Monday, March 12, 2012

Aise to na dekho ke hum ko nasha ho jaye-TEEN DEVIYAN






गीत "ऐसे तो न देखो के हमको नशा हो जाए" हिंदी सिनेमा के सदाबहार गीतों में से एक है, जो देव आनंद के चार्म और मोहम्मद रफ़ी की आवाज़ के लिए जाना जाता है।

यह गाना 1965 की फ़िल्म 'तीन देवियाँ' (Teen Devian) का एक बेहद रूमानी और चंचल सोलो गीत (solo song) है।

यहाँ इस क्लासिक गीत और फ़िल्म से जुड़ी विस्तृत जानकारी दी गई है:

गीत और फ़िल्म का विवरण

विवरणजानकारी
गीत"ऐसे तो न देखो के हमको नशा हो जाए"
फ़िल्म का नामतीन देवियाँ (Teen Devian) (1965)
गायकमोहम्मद रफ़ी (Mohammed Rafi)
संगीतकारएस. डी. बर्मन (S. D. Burman)
गीतकारमजरूह सुल्तानपुरी (Majrooh Sultanpuri)
मुख्य कलाकारदेव आनंद, नंदा, कल्पना, सिमी गरेवाल
शैलीरूमानी, हल्की-फुल्की/चंचल (Light-hearted Romantic)

 गीत की विशेषता और तथ्य

  1. देव आनंद का अंदाज़:

    • यह गाना अभिनेता देव आनंद की स्क्रीन इमेज के लिए एकदम सही था। उनकी शरारती आँखें, चंचल अंदाज़ और रोमांटिक अप्रोच इस गाने को पूरी तरह से कॉम्प्लीमेंट करती है।

    • गाने में देव आनंद अपनी प्रेमिका को चेतावनी देते हैं कि वह उन्हें ऐसे न देखे, क्योंकि इससे उन्हें नशा हो जाएगा—एक तरह से यह स्वीकार करना है कि उनकी सुंदरता और आकर्षण बहुत तीव्र है।

  2. एस. डी. बर्मन का संगीत:

    • संगीतकार एस. डी. बर्मन ने इस गीत को एक कैची (catchy), धीमी और आरामदेह धुन दी है। यह गाना वेस्टर्न और भारतीय संगीत के तत्वों का सुंदर मिश्रण है, जो 60 के दशक की रोमांटिक धुनों का एक बेहतरीन उदाहरण है।

  3. रफ़ी साहब का गायन:

    • मोहम्मद रफ़ी ने इस गीत को देव आनंद के अंदाज़ में गाया है। उनकी आवाज़ में वो हल्की-फुल्की मस्ती और दुलार भरा रोमांस है, जो इस गाने को इतना खास बनाता है।

  4. फ़िल्म की थीम:

    • फ़िल्म 'तीन देवियाँ' एक रोमांटिक कॉमेडी थी, जिसमें नायक (देव आनंद) तीन अलग-अलग महिलाओं (नंदा, कल्पना, और सिमी गरेवाल) के प्यार में पड़ जाता है, और अंत में उसे उनमें से किसी एक को चुनना होता है। यह गीत उनके रोमांस और चंचलता को दर्शाता है।

यह गाना आज भी देव आनंद और मोहम्मद रफ़ी के सबसे बेहतरीन रोमांटिक सोलो गानों में से एक माना जाता है।


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Ek Musafir Ek Hasina - BAHUT SHUKRIYA BADI MAHARBANI




गीत "बहुत शुक्रिया बड़ी मेहरबानी" हिंदी सिनेमा के एक बेहद लोकप्रिय और चंचल युगल गीतों (duets) में से एक है। यह गाना रोमांस और आभार (gratitude) के भाव को दर्शाता है।

यह गीत 1962 की सफल फ़िल्म 'एक मुसाफ़िर एक हसीना' (Ek Musafir Ek Hasina) का है।

यहाँ इस क्लासिक गीत और फ़िल्म से जुड़ी विस्तृत जानकारी दी गई है:

गीत और फ़िल्म का विवरण

विवरणजानकारी
गीत"बहुत शुक्रिया बड़ी मेहरबानी"
फ़िल्म का नामएक मुसाफ़िर एक हसीना (Ek Musafir Ek Hasina) (1962)
गायकमोहम्मद रफ़ी और आशा भोसले (युगल गीत)
संगीतकारओ. पी. नैय्यर (O. P. Nayyar)
गीतकारएस. एच. बिहारी (S. H. Bihari)
मुख्य कलाकारजॉय मुखर्जी और साधना
शैलीअपबीट, रोमांटिक, आभार व्यक्त करने वाला संवाद गीत

गीत की विशेषता और तथ्य

  1. ताल और धुन (Rhythm and Tune):

    • ओ. पी. नैय्यर के संगीत की पहचान - तेज लय (fast tempo) और घोड़े की टाप जैसी ताल (equine rhythm) - इस गाने में स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।

    • यह गाना एक तेज़, उत्साहित और मस्ती भरे मूड को सेट करता है, जो जॉय मुखर्जी और साधना की ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री के साथ बखूबी मेल खाता है।

  2. रफ़ी और आशा भोसले की ऊर्जा:

    • मोहम्मद रफ़ी और आशा भोसले की जोड़ी ओ. पी. नैय्यर के संगीत के लिए सबसे परफेक्ट मानी जाती थी।

    • आशा जी की आवाज़ में चंचलता और उत्साह है, जबकि रफ़ी साहब की आवाज़ में रोमांस और खुशी का भाव है। दोनों गायकों ने इस गीत को शानदार ऊर्जा दी है।

  3. फिल्मांकन और थीम:

    • फ़िल्म की कहानी एक मुसाफ़िर (जॉय मुखर्जी) और एक हसीना (साधना) के बीच हुई मुलाकात और उनके सफर के दौरान पनपे प्यार के इर्द-गिर्द घूमती है।

    • यह गाना नायक द्वारा नायिका को उसके साथ समय बिताने और उस पर दया करने के लिए आभार (शुक्रिया और मेहरबानी) व्यक्त करने के बारे में है, लेकिन यह सब एक चंचल और रोमांटिक अंदाज़ में किया गया है।

  4. लोकप्रियता:

    • यह गाना उस दशक के सबसे लोकप्रिय और पार्टियों में बजाए जाने वाले गीतों में से एक बन गया। 'एक मुसाफ़िर एक हसीना' के अन्य गाने, जैसे "मैं प्यार का राही हूँ", भी बेहद सफल रहे थे।

यह गीत मोहम्मद रफ़ी और आशा भोसले की उस दौर की बेजोड़ जुगलबंदी का एक शानदार उदाहरण है।

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Isharon Isharon Mein Dil






फ़िल्म: कश्मीर की कली (Kashmir Ki Kali, 1964)

फ़िल्म के मुख्य विवरण

विवरणजानकारी
मुख्य कलाकारशम्मी कपूर (राजीव लाल), शर्मिला टैगोर (चंपा), प्राण, मदन पुरी
निर्देशकशक्ति सामंत (Shakti Samanta)
संगीत निर्देशकओ.पी. नैय्यर (O.P. Nayyar)
गायकमोहम्मद रफ़ी (Shammi Kapoor की आवाज़), आशा भोंसले
गीतकारएस.एच. बिहारी

रोचक किस्से (Interesting Stories)

1. शर्मिला टैगोर का हिंदी डेब्यू

  • यह फ़िल्म अभिनेत्री शर्मिला टैगोर की पहली हिंदी फ़िल्म थी। वह पहले सत्यजीत रे की बंगाली फ़िल्म 'अपूर संसार' (Apur Sansar) में काम कर चुकी थीं।

  • शर्मिला जी को 'कश्मीर की कली' में फूल बेचने वाली चंपा के रूप में दर्शकों ने खूब पसंद किया, और इस फ़िल्म ने उन्हें रातोंरात स्टार बना दिया।

2. संगीतकार का बदलाव

  • मूल रूप से, इस फ़िल्म का संगीत मशहूर जोड़ी शंकर-जयकिशन को कंपोज करना था।

  • लेकिन शम्मी कपूर ने खुद संगीतकार ओ.पी. नैय्यर को शक्ति सामंत से मिलवाया। ओ.पी. नैय्यर के संगीत से शम्मी कपूर बहुत प्रभावित थे।

  • नैय्यर ने जब कुछ धुनें सुनाईं, तो निर्देशक शक्ति सामंत तुरंत सहमत हो गए। इस तरह, ओ.पी. नैय्यर ने "इशारों इशारों में", "तारीफ़ करूँ क्या उसकी", "दीवाना हुआ बादल" जैसे 9 सुपरहिट गाने दिए।

3. कश्मीर में रिकॉर्ड बारिश और मौसम

  • फ़िल्म की शूटिंग का अधिकांश हिस्सा कश्मीर की खूबसूरत वादियों में हुआ था (डल झील, शिकारे)।

  • एक रोचक किस्सा यह है कि शूटिंग के दौरान लगातार 21 दिनों तक भारी बारिश हुई, जिसके कारण शूटिंग रोकनी पड़ी थी।

  • हालांकि, एक बार मौसम साफ़ होने के बाद, अगले 25 दिनों तक बिल्कुल भी बारिश नहीं हुई और क्रू ने जल्दी से पूरा शेड्यूल पूरा कर लिया।

4. शम्मी कपूर का भेस (The Pathan Couple Ruse)

  • फ़िल्म के प्लॉट के एक हिस्से में, हीरो राजीव लाल (शम्मी कपूर) को चंपा (शर्मिला टैगोर) तक पहुँचने के लिए एक नाटक करना पड़ता है।

  • वह और उनका दोस्त, एक पठान दंपति का भेस बनाते हैं, जहाँ शम्मी कपूर को पर्दा नशीं (बुर्के में लिपटी महिला) बनना पड़ता है। यह सीन फ़िल्म में कॉमेडी का एक क्लासिक उदाहरण है।

  • इस सीन के बाद ही प्रसिद्ध गाना "इशारों इशारों में दिल लेने वाले" फिल्माया गया है।

5. गानों की फिल्मांकन शैली

  • "ये चांद सा रोशन चेहरा" गाना डल झील में शिकारे पर फिल्माया गया है, जिसे हिंदी सिनेमा के सबसे रोमांटिक बोट बैले (Boat Ballet) गानों में से एक माना जाता है। शम्मी कपूर की एनर्जी और रफ़ी साहब की आवाज़ का जादू बेमिसाल था।


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Rafi - Na Jaa Kahin Ab Na Jaa - Mere Hamdam Mere Dost [1968]






गाना "ना जा कहीं अब ना जा" फ़िल्म "मेरे हमदम मेरे दोस्त" (Mere Hamdam Mere Dost, 1968) का एक बहुत ही भावुक और लोकप्रिय गीत है।

यहाँ इस गीत, फ़िल्म और इससे जुड़ी कुछ जानकारी दी गई है:

ना जा कहीं अब ना जा

विवरणजानकारी
गायक (Singer)मोहम्मद रफ़ी (Mohammed Rafi)
संगीतकार (Music Director)लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल (Laxmikant-Pyarelal)
गीतकार (Lyricist)मजरूह सुल्तानपुरी (Majrooh Sultanpuri)
फ़िल्म (Film)मेरे हमदम मेरे दोस्त (Mere Hamdam Mere Dost)
कलाकार (Picturized on)धर्मेंद्र (Dharmendra) और शर्मिला टैगोर (Sharmila Tagore)

गीत का आकर्षण (Appeal of the Song)

यह गाना आज भी रोमांटिक संगीत प्रेमियों के बीच बहुत पसंद किया जाता है। इसकी खूबी ये है:

  • रफ़ी साहब का दर्द: मोहम्मद रफ़ी की आवाज़ में एक गहरा दर्द (pathos) और आग्रह (pleading) है, जो गाने के बोल, "ना जा कहीं अब ना जा" (Now don't go anywhere) को जीवंत बना देता है।

  • धुन की सादगी: लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की धुन बहुत सीधी और मधुर है, जो सीधे दिल को छूती है।

  • धर्मेंद्र का अभिनय: इस गाने में धर्मेंद्र और शर्मिला टैगोर पर फिल्माया गया वियोग (separation) और प्रेम का भाव बहुत ही मार्मिक है।

फ़िल्म: मेरे हमदम मेरे दोस्त (1968)

  • यह फ़िल्म धर्मेंद्र की रोमांटिक हीरो की छवि को मजबूत करने वाली फिल्मों में से एक थी।

  • इस फ़िल्म के सभी गाने, जिनमें यह गीत भी शामिल है, बेहद सफल रहे थे।

  • फ़िल्म के अन्य प्रसिद्ध गीत हैं: "हुस्न हाज़िर है", "चलो सजना जहाँ तक घटा चले", और "अल्लाह ही अल्लाह कर प्यारे"

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Justju jiski thee





(Justju jiski thi usko to na paaya humne...)

अर्थ और विवरण

विवरणजानकारी
गायक (Singer)आशा भोसले (Asha Bhosle)
संगीतकार (Music Director)खय्याम (Khayyam)
गीतकार/शायर (Lyricist)शहरयार (Shahryar)
फ़िल्म (Film)उमराव जान (Umrao Jaan, 1981)
कलाकार (Picturized on)रेखा (Rekha)

इस लाइन का अर्थ (Meaning of the Line)

  • जस्तजू (Justju): तलाश, खोज, इच्छा (Search, quest, desire)

  • जिसकी थी: जिसकी थी (Which belonged to, or which was for)

  • उसको तो न पाया हमने: उसे तो हम पा न सके (Him/that we could not find/get)

पूरे शेर का मतलब:

यह शेर उमराव जान की पूरी ज़िंदगी की त्रासदी (tragedy) को दर्शाता है। वह अपने जीवन में जिस सच्चे प्यार या सम्मान की तलाश कर रही थी, वह उसे कभी नहीं मिला।

"जिस चीज़ की मैंने तलाश की थी, वह हमें नहीं मिली।"

फ़िल्म से जुड़ा रोचक किस्सा

  • खय्याम का संगीत: खय्याम साहब ने इस फ़िल्म के संगीत को कंपोज करने में बहुत समय लगाया। उन्होंने हर ग़ज़ल को शास्त्रीय संगीत (Classical Music) के आधार पर इतनी खूबसूरती से ढाला कि वह आज भी मील का पत्थर माना जाता है। उन्होंने आशा भोसले को यह गाना गाने के लिए कहा, जबकि उस समय लता मंगेशकर सबसे ज़्यादा ग़ज़लें गाया करती थीं।

  • राष्ट्रीय पुरस्कार: आशा भोसले को इस फ़िल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था।

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Tere Khushboo Mein base khatt main jalata kaise






यह ग़ज़ल गायक जगजीत सिंह (Jagjit Singh) और गायिका चित्रा सिंह (Chitra Singh) के गायन के लिए सबसे प्रसिद्ध है।

यहाँ इस गीत से जुड़ी जानकारी और इसके बोल का अर्थ दिया गया है:

ग़ज़ल: तेरे खुशबू में बसे खत

विवरणजानकारी
गायक/गायिका (Singer)जगजीत सिंह और चित्रा सिंह (Jagjit Singh and Chitra Singh)
संगीतकार (Music Director)जगजीत सिंह और चित्रा सिंह (Jagjit Singh and Chitra Singh)
गीतकार/शायर (Lyricist)राजिंदर नाथ रहबर (Rajinder Nath Rahbar)
फ़िल्म (Film)अर्थ (Arth, 1982)
कलाकार (Picturized on)कुलभूषण खरबंदा, स्मिता पाटिल, शबाना आज़मी

फ़िल्म "अर्थ" (Arth, 1982) से जुड़ा एक बहुत ही रोचक और महत्वपूर्ण किस्सा यह है कि यह फ़िल्म निर्देशक महेश भट्ट की निजी ज़िन्दगी से काफी हद तक प्रेरित थी।

फ़िल्म "अर्थ" से जुड़ा रोचक किस्सा

निजी जीवन से प्रेरित कहानी

  • असली प्रेरणा: यह फ़िल्म निर्देशक महेश भट्ट के अपने व्यक्तिगत जीवन की घटनाओं पर आधारित थी, जब उनका अपनी पहली पत्नी किरण भट्ट से अलगाव हुआ था और उनका अभिनेत्री परवीन बाबी के साथ संबंध था।

  • पात्रों का चित्रण: फ़िल्म में कुलभूषण खरबंदा का किरदार (पति) महेश भट्ट पर आधारित था, शबाना आज़मी का किरदार (पत्नी पूजा) उनकी पहली पत्नी किरण भट्ट से प्रेरित था, और स्मिता पाटिल का किरदार (वो दूसरी औरत) परवीन बाबी से प्रेरित था।

  • दर्द को कला में बदलना: महेश भट्ट ने अपने और परवीन बाबी के रिश्ते के उतार-चढ़ाव और उनकी मानसिक अस्थिरता (mental instability) के दर्द को इस फ़िल्म की कहानी में बदल दिया। इससे फ़िल्म में भावनाओं और वास्तविकता का एक गहरा स्तर आ गया, जिसकी वजह से यह आज भी इतनी प्रासंगिक लगती है।

शबाना आज़मी की जीत

  • इस फ़िल्म में शबाना आज़मी ने अपनी भावनात्मक भूमिका (पति द्वारा छोड़ी गई पत्नी) को इतनी सच्चाई से निभाया कि उन्हें इसके लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था। उनकी परफॉर्मेंस को हिंदी सिनेमा की सबसे बेहतरीन परफॉर्मेंस में से एक माना जाता है।

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Baat niklegi to phir door talak jaayegi












यह महान ग़ज़ल गायक जगजीत सिंह (Jagjit Singh) की सबसे मशहूर और मार्मिक रचनाओं में से एक है।

यह ग़ज़ल फ़िल्मों से ज़्यादा, उनके व्यक्तिगत एल्बमों के लिए जानी जाती है, और यह हिंदी/उर्दू शायरी की दुनिया में एक क्लासिक है।

ग़ज़ल: बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी

विवरणजानकारी
गायक (Singer)जगजीत सिंह (Jagjit Singh)
शायर (Poet/Lyricist)कैफ़ी आज़मी (Kaifi Azmi) - इस ग़ज़ल के लिए
एल्बम/प्रस्तुति'The Latest' या लाइव कॉन्सर्ट्स

इस लाइन का अर्थ (Meaning of the Line)

आप जिस लाइन का ज़िक्र कर रहे हैं, वह अक्सर ग़ज़ल के शुरू में या उसके केंद्रीय विचार के रूप में उपयोग होती है:

बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी...

हिंदी (Hindi)शब्द-दर-शब्द अनुवाद (Word-for-Word)सामान्य अर्थ (General Meaning)
बातMatter / Topic / SecretThe secret / the topic
निकलेगी तोIf it comes outIf it is revealed / discussed
फिरThenThen
दूर तलकFar awayTo distant corners
जाएगीIt will goIt will spread

पूरे शेर का मतलब:

यह शेर किसी संवेदनशील या छिपे हुए मामले को छेड़ने के बारे में चेतावनी देता है। शायर कहता है कि अगर यह बात (कोई गुप्त मामला या अफ़वाह) एक बार शुरू हो गई, तो यह सिर्फ़ यहीं नहीं रुकेगी, बल्कि दूर-दूर तक फैल जाएगी और बड़े परिणाम होंगे। यह अक्सर किसी की बदनामी या निजी रिश्ते को बचाने के संदर्भ में कहा जाता है।

रोचक तथ्य (Interesting Fact)

  • कैफ़ी आज़मी की कलम: इस ग़ज़ल को प्रख्यात शायर कैफ़ी आज़मी ने लिखा था। जगजीत सिंह ने अपनी मधुर और उदास आवाज़ से इसे अमर बना दिया।

  • क्लासिक ग़ज़ल: यह ग़ज़ल उन कुछ ग़ज़लों में से है जो आज भी हर ग़ज़ल प्रेमी की प्लेलिस्ट में अनिवार्य रूप से शामिल होती है, और यह जगजीत सिंह के करियर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।


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