Sunday, September 02, 2012

RASM-E-ULFAT KO NIBHAYEIN TO NIBHAYEIN KAISE / LATA MANGESHKAR / MADAN MOHAN / DIL KI R...





This ghazal was posted by Saregama Ghazal on Youtube. "Rasm-e-Ulfat Ko Nibhaye" is a timeless ghazal known for its profound lyrics, soulful composition, and the legendary voice of Lata Mangeshkar. Here are some detailed aspects of this classic:
  • Artist and Music: The ghazal is sung by the revered Lata Mangeshkar, and the music is composed by the maestro Madan Mohan. Their collaboration on this piece is widely celebrated. The composition is noted for its ability to convey deep emotion, and it is said that even the great music director Naushad praised Madan Mohan for this ghazal.

Hum Bekhudi Mein Tum Ko Pukare HD Song






यह गाना 'हम बेखुदी में तुम को पुकारे चले गए' हिंदी सिनेमा के सबसे मधुर और सदाबहार गीतों में से एक है।

गीत का विवरण (Song Details)

विवरणजानकारी
फिल्म (Movie)काला पानी (Kala Pani)
रिलीज़ वर्ष (Release Year)1958
गायक (Singer)मोहम्मद रफ़ी (Mohammed Rafi)
संगीत निर्देशक (Music Director)एस. डी. बर्मन (S. D. Burman)
गीतकार (Lyricist)मजरूह सुल्तानपुरी (Majrooh Sultanpuri)
कलाकार (Star Cast)देव आनंद (Dev Anand), मधुबाला (Madhubala), नलिनी जयवंत (Nalini Jaywant)

रोचक तथ्य (Interesting Fact)

  • देव आनंद और एस. डी. बर्मन का जादू: यह गीत उस ज़माने की सबसे सफल संगीतकार-अभिनेता जोड़ियों में से एक, एस. डी. बर्मन और देव आनंद के तालमेल का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। बर्मन दा ने देव आनंद की कई फिल्मों के लिए यादगार संगीत दिया, और यह गाना उनकी रचनात्मक साझेदारी की गहराई को दर्शाता है।

  • मोहम्मद रफ़ी की भावपूर्ण आवाज़: इस गाने को मोहम्मद रफ़ी की सबसे बेहतरीन रचनाओं में गिना जाता है। जिस तरह से उन्होंने गाने में तड़प, नशा और बेखुदी (unconsciousness/intoxication) के भावों को अपनी आवाज़ से व्यक्त किया है, वह इसे एक कालातीत क्लासिक (timeless classic) बनाता है।

  • मजरूह सुल्तानपुरी के बोल: मजरूह सुल्तानपुरी के गीत ऐसे हैं जो एक नशे में डूबे व्यक्ति की पीड़ा को दर्शाते हैं, जो अपनी प्रियतमा को पुकारता चला जाता है। उनके सरल लेकिन गहरे बोल इस गाने को भावनात्मक ऊँचाई प्रदान करते हैं।

यह गीत आज भी पुरानी हिंदी फिल्मों के संगीत प्रेमियों के बीच बहुत लोकप्रिय है।

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Rahe na rahen ham mehka karenge..lata-rafi-suman kalyanpur-roshan-tribut...



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O Sajanaa Barakhaa - Sadhana - Vasant Choudhary - Parakh Songs - Lata Mangeshkar




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Tasveer Teri Dil Mein Mohd Rafi Lata Mangeshkar in Maya



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Tera mera pyar amar



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Rafi & Lata - Jeewan Mein Piya Tera Saath Rahe - Goonj Uthi Shehnai [1959]



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Shagoon - Tum Apna Ranjo Gum-Apni Pareshani - Jagjit Kaur



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Jana Tha Humse Door Bahane Bana Liye-Lata Mangeshkar-Adalat






यह गीत 'जाना था हमसे दूर बहाने बना लिए' भारतीय सिनेमा के सबसे भावुक और क्लासिक गीतों में से एक है, जिसे स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने अपनी मीठी आवाज़ दी है।

गीत का विवरण (Song Details)

विवरणजानकारी
फिल्म (Movie)अदालत (Adalat)
रिलीज़ वर्ष (Release Year)1958
गायक (Singer)लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar)
संगीत निर्देशक (Music Director)मदन मोहन (Madan Mohan)
गीतकार (Lyricist)राजेंद्र कृष्ण (Rajendra Krishan)
कलाकार (Star Cast)नर्गिस (Nargis), प्रदीप कुमार (Pradeep Kumar)

रोचक तथ्य (Interesting Facts)

  • मदन मोहन और लता मंगेशकर की अमर जोड़ी: यह गीत महान संगीतकार मदन मोहन और लता मंगेशकर के बीच की बेहतरीन जुगलबंदी का एक शानदार उदाहरण है। मदन मोहन को 'ग़ज़लों के बादशाह' के रूप में जाना जाता है, और उन्होंने लता जी की आवाज़ को ध्यान में रखते हुए कई उत्कृष्ट और भावपूर्ण धुनें बनाईं। यह गीत उन्हीं में से एक है, जो अपने मधुर संगीत और गहरी भावनाओं के लिए जाना जाता है।

  • राजेंद्र कृष्ण के हृदयस्पर्शी बोल: गीत के बोल राजेंद्र कृष्ण द्वारा लिखे गए हैं, जो बिछड़ने के दर्द (pain of separation) और बेवफाई (infidelity) के भावों को बहुत ही मार्मिक ढंग से व्यक्त करते हैं। "रुखसत के वक़्त तुमने जो आँसू हमें दिए, उन आँसुओं से हमने फ़साने बना लिए" जैसी लाइनें उनकी गहरी शायरी को दर्शाती हैं।

  • नर्गिस पर फिल्मांकन: यह गीत दिग्गज अभिनेत्री नर्गिस पर फिल्माया गया है, जिन्होंने गाने में वियोग और उदासी के भावों को पर्दे पर बखूबी उतारा है, जिससे गाने की भावनात्मक गहराई और बढ़ जाती है।

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Tum Na Jaane Kis Jahaan Mein Kho Gaye Lata Mangeshkar in Sazaa





यह गीत 'तुम न जाने किस जहाँ में खो गए' हिंदी सिनेमा के शुरुआती दौर के सबसे गहरे और मार्मिक गीतों में से एक है। यह गीत विरह (separation) और उदासी की भावना को बहुत खूबसूरती से व्यक्त करता है।

गीत का विवरण (Song Details)

विवरणजानकारी
फिल्म (Movie)सज़ा (Sazaa)
रिलीज़ वर्ष (Release Year)1951
गायक (Singer)लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar)
संगीत निर्देशक (Music Director)एस. डी. बर्मन (S. D. Burman)
गीतकार (Lyricist)साहिर लुधियानवी (Sahir Ludhianvi)
कलाकार (Star Cast)देव आनंद (Dev Anand), निम्मी (Nimmi), श्यामा (Shyama)

रोचक तथ्य (Interesting Facts)

  • गीतकार साहिर लुधियानवी का कमाल: यह गीत महान शायर और गीतकार साहिर लुधियानवी के शुरुआती और सबसे यादगार गीतों में से एक है। उन्होंने इस गाने में बिछोह के दर्द को जिस सादगी और गहराई से व्यक्त किया है, वह आज भी श्रोताओं को छू जाता है। "हम भरी दुनिया में तन्हा हो गए" जैसी लाइनें उनकी कलम की ताकत बताती हैं।

  • एस. डी. बर्मन की अनूठी धुन: एस. डी. बर्मन ने इस गाने को एक उदास और शांत (melancholy and serene) धुन में ढाला है, जो 1950 के दशक के संगीत की विशिष्टता को दर्शाता है। उनकी कंपोजीशन ने लता मंगेशकर की युवा आवाज़ के भावनात्मक पक्ष को पूरी तरह से उभारा।

  • क्लासिक्स का निर्माण: 'सज़ा' फिल्म में एस. डी. बर्मन और साहिर लुधियानवी ने साथ काम किया और यह गीत उनके शुरुआती सफल सहयोगों में से एक था। इसी फिल्म में उनका एक और मशहूर गाना, 'ओ काली घटा घिर आई रे', भी था, जो दोनों की बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाता है।

यह गीत ब्लैक एंड व्हाइट सिनेमा के उस सुनहरे दौर की याद दिलाता है जब संगीत में सादगी और भावनाओं की प्रधानता होती थी।

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Hum Pyar Mein Jalnewalon Ko





यह गाना 'हम प्यार में जलने वालों को करार कहाँ' 1950 के दशक के सबसे भावुक और दर्द भरे गीतों में से एक है, जिसे महान गायकों ने आवाज़ दी है।

गीत का विवरण (Song Details)

विवरणजानकारी
फिल्म (Movie)ज्वेल थीफ़ (Jewel Thief)
रिलीज़ वर्ष (Release Year)1967
गायक (Singers)लता मंगेशकर और मोहम्मद रफ़ी (Lata Mangeshkar & Mohammed Rafi)
संगीत निर्देशक (Music Director)एस. डी. बर्मन (S. D. Burman)
गीतकार (Lyricist)मजरूह सुल्तानपुरी (Majrooh Sultanpuri)
कलाकार (Star Cast)देव आनंद (Dev Anand), वैजयंतीमाला (Vyjayanthimala), अशोक कुमार (Ashok Kumar)
नोटइस गाने का एक और प्रसिद्ध संस्करण फिल्म जिस देश में गंगा बहती है (1960) से है, लेकिन आपका पूछा गया गाना अक्सर 'ज्वेल थीफ' से जुड़ा हुआ माना जाता है। मैं 'ज्वेल थीफ' के विवरण के साथ आगे बढ़ रहा हूँ, क्योंकि यह युगल गीत (Duet) अधिक लोकप्रिय है।

रोचक तथ्य (Interesting Facts)

  • दो अलग-अलग फिल्मों के दो क्लासिक: जैसा कि नोट में बताया गया है, यह पंक्ति 'हम प्यार में जलने वालों को' दो अलग-अलग फिल्मों के दो अलग-अलग गीतों में उपयोग हुई है:

    1. ज्वेल थीफ (1967): इस युगल गीत (लता मंगेशकर और मोहम्मद रफ़ी) को एक जासूस (Dev Anand) और एक चोरनी (Vyjayantimala) के बीच की रोमांटिक खींचतान को दर्शाते हुए एक पार्टी में फिल्माया गया है।

    2. जिस देश में गंगा बहती है (1960): इस फिल्म में भी इसी मुखड़े (opening line) का प्रयोग हुआ है, जिसे केवल लता मंगेशकर ने गाया था।

  • एस. डी. बर्मन का संगीत कौशल: एस. डी. बर्मन (S. D. Burman) ने 'ज्वेल थीफ' के लिए एक ऐसा संगीत तैयार किया जो उस समय की जासूसी थ्रिलर (spy thriller) फिल्मों के माहौल के साथ पूरी तरह मेल खाता था। यह गाना फ़िल्मी पार्टी का माहौल बनाने के लिए परफेक्ट था।

  • देव आनंद और वैजयंतीमाला की केमिस्ट्री: देव आनंद और वैजयंतीमाला की शानदार ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री ने इस गाने को और भी यादगार बना दिया। उनके स्टाइल और अंदाज़ ने इसे उस दशक का एक प्रतिष्ठित (iconic) गीत बना दिया।

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Wo Dil Kahan Se Laaon - (Lata Mangeshkar)




यह गीत 'वो दिल कहाँ से लाऊँ, तेरी याद जो भुला दे' हिंदी सिनेमा के सबसे भावुक और दर्द भरे गीतों में से एक है, जिसे लता मंगेशकर ने अपनी दर्द भरी आवाज़ दी है।

गीत का विवरण (Song Details)

विवरणजानकारी
फिल्म (Movie)भरोसा (Bharosa)
रिलीज़ वर्ष (Release Year)1963
गायक (Singer)लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar)
संगीत निर्देशक (Music Director)रवि (Ravi)
गीतकार (Lyricist)राजेंद्र कृष्ण (Rajendra Krishan)
कलाकार (Star Cast)आशा पारेख (Asha Parekh), गुरु दत्त (Guru Dutt)

फिल्म और गीत के रोचक तथ्य (Interesting Facts about the Movie and Song)

  • अभिनेत्री पर फिल्मांकन: यह गाना मुख्य रूप से अभिनेत्री आशा पारेख पर फिल्माया गया है, जिन्होंने उस समय की फिल्मों में चुलबुली भूमिकाओं के लिए अपनी पहचान बनाई थी। इस तरह के गंभीर और भावुक गाने में उनका प्रदर्शन दर्शकों के लिए यादगार बन गया।

  • संगीतकार रवि का योगदान: संगीतकार रवि (Ravi) अपनी सरल, मधुर और हृदयस्पर्शी धुनों के लिए जाने जाते थे। उन्होंने इस गाने में वाद्य यंत्रों (instruments) का प्रयोग बहुत ही संयमित (minimal) तरीके से किया, जिससे लता जी की आवाज़ और राजेंद्र कृष्ण के बोल की उदासी और गहराई पूरी तरह से उभर कर आई।

  • राजेंद्र कृष्ण के भावुक बोल: गीतकार राजेंद्र कृष्ण के बोल प्रेम में निराश एक व्यक्ति के दर्द को बयां करते हैं। "रहने दे मुझको अपने कदमों की ख़ाक बनकर, जो नहीं तुझे गवारा मुझे ख़ाक में मिला दे" जैसी लाइनें उनकी शायरी की संवेदनशीलता को दर्शाती हैं।

  • गुरु दत्त की दुर्लभ उपस्थिति: यह फिल्म अभिनेता गुरु दत्त की एक दुर्लभ उपस्थिति वाली फिल्म है, जो अपनी गंभीर और कलात्मक फिल्मों (जैसे प्यासा और कागज के फूल) के लिए जाने जाते थे। इस फिल्म में उनका रोल एक अलग तरह का आकर्षण पैदा करता है।

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Duniya Kare Sawaal - Lata Mangeshkar, Meena Kumari, Bahu Begum Song






यह गीत 'दुनिया करे सवाल तो हम क्या जवाब दें' हिंदी सिनेमा के सबसे सशक्त और भावनात्मक गीतों में से एक है, जो समाज के रूढ़िवादी सवालों और एक महिला के अकेलेपन के दर्द को बयां करता है।

गीत का विवरण (Song Details)

विवरणजानकारी
फिल्म (Movie)बहू बेगम (Bahu Begum)
रिलीज़ वर्ष (Release Year)1967
गायक (Singer)लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar)
संगीत निर्देशक (Music Director)रौशन (Roshan)
गीतकार (Lyricist)साहिर लुधियानवी (Sahir Ludhianvi)
कलाकार (Star Cast)मीना कुमारी (Meena Kumari), प्रदीप कुमार (Pradeep Kumar), अशोक कुमार (Ashok Kumar)

रोचक तथ्य (Interesting Facts)

  • मीना कुमारी का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन: यह गाना अभिनेत्री मीना कुमारी पर फिल्माया गया है, जो 'ट्रेजेडी क्वीन' के रूप में जानी जाती थीं। उन्होंने इस गाने में आँखों और चेहरे के भावों के माध्यम से एक अकेली, समाज द्वारा परित्यक्त (abandoned) महिला की पीड़ा को अद्भुत ढंग से दर्शाया है। यह उनके सबसे यादगार भावपूर्ण दृश्यों में से एक है।

  • रौशन और साहिर लुधियानवी की ग़ज़ल: संगीतकार रौशन और गीतकार साहिर लुधियानवी की जोड़ी ने कई बेहतरीन और कलात्मक ग़ज़लें हिंदी सिनेमा को दी हैं, और यह गीत उसी श्रेणी में आता है। साहिर की कलम ने समाज के दोहरे मापदंडों (double standards) और बदनामी (slander) के दर्द को बड़ी ही बेबाकी से व्यक्त किया है।

  • क्लासिकल और इमोशनल कंपोजीशन: रौशन ने इस गाने की धुन में शास्त्रीय संगीत (Classical Music) का पुट रखा, जिससे इसे एक खास गरिमा और गंभीरता मिली। लता मंगेशकर की आवाज़, रौशन के संगीत और साहिर के बोल का संगम इस गाने को एक अमर ग़ज़ल बना देता है।

  • फिल्म का विषय: फिल्म 'बहू बेगम' एक भावनात्मक ड्रामा है जो प्रेम, त्याग और सामाजिक सम्मान के जटिल विषयों के इर्द-गिर्द घूमती है, और यह गीत फिल्म के केंद्रीय भावनात्मक संघर्ष को दर्शाता है।

यह गाना आज भी हिंदी सिनेमा के भावनात्मक क्लासिक्स में अपनी खास जगह रखता है।


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Aap Kyun Roye - Sadhana, Lata Mangeshkar, Woh Kaun Thi Song





यह गाना 'आप क्यों रोये' या 'जो हमने दास्ताँ अपनी सुनाई, आप क्यों रोये' हिंदी सिनेमा के सबसे भावुक और रहस्यमय गीतों में से एक है। यह गीत लता मंगेशकर की दर्द भरी आवाज़ और मदन मोहन के अमर संगीत का एक बेहतरीन नमूना है।

गीत का विवरण (Song Details)

विवरणजानकारी
फिल्म (Movie)वह कौन थी (Woh Kaun Thi?)
रिलीज़ वर्ष (Release Year)1964
गायक (Singer)लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar)
संगीत निर्देशक (Music Director)मदन मोहन (Madan Mohan)
गीतकार (Lyricist)राजा मेहंदी अली खान (Raja Mehdi Ali Khan)
कलाकार (Star Cast)साधना (Sadhana), मनोज कुमार (Manoj Kumar)

फिल्म और गीत के रोचक तथ्य (Interesting Facts about the Movie and Song)

  • मदन मोहन की ग़ज़लें: इस फिल्म के सभी गाने, जिनमें 'लग जा गले' और 'नैना बरसे रिमझिम' भी शामिल हैं, संगीतकार मदन मोहन की सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में गिने जाते हैं। उन्हें अक्सर 'ग़ज़लों का बादशाह' कहा जाता था, और इस गाने में उन्होंने लता जी की आवाज़ के दर्द भरे एहसास को एक ऊँचाई दी है।

  • साधना का रहस्यमय आकर्षण: अभिनेत्री साधना ने इस फिल्म में डबल रोल (twin sisters) निभाया था, और यह गीत उनके रहस्यमय और उदास किरदार की भावनाओं को दर्शाता है। सस्पेंस थ्रिलर फिल्म होने के बावजूद, इसके गाने (विशेषकर यह और 'लग जा गले') बेहद रोमांटिक और भावुक हैं।

  • सस्पेंस और संगीत का मिश्रण: यह फिल्म राज खोसला द्वारा निर्देशित एक सफल मिस्ट्री थ्रिलर थी, जिसे हॉलीवुड क्लासिक 'द वुमन इन व्हाइट' (The Woman in White) से प्रेरित माना जाता है। फिल्म की सफलता में इसके गानों का बहुत बड़ा हाथ था, जिन्होंने रहस्य और रोमांस का एक अनूठा माहौल बनाया।

  • लम्बी और सफल साझेदारी: राज खोसला ने 'वह कौन थी' की सफलता के बाद साधना को लेकर दो और सफल मिस्ट्री थ्रिलर फ़िल्में बनाईं: 'मेरा साया' (Mera Saaya, 1966) और 'अनीता' (Anita, 1967), जिससे यह जोड़ी 1960 के दशक की सबसे सफल थ्रिलर जोड़ी बन गई।

यह गीत प्रेम में डूबे एक व्यक्ति की कहानी और उसके दुःख में शामिल होने वाले दूसरे व्यक्ति के प्रति संवेदना को बड़ी खूबसूरती से व्यक्त करता है।


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Tu chupi hai kahan...Film Navrang





यह गीत 'तू छुपी है कहाँ, मैं तड़पता यहाँ' हिंदी सिनेमा के सबसे कलात्मक और भावुक गीतों में से एक है, जो प्रेम और कल्पना के द्वंद्व को दर्शाता है।

गीत का विवरण (Song Details)

विवरणजानकारी
फिल्म (Movie)नवरंग (Navrang)
रिलीज़ वर्ष (Release Year)1959
गायक (Singers)मन्ना डे और आशा भोसले (Manna Dey & Asha Bhosle)
संगीत निर्देशक (Music Director)सी. रामचंद्र (C. Ramchandra)
गीतकार (Lyricist)भरत व्यास (Bharat Vyas)
कलाकार (Star Cast)संध्या (Sandhya), महिपाल (Mahipal)

रोचक तथ्य (Interesting Facts)

  • वी. शांताराम की कलाकृति: फिल्म 'नवरंग' महान फिल्म निर्माता वी. शांताराम द्वारा निर्देशित है। शांताराम अपनी फिल्मों में कला, संगीत और भारतीय संस्कृति के रंगों को अद्भुत ढंग से प्रस्तुत करने के लिए जाने जाते थे, और यह फिल्म इसी का एक बेहतरीन उदाहरण है।

  • कल्पना और वास्तविकता: यह गीत फिल्म के केंद्रीय विषय को दर्शाता है। नायक (कवि) अपनी वास्तविक पत्नी (संध्या) के बजाय अपनी काल्पनिक प्रेरणा 'मोहिनी' में खोया रहता है, जिसका किरदार भी संध्या ने ही निभाया है। गीत का पहला भाग कवि का अपनी प्रेमिका को ढूँढना है, और दूसरा भाग उसके कल्पना से वास्तविक दुनिया में आने को दर्शाता है।

  • सी. रामचंद्र की उत्कृष्ट धुनें: संगीतकार सी. रामचंद्र ने इस फिल्म के लिए कई राग-आधारित धुनें बनाईं, जो आज भी क्लासिक्स मानी जाती हैं।

    • इस गाने 'तू छुपी है कहाँ' को अक्सर भारतीय शास्त्रीय संगीत के राग चंद्रकौंस पर आधारित माना जाता है, जो इसे एक गहन और उदास सौंदर्य प्रदान करता है।

    • इसी फिल्म का एक और प्रसिद्ध गीत 'आधा है चंद्रमा रात आधी' भी राग मालकौंस पर आधारित है।

  • भरत व्यास के बोल: गीतकार भरत व्यास ने इस गाने में हिंदी और संस्कृतनिष्ठ शब्दों का सुंदर प्रयोग किया है, जो इसे काव्यात्मक ऊँचाई देता है। "मैं छुपी हूँ पिया तेरी पलकन में, तेरी धड़कन में" जैसे बोल कल्पना और वास्तविकता के मिलन को बड़ी खूबसूरती से दर्शाते हैं।

  • नृत्य की भव्यता: वी. शांताराम की फिल्मों की तरह, इस गाने में भी अभिनेत्री संध्या ने क्लासिकल और फोक डांस का एक भव्य मिश्रण प्रस्तुत किया है, जो इसे एक शानदार दृश्य अनुभव बनाता है।

यह गाना अपने संगीत, बोल, और फिल्मांकन के कारण हिंदी सिनेमा के सुनहरे दौर की एक महत्वपूर्ण निशानी है।

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Arre Ja Re Hat Natkhat NAVRANG 1959





यह गाना 'अरे जा रे हट नटखट' हिंदी सिनेमा के सबसे रंगीन और जीवंत होली गीतों में से एक है। यह गाना फिल्म 'नवरंग' (1959) की आत्मा को दर्शाता है, जो भारतीय कला, रंग और संगीत का एक भव्य मिश्रण है।

गीत का विवरण (Song Details)

विवरणजानकारी
फिल्म (Movie)नवरंग (Navrang)
रिलीज़ वर्ष (Release Year)1959
गायक (Singers)आशा भोसले और महेंद्र कपूर (Asha Bhosle & Mahendra Kapoor)
संगीत निर्देशक (Music Director)सी. रामचंद्र (C. Ramchandra)
गीतकार (Lyricist)भरत व्यास (Bharat Vyas)
कलाकार (Star Cast)संध्या (Sandhya), महिपाल (Mahipal)

सबसे रोचक तथ्य (Most Interesting Facts)

1. महेंद्र कपूर का डेब्यू गीत नहीं, पर एक बड़ा कदम!

आम तौर पर यह माना जाता है कि इसी फिल्म का एक और प्रसिद्ध गीत 'आधा है चंद्रमा रात आधी' गायक महेंद्र कपूर का बॉलीवुड में पहला गीत था। हालाँकि, यह गाना (जो कि एक युगल गीत है) उनके शुरुआती और सबसे सफल गानों में से एक था, जिसने उन्हें एक नई पहचान दी। इस गाने और 'आधा है चंद्रमा' ने उन्हें इंडस्ट्री में स्थापित करने में बड़ी भूमिका निभाई।

2. एक ही अभिनेत्री का दोहरा (Dual) डांस!

इस गीत का सबसे आश्चर्यजनक पहलू इसका फिल्मांकन है। अभिनेत्री संध्या, जो निर्देशक वी. शांताराम की पत्नी थीं, ने न केवल गोरी ग्वालन (नायिका) का किरदार निभाया, बल्कि उन्होंने नटखट लड़के (नायक) की भूमिका भी ख़ुद ही निभाई!

  • टेक्निकल कमाल: यह एक अद्भुत डबल रोल/डबल डांस सीक्वेंस था, जहाँ एक ही फ्रेम में एक ही अभिनेत्री ने दो अलग-अलग कॉस्ट्यूम में नृत्य किया। यह उस समय के लिए एक बेहतरीन तकनीकी उपलब्धि थी, जिसमें वी. शांताराम ने बहुत बारीकी से काम किया।

  • भावों का मिश्रण: संध्या ने एक तरफ नटखट कन्हैया और दूसरी तरफ अपनी नखरेदार पनिहारी की भूमिका को एक साथ निभाकर इस होली के दृश्य को बहुत ही यादगार बना दिया।

3. एक 'रंग' भरी फिल्म

फिल्म का शीर्षक 'नवरंग' (नौ रंग) है, और यह उस समय की सबसे भव्य और महंगी रंगीन फिल्मों में से एक थी। वी. शांताराम ने इसमें भारतीय संस्कृति, त्योहारों और शास्त्रीय नृत्य को भरपूर रंगों और भव्य सेटों के साथ प्रस्तुत किया।

  • 'अरे जा रे हट नटखट' राग पहाड़ी पर आधारित एक अत्यंत तेज़ और ऊर्जा से भरा गाना है, जो होली के उत्साह को पूरी तरह से व्यक्त करता है।

यह गीत अपनी अद्भुत कोरियोग्राफी, संगीत और तकनीकी नवाचार (innovation) के कारण आज भी क्लासिक होली गीतों में शीर्ष पर माना जाता है।


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