Wednesday, March 21, 2012

सपने.......


मैंने 
सपने खरीदे हैं 

तरह तरह के सपने  …
कुछ महंगे …
कुछ सस्ते …
कुछ झूठे …
कुछ सच्चे 

कुछ सच मुच 

सच मुच बहुत अच्छे  !!

लेकिन अफ़सोस 
मेरी आँखों में 
कोई फिट नहीं बैठता 

अब 

मेरे सामने है
मेरे सपनों का ढेर 
और -एक सवाल 

है कोई…
जो तराश सके  ?

या आँखें 
या सपने  !!


(मंजू मिश्रा )

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