Monday, October 08, 2012

Signs and Symptoms of a heart attack

Often people expect a heart attack to be dramatic like it is in the movies. But in reality — most often — that is not the case. This article thus spells out the signs and symptoms of a heart attack.

What happens during a heart attack?

During a heart attack, the blood flow to the heart muscle is either reduced or completely stops. This typically happens because of a blood clot that is blocking an artery.
When the heart muscle does not get oxygen-rich blood, it ceases to work.

Some common heart attack symptoms:

  • A heart attack often causes chest pain.
  • There is a feeling of fullness or a clasping pain in the centre of the chest. Most victims describe the pain as akin to an elephant standing on the chest (extreme pain). It usually lasts for about 15 minutes.
  • One also experiences shooting pain in the shoulders, neck, arm, back and sometimes even the teeth and jaw.
  • One finds increasing episodes of chest pain.
  • Prolonged pain in the upper abdomen.
  • Shortness of breath.
  • The victim might experience heavy sweating.
  • Since the heart’s pumping action is severely impaired during a severe heart attack, the victim might lose his/her consciousness.
  • Nausea and vomiting
  • In rare cases, as in patients who are diabetic, the heart attack may not be very painful, and sometimes can even be entirely painless.


  Other heart attack symptoms

The elderly, diabetics, people on steroids as well as women are less likely to have obvious symptoms like severe chest pain (as often seen in men). These are some symptoms they are likely to have:
  • Pain in the abdomen
  • Heart burn
  • Sweaty skin
  • Unusual tiredness
  • Dizziness or light-headedness
  • Nausea
  • Tightness or pain in the neck, shoulder or upper back


Heart attack symptoms are not the same for all…

Not everyone who has a heart attack has the same symptoms. Many a time, we also tend to ignore a heart attack thinking it might be mere abdominal discomfort due to gas pains or indigestion. If you have more than a few symptoms listed above, then you are likely to be having an attack. Get emergency help immediately.

What to do in case of a heart attack?

  • Rush to a hospital: If you recognise that you or someone around is having a heart attack, get immediate medical help.
  • Give Disprin (Asprin): As soon as you recognise it is an attack, crush a disprin, dissolve it in water and make the person drink it.
  • Emergency numbers: Every office and home must keep a list of emergency numbers like that of an ambulance service, hospital.


A heart attack is different from a cardiac arrest

Do not confuse a heart attack with cardiac arrest. In the case of a cardiac arrest, the heart suddenly stops. It occurs due to an electrical disturbance that obstructs the heart’s pumping function, which results in stopping blood flow to the rest of the body.

dhatt...... धत्त्



seedha
सीधा 
meri aankhon mein
मेरी आँखों में 
bedhadak ghurti
बेधड़क घूरती 
billi sa
बिल्ली सा 
veh ek
वह एक 
nidar khayaal tera
निडर ख़याल तेरा 
taangon ke beech
टांगों के बीच 
poonch daba
पूँछ दबा 
meri dhatt se bhaag liya...
मेरी ' धत्त्  ' से भाग लिया ......





Shoo!


Straight 
Into my eyes
Staring
Like a cat
Unblinkingly
Came that audacious
Thought about you
Between the legs
It hid its tail
And went away
When I said, Shoo!


(Divya Mathur)

माँ


कितनी अच्छी हो तुम, माँ !
kitni acchi ho tum maan

कह सकता हूँ तुमसे
keh sakta hoon tumse
मन की सारी बातें,
man ki saari baatein
यह कि मेरे दोस्त आएँ
yeh ki mere dost aayein 
तो अंदर ही रहना,
to andar hi rehna 
सामने आओ भी
saamne aao bhi  
तो अच्छी साड़ी पहन
to acchi saree pehan
बाल संवारकर आना
baal sanwaarkar aana
और दूरवाली कुर्सी पर बैठना.
aur doorwaali kursi per baithna 

उनकी नमस्ते का उत्तर
unki namastey ka uttar
हाथ जोड़कर देना,
haath jodkar dena
हो सके तो चुप ही रहना,
ho sakey to chup hi rehna 
बोलना ही हो तो
bolna hi ho to 
ज़रा ध्यान रखना,
zaraa dhayaan rakhna
शर्म को सर्म,
sharm ko sarm
ग़ज़ल को गजल मत कहना.
ghazal ko gajal mat kehna 

उनके सामने चाय न पीना,
unke saamne chai na peena
सुड़कने क़ी  आवाज़ आएगी.
sudakne ki aawaaz aayegi


मेरी इतनी सी बात मानोगी न,
meri itni si baat maanogi na
मेरी अच्छी,प्यारी, माँ ?
meri acchi pyaari maan ?


(ओंकार केडिया)




टिटवाल का कुत्ता ...ek kahaani

कई दिनों से दोनों तरफ से सिपाही अपने-अपने मोर्चे पर जमे हुए थे। दिन में इधर और उधर से दस-बारह गोलियाँ चल जातीं, जिनकी आवाज़ के साथ कोई इन्सानी चीख बुलन्द नहीं होती थी। मौसम बहुत खुशनुमा था। हवा जंगली फूलों की महक में बसी हुई थी। पहाडिय़ों की ऊँचाइयों और ढलानों पर लड़ाई से बेखबर कुदरत, अपने रोज के काम-काज में व्यस्त थी। चिडिय़ाँ उसी तरह चहचहाती थीं। फूल उसी तरह खिल रहे थे और धीमी गति से उडऩे वाली मधुमक्खियाँ, उसी पुराने ढंग से उन पर ऊँघ-ऊँघ कर रस चूसती थीं।
जब गोलियाँ चलने पर पहाडिय़ों में आवाज़ गूँजती और चहचहाती हुई चिडिय़ाँ चौंककर उडऩे लगतीं, मानो किसी का हाथ साज के गलत तार से जा टकराया हो और उनके कानों को ठेस पहुँची हो। सितम्बर का अन्त अक्तूबर की शुरूआत से बड़े गुलाबी ढंग से गले मिल रहा था। ऐसा लगता था कि जाड़े और गर्मी में सुलह-सफाई हो रही है। नीले-नीले आसमान पर धुनी हुई रुई जैसे पतले-पतले और हल्के-हल्के बादल यों तैरते थे, जैसे अपने सफेद बजरों में नदी की सैर कर रहे हैं।

पहाड़ी मोर्चों पर दोनों ओर से सिपाही कई दिनों से बड़ी ऊब महसूस कर रहे थे कि कोई निर्णयात्मक बात क्यों नहीं होती। ऊबकर उनका जी चाहता कि

ख्वाजा अहमद अब्बास की कहानी...........सरदारजी


लोग समझते हैं सरदार जी मर गये। नहीं यह मेरी मौत थी। पुराने मैं की मौत। मेरे तअस्सुब (धर्मान्धता) की मौत। घृणा की मौत जो मेरे दिल में थी।

मेरी यह मौत कैसे हुई, यह बताने के लिए मुझे अपने पुराने मुर्दा मैं को जिन्दा करना पड़ेगा। मेरा नाम शेख बुराहानुद्दीन है। जब दिल्ली और नयी दिल्ली में साम्प्रदायिक हत्याओं और लूट-मार का बांजार गर्म था और मुसलमानों का खून सस्ता हो गया था, तो मैंने सोचा  …वाह री किस्मत! पड़ोसी भी मिला तो सिख।…जो पड़ोसी का फंर्ज निभाना या जान बचाना तो क्या, न जाने कब कृपाण झोंक दे!

बात यह है कि उस वक्त तक मैं सिखों पर हँसता भी था। उनसे डरता भी था और काफी नफरत भी करता था। आज से नहीं, बचपन से ही। मैं शायद छह साल का था, जब मैंने पहली बार किसी सिख को देखा था। जो धूप में बैठा अपने बालों को कंघी कर रहा था। मैं चिल्ला पड़ा, ‘अरे वह देखो, औरत के मुँह पर कितनी लम्बी दाढ़ी!’

जैसे-जैसे उम्र गुजरती गयी, मेरी यह हैरानी एक नस्ली नंफरत में बदलती गयी।

घर की बड़ी बूढ़ियाँ जब किसी बच्चे के बारे में अशुभ बात का जिक्र करतीं जैसे यह कि उसे निमोनिया हो गया था उसकी टाँग टूट गयी थी तो कहतीं,