मैंने
सपने खरीदे हैं
तरह तरह के सपने …
कुछ महंगे …
कुछ सस्ते …
कुछ झूठे …
कुछ सच्चे …
कुछ सच मुच
सच मुच बहुत अच्छे !!
लेकिन अफ़सोस
मेरी आँखों में
कोई फिट नहीं बैठता
अब
मेरे सामने है
मेरे सपनों का ढेर
और -एक सवाल
है कोई…
जो तराश सके ?
या आँखें
या सपने !!
(मंजू मिश्रा )
Good one !!
ReplyDeletethnx !
ReplyDeleteVery nice one!!!
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