृत जानकारी और कुछ दिलचस्प तथ्य दिए गए हैं:
फ़िल्म और गीत का विवरण
| विवरण | जानकारी |
| फ़िल्म का नाम | आहिस्ता आहिस्ता (Ahista Ahista) (1981) |
| गायक (Male Version) | भूपिंदर सिंह (Bhupinder Singh) |
| संगीतकार | ख़य्याम (Khayyam) |
| गीतकार | निदा फ़ाज़ली (Nida Fazli) |
| निर्देशक | इस्माईल श्रॉफ (Esmayeel Shroff) |
| मुख्य कलाकार | कुणाल कपूर, पद्मिनी कोल्हापुरे, नंदा, शम्मी कपूर |
| गीत का मूड | उदास, दार्शनिक ग़ज़ल |
गीत से जुड़े दिलचस्प तथ्य (Interesting Facts)
ग़ज़ल का मास्टरपीस संयोजन: यह गीत भारतीय सिनेमा के तीन महान कलाकारों—गायकी में भूपिंदर सिंह, संगीत में ख़य्याम, और शायरी में निदा फ़ाज़ली—के बेहतरीन तालमेल का नतीजा है।
दो संस्करण (Two Versions): इस गीत के दो क्लासिक संस्करण हैं:
पुरुष संस्करण (Male Version): जिसे भूपिंदर सिंह ने अपनी गहरी और मखमली आवाज़ में गाया है।
महिला संस्करण (Female Version): जिसे प्रसिद्ध गायिका आशा भोसले ने गाया है। दोनों ही संस्करण बहुत लोकप्रिय हुए थे।
फ़िल्म का आधार (Source Material): फ़िल्म 'आहिस्ता आहिस्ता' 1967 की कन्नड़ फ़िल्म 'गेज्जे पूजे' (Gejje Pooje) की रीमेक थी।
निदा फ़ाज़ली की शायरी: यह ग़ज़ल मशहूर शायर निदा फ़ाज़ली ने लिखी थी, और यह उनके सबसे प्रसिद्ध फिल्मी गीतों में से एक है। ग़ज़ल जीवन की कड़वी सच्चाई को बयां करती है कि किसी को भी कभी मुकम्मल (संपूर्ण) जहाँ (दुनिया/खुशी) नहीं मिलती। यह निराशा और उम्मीद के मिश्रण को खूबसूरती से दर्शाती है।
ख़य्याम का संगीत: ख़य्याम साहब को उनके भावपूर्ण और ग़ज़ल-आधारित संगीत के लिए जाना जाता है। उन्होंने इस गीत को एक ऐसी धीमी और मार्मिक धुन दी जो भूपिंदर सिंह की आवाज़ की गहराई के साथ पूरी तरह से मेल खाती है।
कलाकार: इस फ़िल्म में कुणाल कपूर (शशि कपूर के बेटे) और पद्मिनी कोल्हापुरे मुख्य भूमिकाओं में थे।
यह गीत आज भी उन लोगों के बीच एक कालातीत (timeless) क्लासिक बना हुआ है जो शायरी और भावपूर्ण संगीत पसंद करते हैं।
ye kya jageh hai film umrao jaan
ग़ज़ल का विवरण: "ये क्या जगह है दोस्तों"
यह गीत उमराव जान के जीवन के अकेलेपन, पहचान के संकट (Identity Crisis) और उदासी को दर्शाता है।
| विशेषता | जानकारी |
| फ़िल्म | उमराव जान (Umrao Jaan) (1981) |
| गायक | आशा भोंसले (Asha Bhosle) |
| संगीतकार | ख़य्याम (Khayyam) |
| गीतकार | शहरयार (Shahryar) |
| कलाकार | रेखा (Umrao Jaan) |
वीडियो का सार और मूड
थीम: यह गीत तब आता है जब उमराव जान (रेखा) को अपने गृहनगर फ़ैज़ाबाद के क़रीब किसी पड़ाव पर रुकना पड़ता है। यहाँ, वह अपने पुराने जीवन और नए जीवन के बीच के विरोधाभास को महसूस करती है।
भावनात्मक गहराई: यह गीत पूरी तरह से नायिका की आंतरिक पीड़ा (internal pain) को व्यक्त करता है। वह अपनी क़िस्मत और जीवन से पूछती है कि वह उसे कहाँ ले आया है, जहाँ चारों तरफ सिर्फ़ धूल और उदासी (ग़ुबार ही ग़ुबार) है।
मुख्य पंक्तियाँ:
ये क्या जगह है दोस्तों, ये कौन सा दयार है
हद-ए-निगाह तक जहाँ, ग़ुबार ही ग़ुबार है
ये किस मक़ाम पर हयात, मुझको लेके आ गयी
ना बस ख़ुशी पे जहाँ, ना ग़म पे इख़्तियार है
यह पंक्तियाँ बताती हैं कि जीवन उसे ऐसी जगह ले आया है, जहाँ उसे न तो ख़ुशी पर नियंत्रण है और न ही वह अपने ग़मों को नियंत्रित कर सकती है।
फ़िल्म 'उमराव जान' (1981) के बारे में दिलचस्प तथ्य
क्लासिक उपन्यास पर आधारित: यह फ़िल्म मिर्ज़ा हादी रुसवा के 1905 के उर्दू उपन्यास 'उमराव जान अदा' पर आधारित है, जिसे उर्दू साहित्य के महान उपन्यासों में गिना जाता है।
रेखा का करियर का शिखर: अभिनेत्री रेखा ने अपने उमराव जान के किरदार के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार (National Film Award) जीता, जिसे उनके करियर की सबसे शानदार प्रस्तुतियों में से एक माना जाता है।
संगीत की सफलता: फ़िल्म का संगीत हिंदी सिनेमा के सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ (Best of all time) साउंडट्रैक में से एक है। ख़य्याम को इस संगीत के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिला।
आशा भोंसले का सम्मान: इस फ़िल्म के गीतों (ख़ासकर "दिल चीज़ क्या है") के लिए आशा भोंसले को भी राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, जो उनके करियर का एक महत्वपूर्ण पल था।
निर्देशन और कला: निर्देशक मुज़फ़्फ़र अली (जो एक चित्रकार भी हैं) ने 19वीं सदी के लखनऊ की नवाबी तहज़ीब और वास्तुकला को पर्दे पर जीवंत कर दिया। फ़िल्म ने सर्वश्रेष्ठ कला निर्देशन (Best Art Direction) का राष्ट्रीय पुरस्कार जीता।
पहले विकल्प नहीं थे संगीतकार: दिलचस्प बात यह है कि ख़य्याम, मुज़फ़्फ़र अली की संगीतकार के तौर पर पहली पसंद नहीं थे। उन्होंने पहले जयदेव और फिर नौशाद से संपर्क किया था, लेकिन अंततः यह काम ख़य्याम ने किया और इतिहास रच दिया।
SHARAB CHEEZ HI AISI HAI PANKAJ UDAS
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RABBI - Bulla Ki Jaana
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rekha bhardwaj tere ishq mein.mp4
यह गीत रेखा भारद्वाज (Rekha Bhardwaj) के शुरुआती नॉन-फ़िल्मी एलबमों में से एक है, जिसने उन्हें एक ग़ज़ल और सूफी गायिका के रूप में पहचान दिलाई थी।
यह गीत "तेरे इश्क़ में" उनके पॉप कलेक्शन एलबम 'इश्क़ा इश्क़ा' (Ishqa Ishqa) का हिस्सा है।
यहाँ इस वीडियो, गीत और एलबम के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है:
गीत और एलबम का विवरण
| विवरण | जानकारी |
| गीत का शीर्षक | तेरे इश्क़ में |
| एलबम | इश्क़ा इश्क़ा (Ishqa Ishqa) (लगभग 2000 के दशक की शुरुआत में रिलीज़) |
| गायक | रेखा भारद्वाज (Rekha Bhardwaj) |
| संगीत | विशाल भारद्वाज (Vishal Bhardwaj) |
| गीतकार | गुलज़ार (Gulzar) |
| शैली | मॉडर्न ग़ज़ल/पॉप/सूफी फ्यूजन |
वीडियो और गीत के बारे में विवरण
यह गीत रेखा भारद्वाज के करियर के उन शुरुआती गीतों में से एक है जिसने उनकी आवाज़ की विशेषता (distinctiveness) को स्थापित किया।
गीत का सार (Essence): यह गीत प्रेम में एकांत (loneliness) और तन्हाई को दर्शाता है। इसकी शुरुआत में ही गुलज़ार साहब की गहरी और काव्यात्मक पंक्तियाँ हैं: "तेरे इश्क़ में तन्हाईयाँ... तन्हाईयाँ... हमने बहुत बहलाईयाँ..."
संगीत की शैली: विशाल भारद्वाज ने इस गीत को एक समकालीन (contemporary) संगीत दिया है। यह पारंपरिक ग़ज़ल से हटकर है, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक और आधुनिक वाद्य यंत्रों का उपयोग किया गया है, लेकिन इसका भाव सूफी और ग़ज़ल का है। यह उस समय के पॉप एलबमों में एक नया प्रयोग था।
वीडियो की विशेषता: इस गीत का म्यूज़िक वीडियो आमतौर पर एक एलबम वीडियो की तरह ही शूट किया गया है, जिसमें रेखा भारद्वाज को गाने को भावुक तरीके से प्रस्तुत करते हुए दिखाया गया है। यह वीडियो 2000 के दशक की शुरुआत के म्यूज़िक वीडियो एस्थेटिक्स को दर्शाता है, जिसमें सरल लेकिन कलात्मक सेट का उपयोग किया जाता था।
गुलज़ार और विशाल का सहयोग: यह गीत गुलज़ार (गीतकार) और विशाल भारद्वाज (संगीतकार) के सफल और प्रतिष्ठित सहयोग की एक और मिसाल है, जो रेखा भारद्वाज की आवाज़ के लिए विशेष रूप से लिखे गए गीतों के लिए प्रसिद्ध है।
यह गीत रेखा भारद्वाज के फैंस के बीच एक कल्ट क्लासिक (cult classic) माना जाता है, जो उनकी बाद की फ़िल्मी सफलताओं, जैसे 'फेमस' (Namak Ishq Ka) और 'ओ साथी रे' (Omkara) की नींव रखता है।
Afreen Afreen | Sangam (1996) | Hindi Video Song | Nusrat Fateh Ali Khan
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Maine Dil Se Kahan Dhoondh Laana Khushi Full 4K Video | K.K | Rog | Irfan Khan |
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Jism Movie Audio Jukebox
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Jhoka Hawa Ka Full Song | Hum Dil De Chuke Sanam | Hariharan, Kavita Krishnamurthy | Ajay,Aishwarya
Ghar Aja Sohniya Official Video Song - Bally Jagpal & Shazia Manzoor - Moviebox Record Label
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Tuesday, April 10, 2012
The Black Hole-a short film
This video is on YouTube, posted by Nine junctions "The Black Hole" is a popular short film that typically refers to the 2008 British live-action short directed by Phil Sansom and Olly Williams.
The plot of "The Black Hole" (2008) follows a bored and sleep-deprived office worker who discovers a mysterious black hole on a piece of paper that came out of a photocopier. He soon realizes that he can use this black hole to reach through solid objects. Initially, he uses it for small, harmless things like getting a chocolate bar from a vending machine. However, his greed quickly takes over, and he attempts to steal money from the office safe. In a darkly comedic twist, he becomes trapped inside the safe when the black hole falls off.
janm
Monday, April 09, 2012
वसीयत...
लिख रही हूँ आज मैं
वसीयत अपनी
मेरे मरने के बाद
खंगालना मेरा कमरा
टटोलना हर एक चीज़
घर भर में बिन ताले के
मेरा सामान बिखरा पड़ा है
दे देना मेरे खवाब
उन तमाम स्त्रियों को
जो किचेन से बेडरूम
तक सिमट गयी अपनी दुनिया में
गुम गयी हैं
वे भूल चुकी हैं सालों पहले
खवाब देखना
बाँट देना मेरे ठहाके
वृद्धाश्रम के उन बूढों में
जिनके बच्चे
अमरीका के जगमगाते शहरों में
लापता हो गए हैं
टेबल पर मेरे देखना
कुछ रंग पड़े होंगे
इस रंग से रंग देना उस बेवा की साड़ी
जिसके आदमी के खून से
बोर्डर रंगा हुआ है
तिरंगे में लिपटकर
वो कल शाम सो गया है
आंसू मेरे दे देना
तमाम शायरों को
हर बूँद से
होगी ग़ज़ल पैदा
मेरा वादा है
मेरी गहरी नींद और भूख
दे देना “अम्बानियों ” को
“मित्तलों ” को
ना चैन से सो पाते हैं बेचारे
ना चैन से खा पाते हैं
मेरा मान , मेरी आबरु
उस वैश्या के नाम है
बेचती है जिस्म जो
बेटी को पढ़ाने के लिए
इस देश के एक-एक युवक को
पकड़ के
लगा देना इंजेक्शन
मेरे आक्रोश का
पड़ेगी इसकी ज़रुरत
क्रांति के दिन उन्हें
दीवानगी मेरी
हिस्से में है
उस सूफी के
निकला है जो
सब छोड़कर
खुदा की तलाश में
बस !
बाक़ी बची
मेरी ईर्ष्या
मेरा लालच
मेरा क्रोध
मेरा झूठ
मेरा स्वार्थ
तो
ऐसा करना
उन्हें मेरे संग ही जला देना ……
(बाबुशा कोहली)
CHARKHA - USTAD PURAN CHAND WADALI N LAKHWINDER WADALI
यह गाना Ustad Puran Chand Wadali और उनके बेटे Lakhwinder Wadali द्वारा गाई गई एक मार्मिक सूफ़ी प्रस्तुति है।
यहाँ वीडियो के बारे में जानकारी और गायकों से जुड़े कुछ दिलचस्प तथ्य दिए गए हैं:
वीडियो के बारे में: 'Charkha'
यह वीडियो 'चर्ख़ा' (Charkha) नामक सूफ़ी कलाम (Sufi poem) का एक रिकॉर्डेड स्टूडियो/म्यूजिक वीडियो वर्ज़न है। चर्ख़ा सूफ़ी कविता में एक शक्तिशाली रूपक (metaphor) है, जो अक्सर जीवन, मानव शरीर, या समय के चक्र का प्रतिनिधित्व करता है।
गीत का विषय: यह गाना ईश्वर की याद (Remembrance or Yaad) और परमात्मा के लिए तड़प (longing for the Divine) की भावना को दर्शाता है। यह एक भक्त की अपनी प्रियतम (ईश्वर) के लिए निरंतर याद और प्रतीक्षा की अभिव्यक्ति है।
कलाकार: इस प्रस्तुति में उस्ताद पूरन चंद वडाली और लखविंदर वडाली दोनों अपनी-अपनी अनूठी गायन शैलियों का प्रदर्शन करते हैं।
मुख्य क्षण:
गायकों के बारे में दिलचस्प तथ्य (Interesting Facts)
उस्ताद पूरन चंद वडाली (Ustad Puran Chand Wadali)
उस्ताद पूरन चंद वडाली स्वर्गीय प्यारेलाल वडाली के साथ मिलकर 'वडाली ब्रदर्स' के नाम से प्रसिद्ध थे।
पहलवान से गायक: संगीत में आने से पहले, उस्ताद पूरन चंद वडाली लगभग 25 वर्षों तक एक अखाड़े (wrestling ring) में एक नियमित पहलवान थे। उनके पिता ने उन्हें संगीत सीखने के लिए मजबूर किया।
पहला ब्रेक: 1975 में, उन्हें और उनके भाई को जालंधर में हरबल्लभ संगीत सम्मेलन में गाने की अनुमति नहीं दी गई थी क्योंकि उनका "पहनावा सही नहीं" था। निराश होकर, उन्होंने पास के मंदिर में एक भेंट के रूप में गाया, जहाँ उन्हें ऑल इंडिया रेडियो के एक कार्यकारी ने सुना और उनका पहला गाना रिकॉर्ड किया।
सम्मान: उन्हें भारत सरकार द्वारा 2005 में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
साधना: वह और उनके भाई अत्यधिक व्यावसायिकता से दूर रहे। वे अपने पैतृक घर 'गुरु की वडाली' में रहते हैं और शिष्यों को संगीत सिखाते हैं जिसके लिए वे कोई शुल्क नहीं लेते।
लखविंदर वडाली (Lakhwinder Wadali)
लखविंदर वडाली, उस्ताद पूरन चंद वडाली के बेटे हैं और अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।
क्रिकेटर का सपना: लखविंदर को बचपन में संगीत में ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी; वह एक क्रिकेटर बनने का सपना देखते थे। एक बार उनके पिता पूरन चंद वडाली ने उन्हें संगीत पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करने हेतु उनका पूरा क्रिकेट किट तंदूर में फेंक दिया था।
शिक्षा: संगीत की विरासत को आगे बढ़ाने के बावजूद, उनके पास संगीत में मास्टर डिग्री है और वह पीएच.डी. कर रहे हैं।
विरासत को आगे बढ़ाना: अपने चाचा प्यारेलाल वडाली के निधन के बाद, लखविंदर ने अपने पिता के साथ मंच पर प्रस्तुति देना शुरू किया, जिससे 'वडाली लीजेंड्स' के रूप में उनकी पारिवारिक और संगीत यात्रा जारी रही।
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Alif Allah, Jugni, Arif Lohar & Meesha, Coke Studio, Season 3
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Main jahan rahoon, teri yaad saath
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Yehi Hota Pyaar song - Namastey London
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Chitthiye Dard Firaq Waliye.. Sunidhi Chauhan.. Wadali Brothers.. Coke S...
The song you're referring to is "Chitthiye" (or "Chitthiye Ni Dard Firaaq Valiye"), a popular track from the first season of Coke Studio @ MTV India.
This particular version is an unforgettable collaboration between a Bollywood playback icon and legendary Sufi singers.
Key Details of the Song:
Song Title: Chitthiye (Chitthiye Ni Dard Firaaq Valiye)
Artists:
Sunidhi Chauhan (Playback Singer)
The Wadali Brothers (Puranchand Wadali and Pyarelal Wadali) (Sufi Singers)
Show/Album: Coke Studio @ MTV (Season 1)
Original Source/Inspiration: The core melody and opening lines are famously from the 1991 Bollywood film "Henna," originally sung by Lata Mangeshkar. The Coke Studio version, however, gives the song a powerful, raw Sufi-folk twist.
Meaning of "Chitthiye Dard Firaaq Waliye"
The title phrase is in Punjabi/Hindi and carries a deeply emotional meaning:
Chitthiye: O Letter!
Dard: Pain.
Firaaq: Separation, or being apart from the beloved.
Waliye: The one that possesses/carries.
The phrase translates to: "O Letter, bearer of the pain of separation!"
The song is a passionate plea to a letter to carry the message of the lover's intense grief, longing, and yearning to their beloved who is far away. It captures the universal human emotion of viraha (separation from a loved one) in a powerful and soul-stirring way.
(This video is posted by channel – {Coke Studio India}
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